Press | Jul 30, 2025
केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह द्वारा राज्य सभा में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर आयोजित चर्चा में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु
मोदी जी की दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और सुरक्षा बलों के पराक्रम के प्रतीक ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव ने भारत का सम्मान बढ़ाया है, उसके लिए जवानों का अभिनंदन
कांग्रेस को कहना चाहता हूँ कि POK आपने दिया था, उसे वापस लाने का काम भाजपा सरकार ही करेगी
मैं गर्व से कह सकता हूं कि कोई भी हिंदू आतंकवादी नहीं हो सकता
कांग्रेस के शासन में सेना के पास बंदूकें और कारतूस तो छोड़िये...नमक, माचिस और ठंड में पहनने के कपडे तक नहीं थे
आज मोदी सरकार में आधुनिक हथियारों से लैस हमारी सेना पाकिस्तान की पूरी एयर डिफेंस प्रणाली को आधे घंटे में मलबे में बदल देती है
पाकिस्तान और आतंकी संदेश देना चाहते थे कि कश्मीर आतंक से मुक्त नहीं होगा...
जम्मू-कश्मीर आतंकवाद से मुक्त होकर रहेगा। ये मोदी जी का संकल्प है
अगर पहलगाम हमला कांग्रेस के समय में हुआ होता तो पाकिस्तान को कब की क्लीन चिट मिल चुकी होती
भारत में आतंकवाद पनपा और फैला तो इसका एकमात्र कारण कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति रही है
आज का भारत आतंकी हमले पर मिसाइल भेजता है, डोजियर नहीं
ऑपरेशन सिंदूर के जरिये पहली बार हमने पाकिस्तान के दिल पर हमला किया।
ये तीनों आतंकी पाकिस्तानी थे, इसका सबूत दुनिया के सामने है, लेकिन कांग्रेस पाकिस्तान को क्लीनचिट दे रही है
कांग्रेस की प्राथमिकता देश की सुरक्षा या आतंकवाद का खात्मा नहीं, वोट बैंक की राजनीति है
'ऑपरेशन 'महादेव' का नाम धार्मिक कहने वाले कांग्रेसी ये भूल गए हैं कि 'हर हर महादेव' का
युद्ध घोष देकर शिवाजी महाराज ने मुगलों के खिलाफ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी
राहुल गाँधी सिर्फ पाकिस्तान के नैरेटिव को आगे बढ़ा रहे हैं।
'ऑपरेशन सिंदूर' किसी के कहने पर नहीं रोका गया। पाकिस्तान घुटनों के बल आ गया, वहाँ के DGMO ने कॉल करके कहा...'बहुत हो गया, अब कृपया इसे रोक दीजिए'
कांग्रेस बताये कि 1971 की लड़ाई निर्णायक थी क्या? अगर थी तो फिर आतंकवाद क्यों फैला?
जब तक दुश्मन डरेगा या सुधरेगा नहीं, तब तक आतंकवाद का निर्णायक अंत नहीं होगा। हम आतंकवाद को मिट्टी में मिलाकर रहेंगे।
कांग्रेस की नीतियों के कारण ही कश्मीर में आतंकवाद बढ़ा, जमात-ए-इस्लामी और हुर्रियत को कांग्रेस ने बढ़ावा दिया जिसके कारण आतंकवाद ने पूरे कश्मीर को अपने चपेट में ले लिया
पहले कश्मीर में केवल तीन परिवार का शासन चलता था, आज पंचायत चुनाव में कश्मीर की जनता का शासन है
पहले आतंकी बाहर से नहीं आते थे, कश्मीरी युवा की बंदूकें उठाते थे, अब आतंकी संगठनों में एक भी कश्मीरी युवा शामिल नहीं होता
बाटला हाउस एनकाउंटर पर आतंकी की मौत पर सोनिया गाँधी ने आंसू बहाए लेकिन शहीद मोहन चंद्र के लिए उनकी आँखों से आंसू की एक बूँद भी नहीं निकली।
देश का 38,000 वर्ग किमी हिस्सा चीन को देने का पाप पंडित नेहरू ने किया था, पंडित नेहरू थे, जिन्होंने चीन के लिए UNSC का स्थायी सदस्य बनने से मना कर दिया
राजीव गाँधी फाउंडेशन ने चीन के साथ MoU किया, चीन से पैसा लिया। हमने कानूनन राजीव गाँधी फाउंडेशन का FCRA लाइसेंस कैंसल किया
क्या राहुल गाँधी बताएँगे कि कांग्रेस ने चीन के साथ कैसा MoU साइन किया था, चीन से कितना पैसा लिया?
क्या राहुल गाँधी बताएँगे कि डोकलाम के समय वे चीनी राजदूत के साथ रात के अँधेरे में क्या कर रहे थे?
1971 में पाकिस्तान पर हमारी जीत हुई लेकिन शिमला समझौते में हमने क्या किया? हमने न PoK लिया, न 15,000 वर्ग किमी जमीन कब्जाई। इतना ही नहीं, पाकिस्तान के 93,000 युद्धबंदियों को भी छोड़ दिया
PoK की चिंता मत करो, PoK भी वापस लेने का काम भाजपा की सरकार ही करेगी
शर्म अल शेख में सोनिया-मनमोहन सरकार ने भारत के सम्मान के साथ समझौता करते हुए आतंकवाद पर पाकिस्तान को क्लीन चिट दिया
मोदी जी का नेतृत्व संवेदनशील, निर्णायक और दृढ़ है, देशहित में है
हम मोदी जी के नेतृत्व में देश से आतंकवाद को समाप्त करके रहेंगे और नक्सलवाद जल्द ही खत्म होगा
केंद्रीय गृह एवंसहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज बुधवार को ऑपरेशन सिंदूर पर चल रही बहस के दौरानराज्यसभा में सरकार की ओर से जवाब दिया। श्री शाह ने संसद में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादपर जोरदार प्रहार करते हुए बताया कि भारत ने"ऑपरेशन सिंदूर"और "ऑपरेशनमहादेव" केतहत आतंकियों और उनके ठिकानों को निर्णायक रूप से समाप्त किया। उन्होंने कांग्रेस परआतंकवाद के प्रति नरम रवैये, वोटबैंकराजनीति और कश्मीर समस्या को बढ़ावा देने का आरोप लगाया। श्री शाह ने बताया कि किसतरह सुरक्षा बलों ने निगरानी के बाद आतंकियों को मारा और पाकिस्तान के 9 आतंकी अड्डों,एयरबेस व रडार सिस्टम को तबाह किया साथ ही उन्होंने टेरर फंडिंगपर शिकंजा और जम्मू-कश्मीरसहित पूरे देश में मोदी सरकार में हो रहे विकास पर भी बात की। श्री शाह ने कहा कि कांग्रेस केवलराजनीति करती रही, जबकि भाजपा ने ठोस कार्रवाई की। अब आतंकवाद लगभग समाप्ति पर है और देश के हर कोने में शांति और लोकतंत्र स्थापित हो रहा है।
श्री शाह ने कहाकि पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा पहलगाम में जो नृशंस हमला किया गया और उसके जवाबमें भारत सरकार तथा सुरक्षा एजेंसियों ने ऑपरेशन सिंदूर के माध्यम से सशक्त कार्यवाहीकी। उन्होंने सर्वप्रथम पहलगाम हमले में मारे गए निर्दोष नागरिकों के परिवारों और ऑपरेशन ‘सिंदूर’के बाद पाकिस्तान द्वारा की गई गोलीबारी में हताहत हुए नागरिकोंके परिजनों के प्रति संवेदनाएँ प्रकट की। श्री शाह ने ऑपरेशन‘सिंदूर’ और ‘महादेव’में भाग लेने वाले वीर सुरक्षाबलों को हृदय से साधुवाद देते हुएऔर देश की 140 करोड़जनता की भावना का प्रतिनिधित्व करते हुए स्पष्ट,निर्णायक और साहसी राजनीतिक इच्छाशक्ति का परिचय और पाकिस्तान कोसटीक जवाब देने के लिए आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का अभिनंदन किया।
केंद्रीय गृह मंत्रीने कांग्रेस द्वारा किए गए वॉकआउट पर कहा कि यह स्पष्ट है कि कांग्रेस के सदस्य क्योंउठकर जा रहे हैं औऱ क्यों असहज हो रहे हैं क्योंकि इतने वर्षों तक उन्होंने सिर्फ वोटबैंक को सुरक्षित रखने के लिए आतंकवाद के खिलाफ कोई ठोस कदम नहीं उठाया। अब जब यह बहसहो रही है और तथ्य सामने रखे जा रहे हैं, तो ये लोग सुन भी नहीं पा रहे हैं। जब विपक्ष का कोई अन्य नेता बोलताहै, तो ये चुप रहते हैं, लेकिन अब जब सरकार जवाब दे रही है, तो असहज हो रहे हैं। ज्यादातर महत्वपूर्णचर्चाओं में कांग्रेस पार्टी अपने नेता, नेता प्रतिपक्ष को बोलने ही नहीं देती और खुद उठकर मुद्दे उठातीहै।
श्री शाह ने ऑपरेशनमहादेव की जानकारी उच्च सदन के पटल पर रखते हुए कहा कि यह ऑपरेशनपरसों ही सफलतापूर्वक संपन्न हुआ, जो लंबे समय से चल रहा था। इस ऑपरेशन के तहत तीन आतंकवादी, सुलेमान, अफगान और जिब्रान को हमारे सुरक्षा बलों ने मार गिराया। सुलेमान, लश्कर-ए-तैयबा का ए-श्रेणी का कमांडर था। पहलगाम हमले में उसी की राइफल से गोलियांचली थीं। गगनगीर में भी उसी राइफल से गोलियां चली थी। यह आतंकी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़ा हुआ था और इस हमले के पीछे उसी संगठन का हाथ था।उसी के इशारे पर यह घटना हुई। माननीयप्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने सेना को जो निर्देश दिए और सेना ने लश्कर-ए-तैयबा के मुख्यालय को पूरी तरह तबाह कर दिया। जो इन्हें भेजने वाले थे, वे भी मारे गए और जो आतंकवादी हमला करने आए थे,वे भी मारे गए। एक तरह से देखें तो ऑपरेशन महादेव और ऑपरेशन सिंदूर, दोनों मिलकर दुनिया के सबसे सख्त और त्वरित जवाबी कार्रवाई वाले अभियानों में से हैं। कुछ ही समय बाद, इसकेएक सहयोगी संगठन टीआरएफ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली और कहा कि उन्होंने निर्दोष नागरिकोंकी हत्या की। मैं उसी दिन घटनास्थल पर पहुँच गया था और वहां सुरक्षा की समीक्षा बैठकहुई, जिसमें यह तय हुआ कि आतंकियों को जल्द सेजल्द पकड़ा जाए, लेकिनउससे भी पहले यह सुनिश्चित किया जाए कि वे देश छोड़कर पाकिस्तान न भाग जाएं। सुरक्षाएजेंसियों ने उसे कश्मीर छोड़कर पाकिस्तान भागने नहीं दिया। अफगान भी लश्कर-ए-तैयबा का ए-ग्रेडका कमांडर था और जिब्रान भी उच्च श्रेणी का प्रशिक्षित आतंकी था। इन्हें ट्रेस कर ऑपरेशनमहादेव में मार गिराया गया। उनके पास से तीन रायफलें बरामद हुईं, एकM4 कार्बाइन जो अमेरिकी हैऔर दोAK-47 रायफलें। जिस दिन पहलगाम में घटना हुई, उस दिन एनआईए ने घटनास्थल से खाली कारतूसजब्त किए। उन कारतूसों की फॉरेंसिक जांच पहले ही हो चुकी थी और यह तय हो गया था किवे किन रायफलों से निकले थे। जब आतंकवादी मारे गए और उनके पास से जो रायफलें मिलीं, उनकी भी फॉरेंसिक जांच चंडीगढ़ की प्रयोगशालामें रातभर चली और सौ प्रतिशत पुष्टि हुई कि उन्हीं हथियारों का इस्तेमाल हुआ था। इनमेंसे 40 कारतूसM4, 44 कारतूसAK-19 और25 कारतूस AK-47 केथे। अब कोई शक या बहस की गुंजाइश नहीं बची है कि हमला इन्हीं आतंकियों ने किया था।एनआईए ने गहराई से जांच की, करीब 1055 लोगों के बयान लिए। उनके आधार पर रेखाचित्रबनाए गएऔर ट्रैकिंग करते हुए यह पता चला कि आतंकियों ने ढोक में एक स्थान पर दो दिनठहराव लिया था। वहां के मकान मालिक, उनकेपरिवार और वृद्ध माता से पूछताछ की गई। तीनों ने आतंकियों की पहचान की और पुष्टि कीकि वे 21 अप्रेलको वहीं रुके थे और उनसे खाना भी लिया था। चेहरे की पुष्टि कैमरों से भी संतोषजनक ढंगसे हो चुकी है। 22मई को आईबी ने सूचना दी थी कि आतंकवादी एक विशेष स्थान पर छिपे हैं। इसके बाद आईबी और मिलिट्री ने मिलकर ऑपरेशन की योजना बनाईऔर 22 जुलाई को उनका लोकेशन सटीक रूप से पिन-प्वाइंट कर लिया गया। इसके बाद सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस के अधिकारियों ने मिलकर हमला किया और तीनों आतंकियों को मार गिराया।
श्री शाह ने बतायाकि शहीदों के परिजनों ने कहा था कि जब भी आतंकियों को मारें, तो उन्हें सिर में गोली मारें। संयोग से,एनकाउंटर के वक्त तीनों आतंकियों को सिर में ही गोली मारी। आज वे मारे जा चुके हैं। लेकिन पूर्व गृहमंत्री चिदंबरम को अब जवाब देना चाहिए। यह ऑपरेशन भारत सरकार ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’नाम से चलाया था क्योंकि इसमें पाकिस्तानी आतंकवादियों ने हमारीबहनों का सिंदूर छीना था। जब हमारे पास सबूत थे,तब भी दुनिया भर में कुछ लोग इस ऑपरेशन को लेकर सवाल उठा रहे थे।चिदंबरम को बताना चाहिए कि वे किसे बचा रहे थे?पाकिस्तान को? लश्कर-ए-तैयबा को? याइन आतंकियों को? क्याउन्हें शर्म नहीं आती? जबमहादेव संकल्प करता है, तोवह फिर रुकता नहीं। जिस दिन यह सवाल पूछा गया,उसी दिन ये तीनों आतंकवादी मारे गए थे। घटना भले ही पुरानी थी, पर कांग्रेस पार्टी की मानसिकता चिदंबरम साहब ने पूरी दुनिया के सामने उजागर कर दी। वोट बैंक की राजनीति के लिए वे पाकिस्तान का समर्थन करने से भी नहीं डरते। लश्कर-ए-तैयबा को बचाने से भी पीछे नहीं हटतेऔर आतंकवादियों को शरण देने से भी उन्हें कोई संकोच नहीं है।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि यही कांग्रेस पार्टी की मानसिकता है। अभी-अभी पृथ्वीराज चव्हाण का एक इंटरव्यू आया है,जिसमें उन्होंने कहा कि भाजपा को धर्म के नाम पर ऑपरेशन रखने के अलावा कुछ नहीं आता। उन्हें शायद यह मालूम नहीं है कि ‘हर हर महादेव’ सिर्फ धार्मिक नारा नहीं है। यह वह युद्ध घोष है जो छत्रपति शिवाजी महाराज की सेना ने मुगलों के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम में किया था। यह नारा भारत पर हो रहे हर प्रकार के हमले, संप्रभुता पर अतिक्रमण और सीमाओं की रक्षा के लिए प्रेरणा का प्रतीक है। पृथ्वीराज चव्हाण बताएं कि इस ऑपरेशन का वे क्या नाम रखना चाहते हैं? क्या हर चीज को हिंदू-मुस्लिम के चश्मे से देखना ज़रूरी है? भारतीय सेना के कई डिविजनों के अपने युद्ध घोष हैं, कहीं ‘प्रभु रामचंद्र की जय’है, कहीं ‘जो बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’, कहीं ‘जाट बलवान, जय भगवान’ है। क्या यह सब नारे भी अब वे नकारेंगे? कहीं 'काली माता की जय' भी बोली जाती है। ये नारे भाजपा ने नहीं दिए, ये तो जवानों के दिल से निकले हैं। इन्हें सांप्रदायिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। और कुछ लोग पूछते हैं, आज ही क्यों मारे गए? उनसे प्रश्न यह है कि वे उन्हें कब तक जिंदारखना चाहते थे? वेजिस ऊंचाई और दुर्गम स्थानों पर छिपे थे, वहाँ तक पहुँचना बेहद कठिन था। लगातार कई दिन तक सीआरपीएफ, सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने ड्रोन से निगरानी रखी,कठिन हालात में ऑपरेशन चलायाऔर तब जाकर उन्हें ढूंढ़कर मारा गया।
श्री शाह ने कहाकि आज पूरा देश कांग्रेस को देख रहा है। उनकी प्राथमिकता देश की सुरक्षा नहीं, राजनीति है। उनकी प्राथमिकता आतंकवाद का खात्मा नहीं, बल्कि वोट बैंक की रक्षा है। उनकी प्राथमिकता सीमा की सुरक्षा नहीं, बल्कि तुष्टिकरण और कथित धर्मनिरपेक्षताकी राजनीति है। लेकिन भाजपा इस सोच से सहमत नहीं हैं। ऑपरेशन सिंदूर के बारे मेंबताते हुए उन्होंने कहा कि 22 अप्रैलको हमला हुआ था, उसीदिन मेरी प्रधानमंत्री जी से बातचीत हुई। वे उस समय विदेश में थे। दोपहर लगभग 2:30 बजे बात हुई और मैं उसी शाम श्रीनगर पहुँचगया। उसी रात सुरक्षा की समीक्षा की गईऔर अगली सुबह हम उन शहीदों को श्रद्धांजलि देनेपहुंचे। वह मेरे जीवन का ऐसा दिन था जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता। एक बच्ची जिसकी शादीको सिर्फ 6 दिनहुए थे, वहविधवा बनकर हमारे सामने रो रही थी। वहां मौजूद सभी लोग इतने व्यथित थे कि किसी ने पानीतक नहीं पिया, नपीने की स्थिति थी। वह दृश्य आज भी मेरी आंखों के सामने आता है तो मैं नींद से चौंककर उठ जाता हूँ। ऐसा दर्दनाक और जघन्य अपराध मैंने पहले नहीं देखा। धर्म पूछकर, चुन-चुनकर, उनकेपरिजनों, छोटेबच्चों, वृद्धमांओं, पत्नियोंऔर बहनों के सामने उनकी हत्या की गई और लोग पूछते हैं आज ही उन आतंकियों को क्यों मारागया? क्योंकि वे यह संदेश देना चाहते थे कि कश्मीरको आतंकवाद से मुक्त नहीं होने देंगे। लेकिन भाजपा सरकार को कितने भी प्रयास करने पड़ें, सरकार करेगी और कश्मीर आतंकवाद से मुक्त होकर रहेगा, यह आदरणीय प्रधानमंत्रीश्री नरेंद्र मोदी जी का अटूट संकल्प है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी24 अप्रैल को जो बोले, वह महज एक चुनावी भाषण नहीं था,बल्कि एक संवेदनशील मुद्दे पर देश के प्रधानमंत्री का कर्तव्यबोध था। उन्होंने कहा, “22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ हमला केवल निहत्थे पर्यटकों पर नहीं, बल्कि भारत की आत्मा पर हमला था। यह एक दुस्साहसिक प्रहार था। आतंकवाद के प्रति हमारा रुख कठोर है। आतंकियों और इस हमले की साजिश रचने वालों को उनकी कल्पना से भी अधिक सजा दी जाएगी। आतंकियों के बीच जो भी बची-खुची जमीन है, उसे मिट्टी में मिला देने का समय आ गया है। 140 करोड़ भारतीय एकजुट हैं कि आतंक के आकाओं की कमर तोड़ दी जाए। भारत हर एक आतंकवादी और उनके समर्थकों की पहचान करेगा, उन्हें खोज निकालेगा और दंडित करेगा। आतंकवाद कभी भी भारत की आत्मा को नहीं तोड़ सकता। न्याय सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किया जाएगा।”
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का यह उद्घोष कि "आतंकवादियों की बची-खुची ज़मीन को मिट्टी में मिला देंगे" अब हकीकत बन चुका है। आतंकियों के ट्रेनिंग सेंटर और हेडक्वार्टर नष्ट कर दिए गए हैं।उनके लॉन्च पैड्स भी जमीन में मिला दिए गए हैं। भारतीय सेनाओं ने सिर्फ आतंकवादियोंको ही नहीं, बल्किउन्हें भेजने वालों को भी मिट्टी में मिला दिया। ऑपरेशन महादेव के तहत उन तीनों आतंकवादियोंका खात्मा कर दिया गया। यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के कहे हर शब्दको सेना, वायुसेना, नौसेना,पैरामिलिट्री फोर्सेस और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने अपने कर्तव्य के रूप में अपनाया और दृढ़ संकल्पके साथ कठोर कार्रवाई की। 23 अप्रैलको ही कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति की बैठक बुलाई गई। इस बैठक में न केवल पाकिस्तानको बल्कि पूरी दुनिया को कड़ा संदेश दिया गया कि भारत की सीमा, सेना,नागरिक और संप्रभुता के साथ कोई खिलवाड़ नहीं कर सकता, वरना इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उसीबैठक में तय किया गया कि 1960 मेंजवाहरलाल नेहरू द्वारा की गई, पाकिस्तानके पक्ष में एकतरफा सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से रोका जाएगा। वर्षों से हम मानतेआए हैं कि यह संधि एकतरफा है, जिसमेंभारत का जल पाकिस्तान को दिया गया। वहां तक कि उनके लिए नहरें बनाने के पैसे भी भारतने ही दिए थे। लेकिन अब यह जल भारत का अधिकार है,कश्मीर, पंजाब, हरियाणा,राजस्थान और दिल्ली के किसानों का हक है और वहाँ के लोगों के पीनेका पानी है। उसी समय सरकार राजस्थान तक पहुंचने वाली सिंधु की एकीकृत नहर योजना कोरोक दिया। इसके साथ-साथअटारी की जांच चौकी को बंद कर दिया गया, सार्क वीजा सुविधा समाप्त कर दी गई और24 घंटे के भीतर सभी पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रियाशुरू कर दी गई। नई दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में तैनात रक्षा, नौसेना और वायुसेना के सलाहकारों को 'अवांछित व्यक्ति'घोषित कर दिया गया और दोनों देशों के उच्चायोगों में स्टाफ की संख्या 55 से घटाकर30 कर दी गई। सीसीएस ने यह संकल्प भी लिया कि आतंकियों को भेजने वालोंऔर हमले को अंजाम देने वालों, दोनोंको दंडित किया जाएगा। इसके लिए सेना को पूरी छूट दी गई। और विपक्ष पूछता है कि कल क्याहुआ, कैसे हुआ?
श्री शाह ने कहाकि सीसीएस के फैसलों ने पूर्ववर्ती सरकारों की गलत नीतियों को पलटा। 30 अप्रैल को आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सशस्त्र बलों को"ऑपरेशनल फ्रीडम" देने का ऐतिहासिक निर्णय लिया। इसके तहत यह तय हुआ कि अब टारगेट क्या होगा, तरीका क्या होगा, समय क्या होगा, यह सब सेना और रक्षा मंत्रालय मिलकर तय करेंगे और हमारे वीर सैनिकों ने इस अधिकार को पूरी जिम्मेदारी और दक्षता के साथ निभाया। 7 मई को रात 1:04 बजे, हमारी सेनाओं ने पाकिस्तान के नौ आतंकी अड्डों को ध्वस्त कर दिया। रक्षा मंत्री जी ने लोकसभा में बताया कि इस कार्रवाई में कम से कम 100 आतंकी मारे गए, हालांकि संख्या इससे अधिक हो सकती है। लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिदीन, इन तीनों संगठनों के हेडक्वॉर्टर को मोदी सरकार के निर्देश पर हमारी सेनाओं ने तबाह कर दिया। भारत ने पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से सूचित कर दिया था कि मरकज सुभान अल्लाह (बहावलपुर), मरकज तैयबा (मुरीदके), महमूना जया कैंप (सियालकोट), शारजाह कैंप (सियारपुर), सवाई नाला कैंप (मुज़फ़्फराबाद), सैयदना बिलाल कैंप (मुज़फ़्फराबाद), गुलपुर कैंट, कोटली बर्नल कैंप (बिम्बर्ग) और अब्बास कैंप (कोटली), ये सभी अड्डे ऑपरेशन में ध्वस्त कर दिए गए हैं। यह कार्रवाई आत्मरक्षा के अधिकार के तहत की गई थी। जब ऑपरेशन समाप्त हुआ, तो कुछ लोग पूछने लगे “पीओके क्यों नहीं लिया गया?” लेकिन कांग्रेस को याद होना चाहिए कि पीओके को पाकिस्तान को कांग्रेस सरकार ने ही सौंपा था,लेकिन उसे वापस लेने का काम भारतीय जनता पार्टी की सरकार ही करेगी।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि भारत ने आतंकवाद पर उनके अड्डों,हेडक्वार्टर, ट्रेनिंगकैंप और लॉन्चिंग पैड्स पर हमला किया, लेकिन पाकिस्तान इसे अपने ऊपर हमला मान बैठा। 8 मई को उन्होंने भारत के सीमावर्ती क्षेत्रोंमें गोलीबारी शुरू की। पाक ने रिहायशी इलाकों में गोलाबारी की, गुरुद्वारे और मंदिर तक क्षतिग्रस्त किए।सेना के इंस्टॉलेशनों पर मिसाइल दागे गए, लेकिन कोई नुकसान नहीं हुआ। फिर भी भारत ने संयम रखा। भारत न जवाबीबयानबाजी की, नधार्मिक स्थलों की क्षति पर शोर मचाया। लेकिन 9 मई को, भारत ने निर्णय लिया कि पाकिस्तान की रक्षा क्षमता को कमजोर किया जाएगा और उसी दिन भारतीय सेना ने पाक के 11 डिफेंस इंस्टॉलेशनों और एयरबेस को ध्वस्त कर दिया। ये एयरबेस थे,नूर खान, मुरीद, सरगुरदा, रफीक, रहीम यार खान, जकोबाबाद, सुक्कुर, भोलारी। छह रडार सिस्टम, सुक्कुर, लाहौर, आरिफवाला, चुनीन, जकोबाबाद, सरफेस-टू-एयर गाइडेड मिसाइल सिस्टम लाहौर। पाकिस्तान लड़ने की स्थिति में ही नहीं रह गया और तब वे खुद घुटनों पर आ गए। उनके डीजीएमओ ने भारतीय डीजीएमओ को फोन करके युद्धविराम की अपील की। यह हमारे संकल्प और सामर्थ्य की जीत थी। पाकिस्तान की आम जनता को नुकसान पहुंचाना भारत का उद्देश्य नहीं था। जब पाकिस्तान ने कहा कि वे गोलीबारी रोकेंगे, तो भारत ने कहा ठीक है, रोक दीजिए। अब कुछ लोग सवाल पूछते हैं,कौन मरा? शायदउन्हें पता नहीं कि हमारे समय में कोई कार्रवाई होने पर90–95 दिन तक लगातार लोग पूछते रहते थे “क्या हुआ?”मगर उनके समय में, जबआतंकवादी हमले हुए जैसे मुंबई ट्रेन ब्लास्ट,26/11, तो उनके पीछे के मास्टरमाइंड खुले घूमतेरहे लेकिन आज ऑपरेशन सिंदूर के तहत मुंबई हमलों और अन्य आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड्समारे गए हैं। हाफिज मोहम्मद जमीर, जैश-ए-मोहम्मद का प्रमुख, मौलाना मसूद अजहर का बहनोई मुदस्सर खाद्यान, मरकज़ तैयबा का प्रभारी, मुहम्मद हमज़ाद जमील जैमऑपरेटिव, मसूद अजहर का भतीजा मोहम्मद यूनुस अजहरऔर जैश का अमीर मोहम्मद खान मारे गए। हसन खान,जैम का ऑपरेटिव मोहम्मद हसन,गंभीर रूप से घायल, जैश का वास्तविक प्रमुख अब्दुल मलिक,खालिद अब्बू, अब्बूपक्ष और नोमान मलिक इतने घायल हैं कि अब कोई गतिविधि नहीं कर सकते। यह हमला सीधे आतंकवादके “दिल”पर किया गया है, इतिहासमें पहली बार ऐसा हुआ है। पहले हमने सर्जिकल स्ट्राइक और एयरस्ट्राइक की, लेकिन वे पीओके में थीं। वो भी भारत कीही भूमि थी, क्योंकिइस सदन का संकल्प है कि पाक ऑक्यूपाइड कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। लेकिन इस बार, पहली बार,भारतीय सेना ने पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा के भीतर जाकर आतंकके अड्डों, ट्रेनिंगकैंपों और लॉन्चिंग पैड्स को नष्ट किया।
श्री शाह ने कहाकि चिदंबरम ने कहा कि “ऑपरेशनसिंदूर निर्णायक नहीं था।” तोउनसे प्रश्न यह है कि अगर 1965 कीलड़ाई निर्णायक थी, तोफिर आतंकवाद कैसे फैला? एककहावत है कि जब तक दुश्मन या तो डरता नहीं या सुधरता नहीं,तब तक वो बाज नहीं आता। इतने वर्षों तक उन्हें न डराने की कोई कोशिशहुई, न सुधारने की। हम तो बस चिट्ठियां भेजतेरहे, जवाब तक नहीं देते थे। लेकिन आदरणीय प्रधानमंत्रीश्री नरेंद्र मोदी ने जवाब दिया। सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक की गई और फिर ऑपरेशन 'सिंदूर'हुआ। शायद अब उन्हें रात में सपनों में भी भारतीय सेना की मिसाइलेंदिखती हों। डर ही शांति लाता है, येसुधरने वाले लोग नहीं हैं। चिदंबरम सवाल पूछते हैं कि सबूत क्या है कि आतंकी पाकिस्तानसे आए? हमारेएजेंसियों ने सबूत दे दिए। अफजल गुरु की फांसी तक उनके कार्यकाल में रुकी रही। मुंबईहमले के बाद दिग्विजय सिंह ने आरएसएस पर आरोप लगा दिया। मैं गर्व से कहता हूँ कि हिंदूकभी आतंकवादी नहीं हो सकता। कांग्रेस नेताओं ने फर्जी केस बनाए, एक भी साबित नहीं हो सका। कांग्रेस नेताओंने केवल घटिया राजनीति के लिए देशभक्त संगठनों पर झूठे आरोप लगाए, लेकिन फिर भी हार गए। अब कहते हैं कि भाजपाहमेशा नहीं रहेगी। पता कौन कितना रहेगा, लेकिन मैं 2015 मेंकह चुका हूं कि 30 वर्षतक देश में भाजपा की सरकार रहेगी। अब 15 वर्ष तो हो ही चुके हैं। कांग्रेस ने कभी सेना को तैयार नहीं किया।चीन के खिलाफ लड़ाई के समय सेना के पास न बंदूक थी,न कारतूस, नमाचिस, नठंड के कपड़े। आज वही सेना ब्रह्मोस से लैस है,पाकिस्तान की पूरी सुरक्षा प्रणाली आधे घंटे में ध्वस्त कर सकतीहै।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि पहले तो हम गोली भी नहीं बना पाते थे,आज लाखों करोड़ का रक्षा उपकरण विदेशों को भेज रहे हैं। बहुत सीवस्तुएं अब आयात भी नहीं होतीं, क्योंकिहम आत्मनिर्भर हो गए हैं। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आरएंडडी केलिए एक बड़ा इकोसिस्टम खड़ा किया। भारतीय सेना अब वो सेना नहीं है, जिसे नमक,चीनी और माचिस भी नहीं मिलती थी,अब वह 22 मिनटमें आतंकवादियों का सफाया कर देती है। अगर यह हमला कांग्रेस राज में हुआ होता, तो पाकिस्तान को क्लीन चिट दे दी जाती औररातों रात डोजियर बनाकर भेज दिए जाते। आज भाजपा की सरकार है,जो डोजियर नहीं भेजती, मिसाइल भेजती है। कांग्रेस को भाजपा से आतंकवाद पर सवाल पूछने काकोई हक नहीं है, क्योंकिआतंकवाद कांग्रेस की तुष्टीकरण की राजनीति की ही देन है। आज सौभाग्य है कि देश को एकऐसा नेतृत्व मिला है, जोआतंकवाद से सख्ती से निपटता है। भाजपा सरकार ने युद्ध नहीं किया, लेकिन यूएन चार्टर के अनुच्छेद 51 के अंतर्गत आत्मरक्षा के अधिकार का उपयोगकिया। 22 अप्रैलको पहलगाम में निर्दोष नागरिकों पर हमला हुआ और हमने आतंकवादियों की पूरी इकोसिस्टमको खत्म करने का अधिकारिक और अंतरराष्ट्रीय स्वीकृत उत्तर दिया। जब पाकिस्तान खुद पीछेहट गया, तोहमने भी संघर्ष विराम स्वीकार किया। लेकिन अगर यह सब कांग्रेस के समय हुआ होता, तो क्या होता?घोषित युद्ध तो उनके समय में भी हुए,लेकिन कांग्रेस ने क्या किया?
श्री शाह ने कहाकि कश्मीर,नॉर्थ ईस्ट और नक्सलवाद, ये तीन बड़े नासूर देश को विरासत में मिले थे। 30–40 वर्ष तक देश इनसे लहूलुहान रहा। लेकिन आज मोदी सरकार ने नॉर्थ ईस्ट और नक्सल क्षेत्र में हिंसा को75% तक घटा दिया है। कश्मीर में भी हालात बदले हैं। कश्मीर समस्या का मूल कारण अनुच्छेद 370 और 35A था। जिसके चलते कश्मीर का अलग झंडा, अलग संविधान था। ये दोनों अनुच्छेद कांग्रेस की देन थे और उन्होंने ही इन्हें दशकों तक चलने दिया। 5 अगस्त 2019 को यह सब खत्म हुआ। श्रद्धेय श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसी अनुच्छेद के खिलाफ बलिदान दिया और उनकी हत्या हुई। धारा 370 और 35A से हमेशा अलगाववाद को बढ़ावा मिला। इससे यह संदेश जाता रहा कि कश्मीर भारत के बाकी राज्यों जैसा नहीं है। यही सोच युवाओं को बरगलाने और उकसाने का जरिया बनी। पहले अलगाववाद की बात हुई, फिर आजादी की मांग उठी और यहीं से आतंकवाद की जड़ें पनपने लगीं। धार्मिक कट्टरता फैलाने वाले तमाम संगठन भी कांग्रेस की तुष्टिकरण की नीति के चलते फलते-फूलते रहे। जमात-ए-इस्लामी जैसे कई संगठन बच्चों, युवाओं और किशोरों के मन में धीरे-धीरे जहर भरते गए। इन्हें रोकने के बजाय चलने दिया गया, क्योंकि अगर इन्हें बैन किया जाता तो वोटबैंक नाराज हो जाता। इसी दौरान पाकिस्तान ने आतंकवादी संगठनों को खड़ा किया और उनकेप्रवक्ताओं के रूप में हुर्रियत कॉन्फ्रेंस जैसे समूहों को खड़ा किया। हर आतंकी संगठनने एक नागरिक फ्रंट ग्रुप बना लिया, जिनसेसरकारें बातचीत करती रहीं। इसका सीधा नतीजा यह हुआ कि कश्मीर में आतंकवाद और बढ़तागया।
केन्द्रीय गृहमंत्रीने कहा कि मैं यहां शम्मी कपूर जी को उद्धृत करना चाहता हूँ। जब मैं पार्टी अध्यक्षथा, तब वे मिलने आए थे। उन्होंने कहा, "अमित भाई,जब मेरा गोल्डन पीरियड था,तब मैं हर साल लगभग 30% समय कश्मीर में बिताता था। वहां शूटिंग होती थी, वहां के लोग प्रगतिशील थे, महिलाएं जागरूक थीं, धर्मनिरपेक्षता की बात होती थी, सूफी संतों का जिक्र होता था और कश्मीरीपंडित भी समाज का हिस्सा थे। लेकिन अब बच्चियाँ तक पत्थर फेंक रही हैं, क्या हो गया है?"मैंने खुद जाकर स्थिति देखी और पाया कि जमात-ए-इस्लामी ने प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पर कब्जा जमा लिया था और बच्चोंके दिल-दिमागमें जहर घोल दिया था। यह सब होता रहा, लेकिन कांग्रेस कभी भी समस्या की जड़ में नहीं गई। माननीय प्रधानमंत्रीश्री नरेंद्र मोदी ने तय किया कि अब यह और नहीं चलेगा।5 अगस्त 2019 कोसंसद में धारा 370 और 35A को समाप्त कर दिया गया। इसके साथ ही एकनए युग की शुरुआत हुई, टेररिज्म, अलगाववाद और उनकी पूरी इकोसिस्टम के सफाएका युग। 'जीरोटेरर प्लान' बनायागया, एरिया डोमिनेशन की योजनाएं बनीं, कैपेसिटी बिल्डिंग पर काम हुआ, मल्टी लेवल डिप्लॉयमेंट किए गए, तकनीक का इस्तेमाल बढ़ाया गया, जेल प्रबंधन सुदृढ़ किया गया, ड्रोन रोधी सिस्टम और आधुनिक गन तैनात कीगईं। देश ने देखा कि कई आतंकवादी मारे गए। पहले दस-दस हजार की भीड़ जनाजों में जाती थी,लेकिन सरकार ने सख्त निर्णय लिया कि आतंक में लिप्त किसी का जनाजानहीं निकलेगा, जहाँमरेगा, वहींदफन होगा।
श्री शाह ने कहाकि कांग्रेस और फारूक अब्दुल्ला की पार्टी ने इसका विरोध किया, लेकिन मोदी सरकार ने आतंक के समर्थन कोचूर-चूर कर दिया। आतंकियों के समर्थक 75 सरकारी कर्मचारियों को विधिक प्रक्रियासे बर्खास्त किया गया। कश्मीर बार काउंसिल को सस्पेंड कर,भारत के संविधान को मानने वाली काउंसिल गठित की गई। UAPA के तहत मई2022 से मई2025 के बीच2267 मामले दर्ज हुए। एनआईए और ईडी ने आतंकीफंडिंग की पूरी व्यवस्था को ध्वस्त किया। 347 संपत्तियां जब्त की गईं। जमात-ए-इस्लामीऔर ऐसे कई संगठनों पर प्रतिबंध लगाया गया। संगठनों की सूची है दी रेसिस्टेंस फ्रंट, पीपल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट, तहरीकउल मुजाहिदीन, जमातउल मुजाहिदीन, जम्मू-कश्मीर गजनवी फोर्स, खालिस्तान टाइगर फोर्स, हिजबुल तहरीर,जमात-ए-इस्लामी,जम्मू-कश्मीरलिबरेशन फ्रंट, डेमोक्रेटिकफ्रीडम पार्टी, मुस्लिमलीग, तहरीक-ए-हुर्रियत, मुस्लिम कॉन्फ्रेंस (सुमजी ग्रुप),नेशनल फ्रंट, पीपल्सफ्रंट लीग, इत्तिहाद-उल-मुस्लिमीन, अवामीएक्शन कमेटी, सिखफॉर जस्टिस, पीएफआईआदि। अब परिणाम देखिए, 2010 मेंपत्थरबाजी की 2564 घटनाएँहोती थीं, 2024 केबाद एक भी घटना नहीं। आतंकियों द्वारा घोषित बंद,साल में औसतन 132 दिनचलता था, पिछले 3 वर्ष से एक भी दिन नहीं। पत्थरबाजी मेंहर साल 112 नागरिकोंकी मौत होती थी, अबशून्य। सुरक्षा बलों के घायल होने की घटनाएँ,6235 से घटकर अब शून्य हो गईं।
श्री शाह ने कहाकि आतंकवाद की जो गहरी जड़ें कांग्रेस ने डाली थीं,उन्हें पूरी तरह समाप्त होने में समय लगेगा। हमारा प्रयास है कियह प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी हो, लेकिनयदि आप आँकड़ों की भाषा में सुनें तो कह सकते हैं कि आतंकवाद अब समाप्ति के कगार परहै। 2004 से2014 के बीच कुल7217 आतंकवादी घटनाएँ हुईं। जबकि जून 2015 से मई2025 के बीच यह संख्या घटकर 2150 रह गई,यानी 70% कीगिरावट। नागरिकों की मौत 1770 सेघटकर 357 हुई,80% की कमी। सुरक्षा बलों की शहादत1060 से घटकर542 रह गई, लगभग 49% की कमी। इसके साथ ही हमने कश्मीर में अनेक विकासकार्य भी किए हैं। लगभग ₹59,000 करोड़की लागत वाली 53 परियोजनाओंपर कार्य हुआ है। चिनाब नदी पर विश्व का सबसे ऊँचा पुल बना।8.5 किलोमीटर लंबी बनिहाल सुरंग का निर्माण हुआ। उधमपुर से श्रीनगर होतेहुए बारामूला तक रेल सेवा पहुंची। रोजगार के63,000 नए अवसर सृजित हुए। जम्मू देश का पहला शहरबना जहाँ IIT, IIM और AIIMS तीनों संस्थान स्थापित हुए। कश्मीर मेंभी इन संस्थानों पर काम प्रगति पर है। 40,000 नौकरियां दी गईं। कश्मीरी विस्थापितों को प्रतिनिधित्व मिला। कश्मीरीपंडितों में से दो सदस्यों को विधानमंडल में नामित करने का कानून लाया गया और सबसेमहत्वपूर्ण अब भारत के संविधान का झंडा कश्मीर में पूरे गर्व से फहराया जा रहा है।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि पहले कश्मीर की राजनीति केवल तीन परिवारों के इर्द-गिर्द सिमटी हुई थी। न पंच था,न सरपंच, न तहसील पंचायत थी, न जिला परिषद। आज जम्मू-कश्मीर में 34,000 से अधिक निर्वाचित जनप्रतिनिधि हैं। पहले चुनाव महज औपचारिकता हुआ करते थे। मुझे एक रिटायर्ड सेना अधिकारी ने बताया कि उनका मुख्य कार्य सुरक्षा नहीं, बल्कि फर्जी वोटिंग को रोकना होता था। प्रशासन दबाव डालता, नोटिस भेजे जाते, फिर भी वे डटे रहते। नतीजा यह होता कि केवल 3%–4% मतदान ही होता। लेकिन आज, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में लोकतंत्र ने कश्मीर में नई जान पाई है। जिला परिषद चुनाव में 63% वोटिंग हुई। सामान्य चुनावों में आज़ादी के बाद की सबसे अधिक 89.3% वोटिंग दर्ज हुई। यह सिद्ध करता है कि आज लोकतंत्र कश्मीर में वास्तव में स्थापित हो चुका है। इसके साथ ही ₹1000 करोड़ से अधिक की राशि सीधे पंचायतों को दी गई,पहले ऐसा कभी नहीं हुआ। अब सवाल उठता है, यह सब क्यों संभव हुआ?
श्री शाह ने कहाकि मैं आज इस सदन को एक ऐसी बात बताना चाहता हूँ जिसे मैंने कभी सार्वजनिक रूप से नहींकहा। लेकिन मुझे लगता है, आजसमय भी है और मंच भी। जब से आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी ने प्रधानमंत्री पद संभालाहै, उनके मन और मस्तिष्क में कश्मीर की शांतिसर्वोपरि रही है। 2015 मेंजब मैं पार्टी का अध्यक्ष बना, तोमोदी जी ने मुझे जनरल सिन्हा के घर भेजा। जनरल सिन्हा ने कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट मेंलंबे समय तक सेवा दी हैऔर NCR मेंरहते थे। मैं तीन दिन उनके घर पर बैठा, उन्होंने मुझे विस्तृत जानकारी दी। फिर कश्मीर से जुड़े 25 लोगों की एक सूची दी, जिनसे मैंने घंटों चर्चा की। मोदी जी नेभी अनेक लोगों से स्वयं संवाद किया। वे जब कुछ करते हैं,तो उसका प्रचार नहीं करते,मगर मैं इतना ज़रूर जानता हूँ कि वे कई सरपंचों से भी मिले थे। उनकेसाथ हुई बैठकों की मिनट्स मेरे पास हैं। उन्होंने युवाओं से,धार्मिक नेताओं से, जम्मू के नागरिकों से, घाटी के लोगों से, यहाँतक कि नेशनल कॉन्फ्रेंस के सांसदों से भी संवाद किया। यह विचार-मंथन2014 से ही लगातार चल रहा थाऔर आज मैं विश्वाससे कहता हूँ कि आतंकवाद अब समाप्ति की कगार पर है। एक समय था जब पाकिस्तान की तरफ सेभेजे गए आतंकियों से ज़्यादा ख़तरा हमारे ही कश्मीरी युवाओं से था, जो बंदूकें उठा लेते थे। लेकिन अब स्थितिबदल गई है। पहले आतंकी बाहर से नहीं आते थे, कश्मीरी युवा की बंदूकें उठाते थे, अब आतंकी संगठनों में एक भी कश्मीरी युवा शामिल नहीं होता। जो आतंकी मारे जा रहे हैं, वे सभी पाकिस्तान से हैं। क्यों? क्योंकि जम्मू-कश्मीर के नागरिक अब माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जीकी नीतियों को स्वीकार कर चुके हैं, उन्हेंअपना चुके हैं। पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था कि किसी बड़े आतंकी हमले के बाद घाटी मेंविरोध होता हो। लेकिन अब जब आतंक होता है, तो घाटी के लोग उसका खुलकर विरोध करते हैं। मैं घाटी और जम्मू केलोगों को साधुवाद देना चाहता हूँ। पहले कोई गाँव ऐसा नहीं था जो आतंकवाद का विरोध करे, लेकिन अब,जब पहलगाम हमले जैसी घटनाएँ होती हैं,तो हर घर में तिरंगा फहराया जाता है। जिनके बच्चे आतंक की भेंट चढ़चुके हैं, उनकेमाता-पिता भी गर्व से तिरंगा फहराते हैं। आतंकवादपर बोलने का कांग्रेस को कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि मैं कुछ तथ्य इस सदन के सामने रखना चाहता हूँ। अटल जी की सरकार नेतय किया था कि आतंकवाद के विरुद्ध सख्त कानूनी ढांचा तैयार किया जाएगा। काफी विचार-विमर्श के बाद"पोटा"कानून लाया गया ताकि आतंकियों को सजा दी जा सके। लेकिन कांग्रेसपार्टी ने इस कानून का विरोध किया। मैं आज इस सदन से पूछना चाहता हूँ। किसे बचाने केलिए किया गया था यह विरोध? हालाँकिउन्होंने विरोध किया और राज्यसभा में घेराबंदी की,लेकिन अटल जी का संकल्प मजबूत था। भाजपा का संकल्प अडिग थाऔर संयुक्तसत्र में "पोटा" कानून पारित हो गया। लेकिन कांग्रेस नेअपने घोषणापत्र में लिख दिया कि सत्ता में आते ही इस कानून को रद्द करेंगे। मैंने सोचाशायद ये केवल चुनावी वादा है, लेकिनइन्होंने वादा निभाया, पहलीही कैबिनेट बैठक में पोटा को समाप्त कर दिया। कांग्रेस आतंकवाद पर चर्चा करती है? जिसने आतंकवाद को पोषित किया, वह आज सवाल उठा रही है? इसके बाद क्या हुआ? 2005 में रामलला के टेंट पर हमला, 2006 में मुंबई लोकल ट्रेनों में धमाके, 187 मौतें,डोडा में 34 हिंदूमारे गए, 2007 मेंहैदराबाद में धमाके, 44 मौतें, यूपी में सात धमाके, 13 मौतें,2008 में रामपुर मेंCRPF कैंप पर हमला,आर्मी काफिले पर हमला, 2008 में ही मुंबई हमला, 244 मौतें, जयपुरमें आठ बम धमाके, अहमदाबादमें 21 धमाके,दिल्ली में पाँच धमाके, 2010 में पुणे की जर्मन बेकरी में बम धमाका,वाराणसी में धमाका और 2011 में मुंबई में धमाका, तीन लोग मारे गए। अब कांग्रेस हमसे पूछ रही है, "आपने क्या किया?"मैं उल्टा पूछना चाहता हूँ,आपने क्या किया? 2005 से 2011 तक आपने आतंकवाद से निपटने के लिए कौन-से कड़े कानून लाए? कौन-से निर्णायक कदम उठाए? कब जाकर पाकिस्तान पर सर्जिकल स्ट्राइक की?कब एयर स्ट्राइक की? कब ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई की?
श्री शाह ने कहाकि इस बात का जवाब कांग्रेस पार्टी को देश की जनता को देना पड़ेगा। 54 जगहों पर,देश के अलग-अलगहिस्सों में 609 नागरिकमारे गए और आज मैं गर्व के साथ, देशके गृह मंत्री के नाते, इसउच्च सदन में कहना चाहता हूँ कि मोदी सरकार में पूरे देश में,कश्मीर को छोड़कर कहीं भी आतंकवादियों की हिम्मत नहीं हुई कि हमलाकर सकें और कश्मीर में भी जब उरी की घटना हुई,तो हमने सर्जिकल स्ट्राइक करके उन्हें चेताया। पुलवामा में जब हमलाहुआ, तो एयर स्ट्राइक की और एक बार फिर चेताया।लेकिन कुछ लोग हैं जो सुधरते नहीं। जैसे टेढ़ीलकड़ी होती है, जोसीधी नहीं होती, तोहम क्या कर सकते हैं? पहलगाममें हमला हुआ, लेकिनअगली बार हम घर में घुसकर जवाब देंगे। यह हमारी नीति है और कल सुबह ही मेरी संसदीयक्षेत्र की एक वरिष्ठ कार्यकर्ता, जिनकीउम्र 80 वर्ष है,उन्होंने मुझे याद दिलाया। उन्होंने एक वीडियो भेजा जिसमें दिखायागया कि सोनिया गांधी जी के घर से सलमान खुर्शीद जी बाहर निकलते हैं, आँखों में आँसू लिए हुएऔर बाहर खड़े मीडियाके सामने कहते हैं कि “सोनियाजी पूरी रात सो नहीं पाईं।” भाई, आँसू किसलिए?बाटला हाउस एनकाउंटर में पाकिस्तान-प्रेरित आतंकवादी मारे गए थे। उसके लिए आँसू बहाना था? तो फिर बाटला हाउस में शहीद हुए मोहन शर्माके लिए आँसू क्यों नहीं बहाए? क्योंउस समय कांग्रेस पार्टी वोट बैंक की राजनीति कर रही थी?आप पूछते रहे कि आतंकवादी कहाँ गए,25 दिन हो गए, 35 दिनहो गए, 40 दिनहो गए, कोईजवाब नहीं मिला। अंत में हमारी सरकार, हमारी सेना, हमारीसीआरपीएफ ने उन्हें ढूंढ निकाला और मार गिराया। अब मैं पूछना चाहता हूँ, दाऊद इब्राहिम,जिसने मुंबई में सीरियल धमाके कराए,वह किसके शासन में भागा? कांग्रेस के शासन में। सैयद सलाउद्दीन किसकेशासन में भागा? कांग्रेसके। टाइगर मेमन, अनीसइब्राहिम, मिराजभटकर, इकबाल भटकर,नीरजा सदाब ये सब किसके राज में भागे?कांग्रेस के राज में। इसका जवाब कौन देगा?क्योंकि कांग्रेस को मालूम था कि इन प्रश्नों का सामना करना पड़ेगा, इसलिए वे बहिष्कार पर उतर आए। आतंकवादियोंको भगायाऔर खुद भी भाग गए। हमने बीते11 सालों में UAPA (Unlawful Activities PreventionAct) में संशोधन किया।2019 में हुए इस संशोधन के तहत हमने 57 लोगों को आतंकवादी घोषित किया। एनआईए कानूनमें भी संशोधन करके उन्हें अंतरराष्ट्रीय जांच के अधिकार दिए। हमने NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम) का सख्ती से उपयोग किया। हमने अनुच्छेद 370 को हटाया,पीएफआई को बैन किया, MAC (मल्टी एजेंसी सेंटर) को मज़बूत किया, ICGS (Indian Cyber Grid Structure) की स्थापना की, NATGRID केज़रिए पूरे देश के आतंकी नेटवर्क को एक क्लिक पर जोड़ाऔरPMLA कानून के जरिए टेरर फाइनेंसिंग पर भी नकेलकसी। हमने पूरे देश में आतंकवाद के खिलाफ एक सशक्त इकोसिस्टम खड़ा किया है। कल कोईपूछ रहा था कि ये आतंकवादी आते कैसे हैं? मैं फिर से स्पष्ट करना चाहता हूँ,वे कई बार ज़मीन के नीचे सुरंगें बनाकर घुसते हैं। कुछ जगहों परऐसे नाले हैं जिनमें इतना तेज बहाव होता है कि वहाँ चौकियाँ लगाना संभव नहीं। लेकिनहम तकनीकी उपाय कर रहे हैं। कुछ ही समय में इन्हें भी रोकने के उपाय पूरे हो जाएंगे।मगर सवाल यह है कि इनके पीछे की ताक़त क्या है?
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि राहुल गांधी ने 2011 मेंकहा था कि "सभीआतंकी हमलों को रोकना संभव नहीं है।" औरयही नहीं, पंडितजवाहरलाल नेहरू ने कहा था, "घुसपैठियोंको कोई रोक ही नहीं सकता।" मैंमानता हूँ कि आज भी पाकिस्तान की ओर से कुछ आतंकी हमले हो जाते हैं, कुछ घुसपैठ भी होती है, लेकिन वह बहुत कम हो चुकी है। मैं जिम्मेदारीसे बोलने वाला व्यक्ति हूँ। देश की जनता मुझे सुन रही है। मैं कह रहा हूँ कि आतंकीघटनाएँ और घुसपैठ काफी कम हो चुकी हैं, मगर इसका मतलब यह नहीं कि हम कभी हथियार डाल देंगे। हम डटे हुए हैं, संकल्पबद्ध हैं। मैं यह सदन के माध्यम सेकहना चाहता हूँ कि आतंकवाद और घुसपैठ को पूरी तरह समाप्त करने के लिए मोदी सरकार पूरीदृढ़ता के साथ काम कर रही है। कल मैंने राहुल गांधी का बयान सुना। उन्होंने पूछा किप्रधानमंत्री चीन के खिलाफ क्यों नहीं बोलते?बार-बारयही बात दोहराते हैं, "चीनके लिए नहीं बोलते, चीनके लिए नहीं बोलते।" उनकेवरिष्ठ नेता कोई मार्गदर्शन नहीं करते कि क्या बोलना चाहिए,कैसे बोलना चाहिए—बसबोलते जाते हैं। पर मैं पूछना चाहता हूँ, जब चीन के साथ युद्ध समाप्त हुआ,तब आपने क्या किया? चीन से युद्ध के बाद हमारा38000 वर्ग किलोमीटर भू-भाग चीन को सौंप दिया गया,जिसे आज अक्साई चिन कहते हैं। यह काम1955 में कांग्रेस पार्टी और आपके नाना, पंडित नेहरू ने किया था। देश के बहुत कमलोग यह जानते हैं। और जब मैंने कल यह बात कही,तो कहा गया कि मैं झूठ बोल रहा हूँ। इसलिए आज मैं प्रमाण लेकर आयाहूँ, Selected Works of Jawaharlal Nehru, Volume 29, पृष्ठ 231।इसमें स्वयं नेहरू जी का बयान है कि अमेरिका की ओर से यह सुझाव आया था कि चीन को संयुक्तराष्ट्र का सदस्य तो बनाया जाए, लेकिनसुरक्षा परिषद की स्थायी सीट भारत को दी जाए।
श्री शाह ने कहाकि कोई भी जिम्मेदार प्रधानमंत्री होता, तो तुरंत सहमति देता और भारत को सुरक्षा परिषद की स्थायी सीट मिलजाती। आज मोदी जी को वह प्रयास करने की जरूरत भी न पड़ती। परन्तु नेहरू जी ने कहा, "हम यह स्वीकार नहीं कर सकते। अगर चीन जैसेमहान देश को सुरक्षा परिषद में नहीं रखा जाता,तो सुरक्षा परिषद का कोई मतलब नहीं रह जाता।" यही है कांग्रेस का चरित्र। नाना तो बहुतपहले की बात हो गई। अब बात करते हैं बेटे-पोते की। राहुल गांधी ने राजीव गांधी फाउंडेशन, जिसकी चेयरपर्सन उनकी माता श्रीमती सोनियागांधी थीं, केमाध्यम से चीन से MOU किया, विदेशी चंदा लिया। हमने इस पर कार्रवाईकरते हुए FCRA कानूनके तहत उसका लाइसेंस रद्द कर दिया। क्या राहुल गांधी देश की जनता को एक प्रेस कॉन्फ्रेंसकर के बता सकते हैं कि चीन के साथ क्या समझौते किए गए?कितनी राशि ली गई? जबहमारे जवान डोकलाम में चीन की सेना की आँखों में आँख डालकर डटे हुए थे, तब राहुल गांधी चीन के राजदूत से गुपचुपबैठकें कर रहे थे। यह कोई नया चीन प्रेम नहीं है,यह तो पीढ़ियों से चला आ रहा है।"हिंदी-चीनी भाई-भाई" से शुरू हुआ,फिर राजीव गांधी फाउंडेशन तक और अब गुप्त बैठकों तक पहुँच गया है।और अब हमसे पूछते हैं कि आपने चीन का नाम क्यों नहीं लिया?हम कब और क्या बोलना है, यह जानते हैं। हमारे विदेश मंत्री ने संसद में बहुत ही मजबूती सेइसका जवाब दिया। हर बात प्रधानमंत्री को बोलनी जरूरी नहीं होती। पर आप यह बताइए, चीन के राजदूत से आप युद्ध जैसी स्थितिमें कैसे बात कर सकते हैं? आपप्रतिपक्ष के नेता हैं और आज 30000 वर्गकिलोमीटर भूमि चीन के कब्जे में है। और जब सवाल पूछा गया तो गैर-जिम्मेदाराना उत्तर दिया गया, "वहाँ तो घास का तिनका भी नहीं उगता।"
श्री शाह ने कहाकि नेहरू जी के सिर पर भी बाल नहीं थे, तब हमारे महावीर त्यागी जी ने कहा था,"तो क्या आपके सिर को भी चीन को सौंप दें?" यही है कांग्रेस की जवाबदेही की भावना।और अब संधि की बात करते हैं, 1971 केयुद्ध में जब हमारी विजय हुई, इंदिरागांधी देश की प्रधानमंत्री थीं। 93000 पाकिस्तानीसैनिकों को हमने युद्धबंदी बनाया। क्या उस समय पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) को नहीं माँगना चाहिए था? यदि इंदिरा गांधी उस वक़्त PoK की बात समझौते में लिखवा लेतीं, तो आज देश में आतंकवाद पनप ही नहीं सकताथा। हमारे कब्जे में पाकिस्तान का 15000 वर्गकिलोमीटर क्षेत्र था, वहभी पाकिस्तान को लौटा दिया गया। बदले में पाकिस्तान ने हमारे सिर्फ 54 युद्धबंदियों को नहीं लौटाया और आज तक उनकेपरिजन उनकी राह देख रहे हैं। क्या यह संवेदनशीलता है?क्या यह कूटनीतिक समझौता था?जनरल माणिक शॉ जिन्हें 1971 के युद्ध का आर्किटेक्ट कहा जाता है,उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था कि शिमला में भुट्टो ने भारत केनेतृत्व को मूर्ख बनाया। वह इंटरव्यू अंग्रेज़ी में है,इसलिए मैं उसका पूरा उद्धरण दे रहा हूँ,"I told her (इंदिरा गांधी)that he (भुट्टो)has made a monkey out of you." और ये लोग हमसेसवाल कर रहे हैं कि हमने युद्ध सिद्ध नहीं किया था। हमारा हमला सीमित था, आतंकवाद के खिलाफ थाऔर आत्मरक्षा के अधिकारके तहत किया गया था।
श्री अमित शाहने कहा कि राहुल गांधी को अगर पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर की चिंता है, तो भारतीय जनता पार्टी ही वो पाश (Pressure) ला सकती है। आप नहीं ला पाए, कांग्रेस पार्टी नहीं ला पाई, हम हैं जो उसे ला रहे हैं। पाक अधिकृत कश्मीरकी बात छोड़िए, पाकिस्तानकी रचना ही कांग्रेस पार्टी ने की थी। मैं कम से कम इतनी ज़िम्मेदारी से कह सकता हूँकि अगर मैं उस समय निर्णायक स्थिति में होता,तो भारत माता के टुकड़े करने वाले दस्तावेज़ों पर कभी हस्ताक्षरनहीं करता। उम्र हो गई थी, जल्दीथी प्रधानमंत्री बनने की और देश के टुकड़े कर दिए,आज भी रातों को देश उस फैसले पर पछताता है। आतंकवाद के मुद्दों परअंतरराष्ट्रीय मंचों पर देश की फज़ीहत हुई, मुंबई और अटारी हमलों के बाद शर्म-अल-शेखसम्मेलन हुआ, जिसेपूरी दुनिया की डिप्लोमेसी में 'बलूचिस्तानब्लंडर' केनाम से जाना जाता है। उसमें प्रस्ताव रखा गया कि दोनों देश आतंकवाद के शिकार हैं। अबभला, दुनिया में कोई पाकिस्तान को आतंकवाद काशिकार कैसे कह सकता है? मरेतो हमारे लोग हैं, हमारेजवान मारे गए हैंऔर आपने पाकिस्तान को प्रमाण पत्र दे दिया। भारत-पाकिस्तान के संयुक्त बयान में बलूचिस्तानका ज़िक्र किया गया। ये उनका आंतरिक मामला था,हमारा उससे कोई लेना-देना नहीं था। बलूचिस्तान में जो घटनाएं हो रही थीं, उन्हें मनमोहन सिंह ने स्वीकार कर लियाऔर उसके बाद वे कहते हैं, टेररकी घटना और वार्ता साथ-साथचले?
केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा कि उसके बीच कोई तालमेल था ही नहीं। भगवान भला करे देश की जनता का, जिसने आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी कोप्रधानमंत्री बनाया आयर उन्होंने उस परंपरा को समाप्त कर दिया। अब जब तक आतंकवाद नहींरुकेगा, तबतक कोई वार्ता नहीं होगी। यह आज की ही नीति हैऔर आज भी लागू है। जो लोग विदेश नीतिपर सवाल उठा रहे हैं, मैंउनसे कहना चाहता हूं कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने G20 को सिर्फ एक सम्मेलन नहीं रहने दिया। राजीवगांधी फाउंडेशन एक स्टडी करवा ले, हरदेश में G20 उनकीराजधानी में होता है, लेकिनमोदी जी ने G20 कोहर राज्य तक पहुंचाया। हमारे मन की संस्कृति,हमारी क्षमताएं, हमारालोकतंत्र, इनसभी को दुनिया के सामने नरेंद्र मोदी ने रखा। पूरी दुनिया स्वीकार कर रही है कि अबतक के सभी G20 सम्मेलनोंमें भारत में हुआ सम्मेलन सबसे सफल रहा और इसी वजह से,दुनिया के कई राष्ट्राध्यक्षों ने नरेंद्र मोदी को सम्मानित कियाहै। कोई एक-दोनहीं, कुल27 देशों ने आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी को अपने सर्वोच्च नागरिकसम्मान से नवाज़ा है। यह सम्मान केवल आदरणीय श्री नरेन्द्र मोदी जी का नहीं है, बल्कि भारत के प्रधानमंत्री का है, भारत की140 करोड़ जनता का है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी नेदेश को गौरव दिलाया है। उनका नेतृत्व भावुक नहीं है,क्योंकि भावुक नेतृत्व रोने लगता हैऔर कई बार कमज़ोर भी पड़ जाताहै। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी का नेतृत्व संवेदनशील भी है, निर्णायक भी है और ठोस भी है।
श्री शाह ने कहाकि धारा370, ऑपरेशन सिंदूर छोड़िए, कोरोना महामारी जैसी विपत्ति इस शताब्दी में भारत पर पहले कभी नहीं आई थी। लेकिन माननीय प्रधानमंत्रीश्री नरेन्द्र मोदी जी अडिग रहे, अपने रास्ते पर डटे रहे। और जब कोरोना समाप्त हुआ, तब पूरी दुनिया ने कहा कि सबसे अच्छा प्रबंधनभारत ने किया। मैं उन लोगों से मिला था जो इस पर स्टडी कर रहे थे। जब कारण पूछा गया, तो सभी ने कहा,दुनिया के बाकी देशों में सिर्फ सरकारें कोरोना से लड़ रही थीं, लेकिन भारत में प्रधानमंत्री, भारत सरकार,राज्य सरकारें और 140 करोड़लोग एक साथ लड़ रहे थे। लोग मज़ाक उड़ाते थे,कहते थे, घंटीबजाने से कोरोना चला जाएगा, दीयाजलाने से चला जाएगा, कर्फ्यूसे भाग जाएगा। पर उन्हें यह नहीं पता था कि वह सब लोगों में जागरूकता लाने के तरीकेथे। मुझे अच्छी तरह याद है, जबआदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने वैक्सीन बनाने के लिए टीम गठित की थी, तो कांग्रेस के नेता मज़ाक उड़ा रहे थेकि क्या भारत टीका बना पाएगा? लेकिनभारत सबसे पहले वैक्सीन बनाने वाले देशों में शामिल हुआ और उसी के कारण हम कोरोना सेबच पाए।
श्री शाह ने कहाकि बीते11 वर्षों में भारत की क्षमता को दुनिया ने स्वीकारा है। भारत अब 11वें से चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। हमारा जीडीपी अब 4.19 ट्रिलियन डॉलर हो गया है। डिजिटल अर्थव्यवस्था एक ट्रिलियन डॉलर की बन चुकी है। प्रति व्यक्ति आय68,572 से बढ़कर 1,33,488 हो गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क 60% बढ़ा है। आज भारत में 159 ऑपरेशनल एयरपोर्ट हैं, जबकि माननीय प्रधानमंत्रीश्री नरेन्द्र मोदी जी ने जब शुरुआत की थी, तब केवल 74 थे। 136 वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैंऔर 1500 ट्रेनें 'अमृत स्टेशनों' के अंतर्गत विकसित हो रही हैं। भारतीय रेलवे का 90% से ज़्यादा हिस्सा अब विद्युतीकृत हो चुका है। भारत आज दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल फोन उत्पादक देश बनने के कगार पर है। तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन चुका है। मोदी सरकार के दौरान 118 यूनिकॉर्न तैयार हुए हैं। रक्षा क्षेत्र में हमारा उत्पादन 1.27 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है और निर्यात 21,000 करोड़ रुपए हो गया है। विश्व का सबसे बड़ा पुल, सबसे लंबा पुल, सबसे लंबा 'अटल सेतु', भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट रेल पुल और सबसे बड़ा नेशनल हाइवे, सभी मोदी सरकार के कार्यकाल में बने हैं। सबसे बड़ी बात, जो लोग पीढ़ियों से गरीबी में जी रहे थे, उन्हें पहली बार घर मिला, घर में बिजली, शौचालय, गैस, पीने का साफ़ पानी मिला। 60 करोड़ लोगों को 5 किलो मुफ्त अनाज और 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज मिला। यह किसी एक योजना का नहीं, यह उस सोच का परिणाम है जो गरीब को अधिकार और सम्मान दोनों देती है।
श्री अमित शाहने कहा कि ये सब बातें कुछ लोग समझ नहीं पा रहे हैं। आपकी जो भी इच्छा हो, लेकिन मैं इस सदन में पूरी ज़िम्मेदारीऔर विश्लेषण के साथ कहना चाहता हूँ कि जब भी आज़ादी के100 वर्षों के बाद भारत का इतिहास लिखा जाएगा,मोदी युग स्वर्ण अक्षरों में अंकित होगा। कई ऐसी बातें थीं जो भारतके स्वाभिमान, हमारीसांस्कृतिक अस्मिता और ऐतिहासिक गौरव से जुड़ी थीं,लेकिन उन्हें 75 वर्षोंतक लटकाकर रखा गया। आज मैं एक सूची पढ़ना चाहता हूँ,उन उपलब्धियों की, जिन्होंनेआत्मगौरव को पुनः जागृत किया है और वास्तविक विकास को धरातल पर उतारा है। हमने अनुच्छेद 370 को हटा दिया,तीन तलाक की कुप्रथा समाप्त की,समान नागरिक संहिता (UCC) पर प्रक्रिया प्रारंभ हो चुकी है,राम मंदिर का निर्माण भव्यता के साथ अयोध्या में हो रहा है। नई शिक्षानीति के तहत मातृभाषा में शिक्षा पर बल दिया गया। काशी,उज्जैन, शारदापीठ, करतारपुर कॉरिडोर का पुनरुद्धार हुआ। राजपथका नाम बदलकर कर्तव्य पथ किया गया। युवाओं को वैश्विक पहचान मिली, नया नौसेना ध्वज आया जिसमें वीर छत्रपतिशिवाजी महाराज की प्रेरणा है। संसद के अंदर सेंगोल की स्थापना हुई, जो हमारी परंपरा और शक्ति का प्रतीक है।राष्ट्रीय युद्ध स्मारक का स्वदेशी निर्माण हुआ। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह का नाम बदलकर सुभाष द्वीप और अन्य नामों से हमारेवीरों को सम्मान दिया गया। ये सब सिर्फ उपलब्धियाँ नहीं हैं,ये एक युग का पुनरुत्थान है।
केन्द्रीय मंत्रीश्री अमित शाह ने कहा कि मुझे एक विदेशी पत्रकार ने कहा था", अब भारत को कोई रोक नहीं सकता।" मैंने पूछा, "क्यों?" उसने जवाब दिया, "अब तक भारत ने खुद अपना लक्ष्य तय नहीं किया था। लेकिन अब आदरणीय प्रधानमंत्रीश्री नरेन्द्र मोदी जी ने स्पष्ट कर दिया है कि जब भारत आज़ादी के100 वर्ष पूरे करेगा, तब हर क्षेत्र में वह दुनिया में नंबर 1 होगा।" मुझे विश्वास है कि मोदी जी का वह संकल्प आज 140 करोड़ भारतीयों का संकल्प बन चुका है। शायद हम में से कई 2047 में न हों, पर जो भारतवासी तब होंगे, वे देखेंगे कि भारत विश्व का नंबर एक देश बन चुका है। यदि भारत को नंबर एक बनना है, तो हमारी बाहरी और आंतरिक सुरक्षा सर्वोपरि है। ऑपरेशन सिंदूर और ऑपरेशन महादेव का ज़िक्र करते हुए मैं देश की जनता को आश्वस्त करना चाहता हूँ, अगर युद्ध होता है तो हमला वहाँ से भी होता है,लेकिन यहाँ से एक भी हमला ऐसा नहीं जाएगा जिसका जवाब न दिया जाए। आतंकवाद को हम जड़ से समाप्त करके रहेंगे। 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद का अंत निश्चित है। इसमें किसी प्रकार की संसय नहीं है। अंत में, इस अभियान में जिन-जिन सदस्यों ने भाग लिया है, मैं उन्हें बहुत सम्मान और आभार के साथ धन्यवाद देता हूँ। विशेष रूप से ऑपरेशन महादेव में जिन्होंने योगदान दिया, उन्हें संसद की ओर से और मेरी व्यक्तिगत ओर से हार्दिक साधुवाद।