Union Home Minister and Minister of Cooperation Shri Amit Shah chairs the 27th meeting of the Eastern Zonal Council in Ranchi, Jharkhand

Press | Jul 10, 2025

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज झारखंड की राजधानी राँची में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की


पूरा पूर्वी भारत भक्ति, ज्ञान, संगीत, वैज्ञानिक अनुसंधान और क्रांति की भूमि रहा है, शिक्षा के मूल आदर्श स्थापित करने में पूर्वी भारत का बहुत बड़ा योगदान रहा है

मोदी सरकार में क्षेत्रीय परिषदें अब Forum of Discussion की जगह Engine of Cooperation बन गई हैं – श्री शाह

मोदी जी की TEAM BHARAT की कल्पना के तहत राज्यों के विकास से भारत का विकास और 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए सभी साथ मिलकर आगे बढ़ें

मोदी सरकार में क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों में 83 प्रतिशत मुद्दों का समाधान इन बैठकों की सार्थकता को दर्शाता है

2004 से 2014 के बीच क्षेत्रीय परिषदों की कुल 25 बैठकें हुईं, जबकि 2014 से 2025 में यह दोगुने से भी अधिक बढ़कर 63 हो चुकी हैं

बैठक में मसंजौर बांध, तैयबपुर बराज और इंद्रपुरी जलाशय से संबंधित मुद्दों और बिहार के विभाजन के समय से लंबित अनेक PSUs की संपत्तियों, देनदारियों के बिहार और झारखंड के बीच विभाजन से संबंधित मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई

तीन नए आपराधिक कानूनों पर जल्द से जल्द पूर्ण अमल की दिशा में पूर्वी राज्य और अधिक प्रयास करें

नक्सलवाद के विरुद्ध सभी राज्यों की एकजुटता और सुरक्षा बलों की बहादुरी से हमें अभूतपूर्व सफलता मिली है, हम 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त कर के रहेंगे

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज झारखंड की राजधानी राँची में पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में झारखंड के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन, ओडिशा के मुख्यमंत्री श्री मोहन चरण मांझी, बिहार के उप-मुख्यमंत्री श्री सम्राट चौधरी और पश्चिम बंगाल की वित्त राज्य मंत्री सुश्री चंद्रिमा भट्टाचार्य सहित सदस्य राज्यों के मुख्य सचिव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी तथा केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। पूर्वी क्षेत्रीय परिषद में बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल राज्य शामिल हैं। यह बैठक गृह मंत्रालय, भारत सरकार के अधीन अंतर राज्य परिषद सचिवालय द्वारा झारखंड सरकार के सहयोग से आयोजित की गई।

अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में हमारी सेनाओं ने अपनी वीरता, सटीकता और जांबाजी का अनुभव पूरी दुनिया को कराया है और उनके साहस और पराक्रम के लिए पूर्वी क्षेत्रीय परिषद सेनाओं की वीरता के लिए सर्वसम्मति से धन्यवाद प्रस्ताव पारित करती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए भारत का आतंकवाद के अंत का मजबूत इरादा पूरी दुनिया के समक्ष प्रस्तुत किया है।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में झारखंड की भूमि का बहुत बड़ा योगदान रहा है और इस भूमि से भगवान बिरसा मुंडा सहित कई महान स्वतंत्रता सेनानियों ने देश की आज़ादी के आंदोलनों का नेतृत्व किया है। उन्होंने कहा कि पूरा पूर्वी भारत भक्ति, ज्ञान, संगीत, वैज्ञानिक अनुसंधान और क्रांति की भूमि रहा है। शिक्षा के मूल आदर्श स्थापित करने में पूर्वी भारत का बहुत बड़ा योगदान रहा है। श्री शाह ने कहा कि स्वामी विवेकानंद जी, बिरसा मुंडा जी, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, बाबू जगजीवन राम सहित कई विभूतियों ने इसी भूमि से देश को अनेक क्षेत्र में नेतृत्व देने का काम किया है। सांस्कृतिक चेतना, भक्ति चेतना और क्रांति तीनों का संगम इसी भूमि पर हुआ है।

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सहकारी संघवाद के आधार पर TEAM BHARAT की कल्पना देश के सामने रखी है। मोदी जी की TEAM BHARAT की कल्पना के तहत राज्यो के विकास के माध्यम से भारत का विकास और 2047 तक भारत को एक पूर्ण विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हम सब मिलकर आगे बढ़ते रहें। हमारे संघीय ढांचे को मज़बूत करने के लिए अंतरराज्यीय परिषद और क्षेत्रीय परिषद को संविधान और कानून में आधार दिया गया है और उसी के तहत क्षेत्रीय परिषदों की बैठकें आयोजित होती हैं। उन्होंने कहा कि 2014 से 2025 के दौरान इन बैठकों के आयोजन में दुगुनी से भी अधिक गति आई है और ये अधिक परिणामदायक बनी हैं।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा कि क्षेत्रीय परिषदों की कल्पना इन्हें सहकारी संघवाद की सशक्त आधारशिला बनाने के उद्देश्य के साथ की गई थी। क्षेत्रीय परिषदें अब Advisory से Actionable Platform बन गई हैं और इनके माध्यम से हम केन्द्र के साथ राज्यों और राज्यों के बीच के आपसी मुद्दों को काफी हद तक हल करने में सफल हुए हैं। क्षेत्रीय परिषदें अब Forum of Discussion की जगह Engine of Cooperation बन गई हैं। वर्ष 2004 से 2014 के बीच क्षेत्रीय परिषदों की कुल 25 बैठकें हुईं, जबकि 2014 से 2025 में यह दोगुने से भी अधिक बढ़कर 63 हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि हम प्रतिवर्ष 2-3 बैठकों से आगे बढ़कर प्रतिवर्ष लगभग 6 बैठकों के आयोजन तक पहुंच गए हैं। श्री शाह ने कहा कि इन बैठकों में कुल 1580 मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनमें से 1287, यानी 83 प्रतिशत, मुद्दे हल कर लिए गए हैं, जो हम सबके लिए एक बहुत संतोष का विषय है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों में 83 प्रतिशत मुद्दों का समाधान इन बैठकों की सार्थकता को दर्शाता है।   

आज की बैठक में मसंजौर बांध, तैयबपुर बराज और इंद्रपुरी जलाशय से संबंधित काफी समय से लंबित जटिल मुद्दों पर विस्तृत चर्चा हुई। साथ ही, बिहार के विभाजन के समय से ही लंबित अनेक सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (PSUs) की संपत्तियों और देनदारियों के बिहार और झारखंड राज्यों के बीच विभाजन से संबंधित मुद्दों पर भी गहन चर्चा हुई और इनके समाधान की दिशा में आपसी सहमति से निर्णायक कदम उठाए गए।

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों पर जल्द से जल्द पूर्ण अमल की दिशा में पूर्वी राज्यों को और अधिक प्रयास करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इन राज्यों में नार्कोटिक्स पर नकेल कसने की दिशा में भी अधिक कार्य करने की जरूरत है, जिसके लिए जिला स्तरीय NCORD की बैठकें नियमित रूप से आयोजित की जानी चाहिए। श्री शाह ने यह भी कहा कि पूर्वी क्षेत्र के चारों राज्यों को कौशल प्रशिक्षण के क्षेत्र में परंपरागत और स्ट्रक्चरल ढांचे से बाहर निकल कर आवश्यकता के अनुसार पाठ्यक्रम तैयार करने चाहिए।

श्री अमित शाह ने कहा कि नक्सलवाद के विरुद्ध सभी राज्यों की एकजुटता और सुरक्षा बलों की बहादुरी से हमें अभूतपूर्व सफलता मिली है और हम 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलवाद से मुक्त कर के रहेंगे। उन्होंने कहा कि बिहार, झारखंड और ओडिशा काफी हद तक नक्सलवाद से मुक्त हो गए हैं।

पूर्वी क्षेत्रीय परिषद की 27वीं बैठक में राष्ट्रीय महत्त्व के व्यापक मुद्दों पर भी चर्चा हुई।  इनमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच और इनके शीघ्र निपटान के लिए फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (FTSC) का कार्यान्वयन, प्रत्येक गांव के नियत दायरे में ब्रिक-एंड-मोर्टार बैंकिंग सुविधा, आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली का कार्यान्वयन (ERSS-112) तथा पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत, शहरी प्लानिंग और सहकारिता व्यवस्था के सुदृढीकरण सहित क्षेत्रीय स्तर के सामान्य हित के विभिन्न मुद्दे शामिल हैं।

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15 से 22 के तहत पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी। केन्द्रीय गृह मंत्री इन पांचों क्षेत्रीय परिषदों के अध्यक्ष हैं और सदस्य राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री/उप-राज्यपाल/प्रशासक इनके सदस्य हैं, जिनमें से सदस्य राज्यों से एक राज्य के मुख्यमंत्री हर साल बारी-बारी से उपाध्यक्ष होते हैं। प्रत्येक सदस्य राज्य से राज्यपाल द्वारा दो मंत्रियों को परिषद के सदस्य के रूप में नामित किया जाता है। प्रत्येक क्षेत्रीय परिषद ने मुख्य सचिवों के स्तर पर एक स्थायी समिति का भी गठन किया है। राज्यों द्वारा प्रस्तावित मुद्दों को प्रथमतः संबन्धित क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समिति के समक्ष चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाता है। स्थायी समिति में विचार के बाद शेष बचे मुद्दों को क्षेत्रीय परिषद की बैठक में विचार के लिए प्रस्तुत किया जाता है। 


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