Union Home Minister and Minister of Cooperation Shri Amit Shah holds 'Sahkar Samvad' with women cooperative workers of Gujarat, Madhya Pradesh and Rajasthan in Ahmedabad on the occasion of International Cooperative Year

Press | Jul 09, 2025

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के अवसर पर अहमदाबाद में गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सहकारिता क्षेत्र से जुड़ी माताओं-बहनों व अन्य कार्यकर्ताओं के साथ ‘सहकार संवाद’ किया


सहकारिता क्षेत्र में पेशेवर युवा तैयार करने का मूल विचार त्रिभुवनदास पटेल जी का था, इसी उद्देश्य से त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की स्थापना की जा रही

त्रिभुवनदास जी ने ही सही मायने में कोऑपरेटिव की नींव डाली, इसका सबसे अच्छा उदाहरण ‘अमूल’ है, जिससे 36 लाख से अधिक माताएँ-बहनें जुड़कर ₹80 हजार करोड़ से अधिक का व्यापार कर रहीं हैं

सहकारी डेयरियों में गोबर के प्रबंधन, पशुओं के खानपान और स्वास्थ्य के प्रबंधन और गोबर के उपयोग से कमाई बढ़ाने के उपायों पर बल दिया जा रहा है

आने वाले दिनों में कुछ ऐसी व्यवस्था की जाएगी जिससे गांव में दूध उत्पादन का काम करने वाले अधिकतर परिवार कोऑपरेटिव से जुड़े होंगे

सभी पैक्स को CSC, माइक्रो ATM, हर घर नल, बैंक मित्र सहित लगभग 25 अन्य गतिविधियों से जुड़ समृद्ध बनें

जन औषधि केन्द्र की सेवाएं दे रहे पैक्स गाँव में किफायती दवाओं की उपलब्धता के बारे में लोगों को जागरूक करें

मक्का और दलहन किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिले, इसके लिए वे मोदी सरकार की योजनाओं से जुड़ें

प्राकृतिक खेती न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए अच्छी है, बल्कि धरती माता की सेहत के लिए भी अच्छी है, इससे उत्पादन में वृद्धि भी होगी

सहकारिता मंत्रालय देश के गरीबों, किसानों और ग्रामीणों के जीवन में ला रहा बदलाव

एक्सपोर्ट सोसाइटी के माध्यम से किसानों को ऑर्गेनिक गेंहूँ का कई गुना अधिक मूल्य मिल सकता है

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के तहत आयोजित किए जा रहे कार्यक्रमों के अंतर्गत गुजरात के अहमदाबाद में गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सहकारिता क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं व अन्य कार्यकर्ताओं के साथ ‘सहकार संवाद’ किया।

‘सहकार संवाद’ को संबोधित करते हुए केन्द्रीय सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि त्रिभुवनदास पटेल के नाम पर आणंद जिले में त्रिभुवन सहकारिता यूनिवर्सिटी का शिलान्यास हुआ है। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में युवा पेशेवर तैयार करने का मूल विचार त्रिभुवनदास जी का था और इसी उद्देश्य से इस यूनिवर्सिटी की स्थापना की जा रही है। त्रिभुवनदास जी ने ही सही मायने में कोऑपरेटिव की नींव डाली थी, जिसके कारण आज गुजरात की डेयरी क्षेत्र से जुडी 36 लाख महिलाएं 80 हजार करोड़ रुपए का व्यापार कर रही हैं। उन्होंने कहा कि जब सहकारी यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास जी के नाम पर रखने की घोषणा संसद में की गई तो सवाल उठा कि यह व्यक्ति कौन है। एक मायने में यह सवाल ठीक नहीं था। मगर उस व्यक्ति के लिए बहुत बड़ी बात है कि बड़ा काम करने के बाद भी उन्होंने अपना कोई प्रचार नहीं किया और केवल काम करते रहे। श्री शाह ने कहा कि विपक्ष के विरोध के बावजूद हमने यूनिवर्सिटी का नाम त्रिभुवनदास पटेल के नाम पर रखा, क्योंकि अब उन्हें प्रसिद्धि पाने का अधिकार है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि सरकार डेयरी के क्षेत्र में ढेर सारा परिवर्तन ला रही है। आने वाले समय में सहकारी डेयरियों में गोबर के प्रबंधन, पशुओं के खानपान और स्वास्थ्य के प्रबंधन और गोबर के उपयोग से कमाई बढ़ाने के उपायों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। इस दिशा में देश भर में अभी छोटे-छोटे बहुत प्रयोग हुए हैं। सभी प्रयोगों का संकलन कर उनके परिणाम हर सहकारी संस्था तक पहुंचाने के प्रयास हो रहे हैं और भारत सरकार इसके लिए योजना बना रही है। श्री शाह ने कहा कि आगामी कुछ वर्षों में कोऑपरेटिव डेयरी में गोबर का उपयोग ऑर्गेनिक खाद और गैस बनाने के लिए होगा। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में कुछ ऐसी व्यवस्था की जाएगी जिससे गांव में दूध उत्पादन का काम करने वाले 500 परिवारों में से 400 परिवार कोऑपरेटिव से जुड़े होंगे। उनके पशु के गोबर का काम भी कोऑपरेटिव को दे दिया जाएगा। पशुओं के टीकाकरण का काम भी किया जाएगा। आगामी 6 माह में यह सारी योजनाएं ठोस रूप लेकर सहकारी संस्थाओं तक पहुँच जाएंगी। उन्होंने दूध उत्पादक मंडियों से आग्रह किया कि वे अपनी कोऑपरेटिव संस्था में त्रिभुवनदास की तस्वीर लगाएं ताकि लोग गुजरात में सहकारी क्षेत्र से जुड़ी महिलाओं को समृद्ध बनाने वाले व्यक्तित्व से परिचित हों। उन्होंने कहा कि आणंद में नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की स्थापना से दूध उत्पादन के क्षेत्र में शुरू हुई सहकारी गतिविधि आज 19 राज्यों तक फैल चुकी है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि पैक्स को सीएससी, माइक्रो एटीएम, हर घर नल, बैंक मित्र सहित लगभग 25 अन्य गतिविधियों से जोड़ा गया है। पैक्स के बायलॉज में संशोधन के बाद पूरे देश भर के डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक के इंस्पेक्टर्स की ट्रेनिंग हो चुकी है। पैक्स से जुड़े लोगों को इंस्पेक्टर्स से बात कर नए बदलाव के बारे में जानना चाहिए। उन्होंने कहा कि पैक्स से राजस्व की भी प्राप्ति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जन औषधि केन्द्र की सेवाएं दे रहे पैक्स को गाँव में लोगों को इस बारे में पर्याप्त जागरूकता पैदा करनी चाहिए कि उनके केन्द्र में बाजार दर की तुलना में काफी किफायती दवाएं उपलब्ध हैं।     

श्री अमित शाह ने कहा कि अगर मक्का और दलहन की खेती करने वाले किसान एनसीसीएफ के ऐप पर पंजीकरण करते हैं तो नाबार्ड और एनसीसीएफ किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का और दलहन की खरीद कर सकते हैं और अगर किसान को ज्यादा मूल्य बाजार में मिल रहा हो तो वो बाजार में भी अपनी फसल बेच सकता है।

‘सहकार संवाद’ में श्री अमित शाह ने कहा कि प्राकृतिक खेती एक वैज्ञानिक प्रयोग है जो कई प्रकार के फायदे देता है। फर्टिलाइजर वाला गेहूं खाने से बीपी बढ़ता है, डायबिटीज होती है, थायराइड की प्रॉब्लम आती है। लेकिन फर्टिलाइजर और केमिकल रहित खाना खाने से दवाइयों की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। इसके अलावा, प्राकृतिक खेती से उत्पादन बढ़ता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपने खेतों में प्राकृतिक खेती अपनाई है और उत्पादन में लगभग डेढ़ गुना बढ़ोतरी देखी है। श्री शाह ने कहा कि यूरिया, डीएपी और एमपीके के बड़े-बड़े कारखाने हैं। लेकिन प्राकृतिक खेती की जाए तो केचुआ ही यूरिया, डीएपी और एमपीके का काम करता है। केचुआ मिट्टी खाता है और खाद बनाकर बाहर निकालता है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती करने से धरती का नुकसान नहीं होता, पानी का भी बचाव होता और लोगों की सेहत भी अच्छी रहती है। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय सहकारिता मंत्रालय ने प्राकृतिक खेती के जरिए उपजे अनाज की खरीद के लिए राष्ट्रीय स्तर की सहकारी संस्था बनाई है। इसके अलावा, किसानों की फसल के निर्यात के लिए भी सहकारी संस्था बनाई है और निर्यात से होने वाले मुनाफे की रकम सीधा किसान के बैंक खाते में भेजने की व्यवस्था की गई है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि देश का गृह मंत्री होना बहुत बड़ी बात होती है, क्योंकि सरदार पटेल साहब भी गृह मंत्री थे। लेकिन जिस दिन मुझे सहकारिता मंत्री बनाया गया, मैं मानता हूँ कि उस दिन गृह मंत्रालय से भी बड़ा डिपार्टमेंट मुझे मिल गया। यह ऐसा मंत्रालय है जो देश के गरीबों, किसानों, गावों और पशुओं के लिए काम करता है।

श्री अमित शाह ने ‘सहकार संवाद’ के दौरान कहा कि ऊंटनी के दूध के औषधीय गुणों का पता लगाने के लिए शोध कार्य जारी है। ऊंटनी के दूध के औषधीय गुणों का उपयोग करके ऊंट पालन करने वालों को दूध की ज्यादा कीमत दिलाने के उद्देश्य से राजस्थान सरकार और गुजरात सरकार मिलकर जल्द ही एक योजना लाने वाली है। जब ऊंट पालन और ऊंटनी के दूध का रेट बढ़ेगा तो स्वाभाविक रूप से उनकी नस्ल के संरक्षण में बहुत फायदा होगा।


TTToggle Large Font Size

Share this post:

or Copy link: