Union Home Minister and Minister of Cooperation Shri Amit Shah performs the Bhoomi Poojan of the country’s first cooperative university, “Tribhuvan” Sahkari University, in Anand, Gujarat

Press | Jul 05, 2025

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज गुजरात के आणंद में देश के पहले सहकारी विश्वविद्यालय ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी’ का भूमि पूजन किया


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज त्रिभुवन दास पटेल जी को सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया है

इस यूनिवर्सिटी से सहकारिता में भाई-भतीजावाद खत्म होगा, पारदर्शिता आएगी और सहकारी यूनिवर्सिटी से प्रशिक्षण लेने वालों को रोजगार मिलेगा

इस यूनिवर्सिटी में युवाओं को तकनीकी विशेषज्ञता, अकाउंटेंसी, वैज्ञानिक अप्रोच और मार्केटिंग के साथ-साथ सहकारिता के संस्कार भी सीखने को मिलेंगे

सहकारिता आंदोलन में शिक्षा, प्रशिक्षण और नवाचार के मेगा वैक्यूम को भरने का काम यह यूनिवर्सिटी करेगी, जिसके कारण भारत पूरे विश्व में सहकारिता का गढ़ बनेगा

एक सहकारी नेता हर सदस्य की भलाई के लिए जब काम करता है, तो राष्ट्र-निर्माण की प्रक्रिया में कितना बड़ा योगदान देता है, इसके आदर्श उदाहरण त्रिभुवन दास जी थे

पारदर्शिता, जवाबदेही, अनुसंधान और सहकारी संघवाद की भावना के विकास के लिए स्थापित होने जा रही यूनिवर्सिटी के लिए सबसे उचित नाम ‘त्रिभुवनदास’ है

त्रिभुवन दास जी के ही विजन के कारण दुनियाभर की निजी डेयरियों के सामने आज हमारे देश की कोऑपरेटिव डेयरी सीना तानकर खड़ी है

गृह एवं सहकारिता मंत्री ने आह्वान करते हुए कहा कि देशभर के सहकारी प्रशिक्षण विशेषज्ञ इस यूनिवर्सिटी से जुड़ें और अपना योगदान दें

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज गुजरात के आणंद में देश के पहले सहकारी विश्वविद्यालय ‘त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी’ का भूमि पूजन किया। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेन्द्र पटेल और केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि आज का दिन सहकारिता क्षेत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है, जब प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने त्रिभुवन दास पटेल जी को सच्ची श्रद्धांजलि देने का काम किया है। उन्होंने कहा कि चार साल पहले प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश के करोड़ों गरीबों और ग्रामीणों के जीवन में आशा का संचार करने और उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध बनाने के लिए सहकारिता मंत्रालय की स्थापना की थी। उन्होंने कहा कि सहकारिता मंत्रालय की स्थापना के बाद से पिछले 4 साल में सहकारिता मंत्रालय ने भारत में सहकारिता क्षेत्र के विकास, संवर्धन और समविकास के लिए 60 नई पहल की हैं। श्री शाह ने कहा कि ये सभी पहल सहकारिता आंदोलन को चिरंजीव, पारदर्शी, लोकतांत्रिक बनाने, विकसित करने, सहकारिता के माध्यम से किसानों की आय को बढ़ाने और सहकारिता आंदोलन में मातृशक्ति और युवाओं की सहभागिता बढ़ाने के लिए की गईं।

श्री अमित शाह ने कहा कि आज यहां 125 एकड़ में 500 करोड़ रूपए की लागत से देश के पहले त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की आधारशिला रखने का काम हुआ है। उन्होंने कहा कि आज त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का शिलान्यास सहकारिता क्षेत्र को मज़बूत करने में रह गई सभी कमियों को पूरा करने वाली एक महत्वपूर्ण पहल है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में आज देशभर में सहकारिता आंदोलन बहुत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस यूनिवर्सिटी का शिलान्यास प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में एक युगांतरकारी कदम है। आज देशभर में 40 लाख कर्मी सहकारिता आंदोलन के साथ जुड़े हैं, 80 लाख बोर्ड्स के सदस्य हैं और 30 करोड़ लोग, यानी देश का हर चौथा व्यक्ति, सहकारिता आंदोलन से जुड़ा हुआ है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि सहकारिता क्षेत्र के विकास के लिए सहकारिता के कर्मचारियों और सहकारी समितियों के सदस्यों के प्रशिक्षण के लिए पहले कोई सुचारू व्यवस्था नहीं थी। उन्होंने कहा कि पहले कोऑपरेटिव में भर्ती के बाद कर्मचारी को ट्रेनिंग दी जाती थी, लेकिन अब यूनिवर्सिटी बनने के बाद जिन्होंने प्रशिक्षण लिया है, उसी को नौकरी मिलेगी। श्री शाह ने कहा कि इसके कारण सहकारिता में भाई-भतीजावाद खत्म हो जाएगा, पारदर्शिता आएगी और जो सहकारी यूनिवर्सिटी से प्रशिक्षित होकर निकलेगा, उसी को सहकारी क्षेत्र में नौकरी मिलेगी। उन्होंने कहा कि इस यूनिवर्सिटी में युवा तकनीकी विशेषज्ञता, अकाउंटेंसी, वैज्ञानिक अप्रोच और मार्केटिंग के सारे गुण तो सीखेंगे ही, साथ ही उन्हें सहकारिता के संस्कार भी सीखने को मिलेंगे कि सहकारिता आंदोलन देश के दलित, महिलाओं और आदिवासियों के लिए है। उन्होंने कहा कि सहकारी क्षेत्र की कई समस्याओं का समाधान इस सहकारी यूनिवर्सिटी से हो जाएगा।

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश में 2 लाख नए प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ (PACS) बनाने का निर्णय लिया है जिनमें से 60 हज़ार नए पैक्स इस वर्ष के अंत तक बन जाएंगे। उन्होंने कहा कि 2 लाख पैक्स में ही 17 लाख कर्मचारी होंगे। इसी प्रकार, कई ज़िला डेयरी बन रही हैं और इन सबके लिए ट्रेंड मैनपावर की ज़रूरत भी त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय पूरा करेगा। श्री शाह ने कहा कि यह यूनिवर्सिटी सहकारिता में नीति निर्माण, डेटा विश्लेषण और देश के कोऑपरेटिव के विकास की 5 साल, 10 साल और 25 साल की रणनीति बनाने का काम करेगी। उन्होंने कहा कि अनुसंधान को भी इस यूनिवर्सिटी के साथ जोड़ा गया है। यह यूनिवर्सिटी सिर्फ सहकारी कर्मचारी तैयार नहीं करेगी बल्कि यहां से त्रिभुवन दास जी जैसे समर्पित सहकारी नेता भी निकलेंगे जो भविष्य में सहकारिता क्षेत्र का नेतृत्व करेंगे। श्री शाह ने कहा कि CBSE ने 9 से 12 कक्षा के पाठ्यक्रम में सहकारिता विषय को जोड़ा है। गुजरात सरकार को भी अपने पाठ्यक्रम में सहकारिता विषय को जोड़ना चाहिए जिससे आम लोग सहकारिता के बारे में जान सकें।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवन दास किशिभाई पटेल के नाम पर रखा गया है। इस कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी की नींव पारदर्शिता, जवाबदेही, अनुसंधान और सहकारी संघवाद की भावना के विकास के लिए डाली गई है, उसके नाम के लिए त्रिभुवनदास पटेल जी से उचित व्यक्ति कोई नहीं है। उन्होंने कहा कि त्रिभुवन दास जी ने सरदार पटेल के मार्गदर्शन में इसी भूमि पर एक नए विचार का बीज बोने का काम किया था। त्रिभुवन दास जी ने दूध इकट्ठा करने की एक छोटी सी मंडली बनाई और उसके माध्यम से किसानों को सशक्त करने के लिए एक बहुत बड़ा अभियान चलाया। श्री शाह ने कहा कि 1946 में खेड़ा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ की स्थापना हुई और आज त्रिभुवन दास द्वारा बोया गया वह बीज एक विशाल वट वृक्ष बनकर खड़ा है, जिसमें 36 लाख बहनें 80 हज़ार करोड़ रुपए का कारोबार करती हैं और किसी की 100 रुपए से अधिक पूंजी नहीं लगी है। श्री शाह ने कहा कि Polson की शोषणकारी नीति के सामने सहकारी संगठन की शक्ति को खड़ा करने का काम त्रिभुवन दास जी ने ही किया था। उन्होंने कहा कि आज अमूल विश्व में खाने-पीने की चीज़ों का सबसे मूल्यवान ब्रांड बनकर उभरा है। त्रिभुवन दास जी के ही विजन के कारण दुनियाभर की निजी डेयरियों के सामने आज हमारे देश की कोऑपरेटिव डेयरी सीना तानकर खड़ी है। एक सहकारी नेता सहकारिता के हर सदस्य की भलाई के लिए जब काम करता है, तो राष्ट्र निर्माण और राष्ट्र को समृद्ध बनाने की प्रक्रिया में कितना बड़ा योगदान दे सकता है, इसका एक आदर्श उदाहरण त्रिभुवन दास जी ने प्रस्तुत किया था।

श्री अमित शाह ने कहा कि ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिन:’ हमारे देश के मूल विचार और संस्कृति की नींव हैं और उसी से सहकारिता की भावना पैदा हुई है। यह संस्कृति आर्थिक कल्याण के साथ-साथ मानव कल्याण, पशु कल्याण और पर्यावरण को समृद्ध करने के साथ साथ अब गरीब कल्याण के क्षेत्र में भी अपना योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि 30 करोड़ सदस्यों वाले सहकारी आंदोलन में शिक्षा, प्रशिक्षण और नवाचार के वैक्यूम को भरने का काम यह सहकारी यूनिवर्सिटी करेगी। यह यूनिवर्सिटी नीतियों का निर्माण, नवाचार को बढ़ावा देगी, अनुसंधान की नींव डालेगी, प्रशिक्षण देगी और देशभर के सहकारी संस्थाओं के प्रशिक्षण का एकसमान कोर्स तैयार कर सहकारिता को एकसाथ आगे बढ़ाने का काम करेगी। यह यूनिवर्सिटी प्रतिभाओं को प्लेटफॉर्म देने का काम करेगी और यहीं से सहकारिता की नीति बनेगी, जो सबका मार्गदर्शन करेगी। उन्होंने कहा कि 2 लाख नए और 85 हजार पुराने पैक्स के माध्यम से सभी योजनाओं को जमीन पर उतारने का काम भी यह विश्वविद्यालय करेगा।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जिस मेगा वैक्यूम ने हमारे सहकारिता आंदोलन को सिकोड़कर रख दिया था उसे भरने का काम यह यूनिवर्सिटी करेगी जिसके कारण अब सहकारिता आंदोलन फलेगा, फूलेगा, आगे बढ़ेगा और भारत पूरे विश्व में सहकारिता का गढ़ बनेगा। त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी, यहां बनाई हुई नीतियां और अभ्यासक्रम, सहकारिता के आर्थिक मॉडल को एक जनआंदोलन में परिवर्तित करने का काम करेंगे। उन्होंने कहा कि सभी बड़ी सहकारी संस्थाओं के लिए योग्य कर्मचारी प्रदान करने का काम यह यूनिवर्सिटी करेगी। श्री शाह ने कहा कि हम कोऑपरेटिव टैक्सी लाना चाहते हैं, कोऑपरेटिव इंश्योरेंस कंपनी भी बनाना चाहते हैं तो हमें हर क्षेत्र के विशेष ज्ञान वाले अधिकारी, कर्मचारी और सहकारी नेता भी चाहिए।उन्होंने पूरे देश के सहकारिता क्षेत्र का आह्वान करते हुए कहा कि देशभर के सहकारिता प्रशिक्षण विशेषज्ञ इस यूनिवर्सिटी से जुड़ें और अपना योगदान दें।

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