SALIENT POINTS OF BJP NATIONAL PRESIDENT SHRI AMIT SHAH ADDRESSING A SEMINAR ON "LIFE AND MISSION OF CHANAKYA IN TODAY'S CONTEXT" IN PUNE (MAHARASHTRA)

Press, Share | Jul 08, 2018

08 July 2018

भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह द्वारा पुणे में ‘आर्य चाणक्य - जीवन और कार्य: आज के संदर्भ में' विषय पर आयोजित व्याख्यान में दिए गए उद्बोधन के मुख्य बिंदु

आर्य चाणक्य के विचार और उनकी नीतियाँ जितनी आज से लगभग 24 सौ वर्ष पूर्व प्रासंगिक थीं, उतने ही आज भी प्रासंगिक हैं और हजारों साल बाद भी रहेगी
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प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की ‘सबका साथ, सबका विकास' की लोक-कल्याणकारी नीति में आर्य-चाणक्य का अर्थतंत्र झलकता है
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आर्य चाणक्य ने ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में ही राज शासन में से परिवारवाद को ख़त्म करने की परिकल्पना की थी
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आज भारतीय जनता पार्टी प्रधानमंत्री श्री नेरन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में देश की राजनीति में से परिवारवाद को ख़त्म करने का संवाहक बनी है
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आर्य चाणक्य ने सिद्धांत प्रतिपादित किया था कि राष्ट्र महान होता है, राजा नहीं। राजा तो संविधान का पहला दास और जनता का पहला सेवक होता है। आज हमें गर्व है कि देश में श्री नरेन्द्र मोदी जी के रूप में एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो अपने को जनता का प्रधान सेवक बताते हैं और रात-दिन उनकी भलाई में लगे रहते हैं
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आर्य चाणक्य के जीवन से हम सभी राजनीतिक लोगों को प्रेरणा लेनी चाहिए कि किस तरह निस्वार्थ भाव से राष्ट्र के लिए अपने आप को खपाया जाता है
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आदिकाल से लेकर आज तक हमने बाहर जाकर किसी राष्ट्र पर कभी कोई आक्रमण नहीं किया है, यही हमारा दर्शन है
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दुनिया के सभी राष्ट्र जियो पॉलिटिकल देश हैं, केवल भारत ही जियो कल्चरल राष्ट्र है
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आर्य चाणक्य के सिद्धांतों पर चलते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हम भारत माता को पुनः विश्वगुरु के पद पर प्रतिष्ठित करने के लिए कृतसंकल्पित हैं
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आर्य चाणक्य ने राजा और राज्य को दैवी सिद्धांत से बाहर निकालकर राष्ट्र की अस्मिता, संस्कृति, भाषा और परंपरा से जोड़ा
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भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह ने आज गणेश कला क्रीड़ा मंच, स्वारगेट (पुणे, महाराष्ट्र) में रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी के तत्वाधान में आयोजित ‘आर्य चाणक्य - जीवन और कार्य: आज के संदर्भ में' विषय पर एक व्याख्यान को संबोधित किया और देश के नागरिकों से आर्य चाणक्य के जीवन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए एकजुट होकर काम करने का आह्वान किया।

आर्य चाणक्य के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए श्री शाह ने कहा कि उनका व्यक्तित्व इतना व्यापक और विशाल है कि इसे शब्दों और वक्तव्यों में समाहित किया ही नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि यह हमारे लिए दुर्भाग्य की बात है कि आर्य चाणक्य किंवदंती के रूप में ही याद किये जाते हैं जबकि इतने बड़े भू-भाग वाले देश की नीतियों, सिद्धांतों और विचारों पर उनका सदियों तक प्रभाव रहा। उन्होंने आर्य चाणक्य की जीवन और दर्शन पर व्याख्यान आयोजित करने के लिए रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी सस्थान का अभिनंदन करते हुए कहा कि इस अनमोल कार्य के लिए संस्था एवं उनकी टीम हार्दिक बधाई के पात्र हैं।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि विदेशी आक्रमणकारियों एवं देश के अन्दर शासकों की अराजकता के कारण भारत कठिन परिस्थितियों से गुजर रहा था और इसी स्थिति में तक्षशिला के आचार्य विष्णुगुप्त (आर्य चाणक्य) ने निश्चय किया कि यदि अब भारत को एक सूत्र और एक साम्राज्य में नहीं पिरोया गया तो हमारा अस्तित्व, हमारी संस्कृति और हमारी परम्पराएं विलुप्त हो जायेंगी। ऐसी परिस्थिति में आर्य चाणक्य ने देश को मजबूत शैक्षिक, आर्थिक, प्रशासनिक व्यवस्था की राह दिखाई। आर्य चाणक्य ने एक ऐसे मजबूत भारतवर्ष की नींव रखी कि एक हजार वर्षों तक किसी भी विदेशी आक्रमणकारियों की भारत पर आक्रमण करने की हिम्मत नहीं पड़ी। उन्होंने सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक रूप से एक सुरक्षित और मजबूत राष्ट्र का निर्माण किया। उस वक्त भारत के पास विश्व की सबसे विशाल सेना थी और राजमार्ग ऐसा था कि एक साथ 20 हाथी चल सकते थे।

श्री शाह ने कहा कि मौर्य काल में दुनिया की अर्थव्यवस्था में भारत की भागीदारी 35% थी। लगभग 15 सौ ईस्वी तक भारत दुनिया की अर्थव्यवस्था में पहले स्थान पर था। यही बताने के लिए काफी है कि आर्य चाणक्य की अर्थनीति कितनी सुदृढ़ थी।

श्री शाह ने कहा कि आर्य चाणक्य ने सिद्धांत प्रतिपादित किया था कि राष्ट्र महान होता है, राजा नहीं। राजा तो संविधान का पहला दास और जनता का पहला सेवक होता है। आज हमें गर्व है कि देश में श्री नरेन्द्र मोदी जी के रूप में एक ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो अपने को जनता का प्रधान सेवक बताते हैं और रात-दिन उनकी भलाई में लगे रहते हैं।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि आर्य चाणक्य का अर्थशास्त्र और नीतिशास्त्र आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि ईसा पूर्व चौथी शताब्दी में था और यह आने वाले हजारों वर्षों तक उतनी ही प्रासंगिक रहेगी। उन्होंने कहा कि आर्य चाणक्य ने पहली बार परिवारवाद के आधार पर शासन की परंपरा का खुलकर विरोध किया था, उनका स्पष्ट मानना था कि श्रेष्ठ को ही ज्येष्ठ होना चाहिए और यदि राजा का एक ही पुत्र हो और वह विनीत या सक्षम नहीं हो तो राजपुरोहित को राजा को चुनने का अधिकार होना चाहिए। आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी देश की राजनीति में से परिवारवाद को ख़त्म करने का संवाहक बनी है। उन्होंने कहा कि आर्य चाणक्य ने राजा,राज्य, अर्थशास्त्र, रक्षा और विदेश नीति की जो व्याख्या उस समय की थी, आज भी वे उतने ही प्रासंगिक हैं।

श्री शाह ने कहा कि आर्य चाणक्य ने राजा और राज्य को दैवी सिद्धांत से बाहर निकालकर राष्ट्र की अस्मिता, संस्कृति, भाषा और परंपरा से जोड़ा। आर्य चाणक्य ने सप्तांग सिद्धांत के तहत राजा और राज्य के कार्यों का निर्धारण किया।

भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आर्य चाणक्य ने विदेश नीति की व्याख्या करते हुए उल्लेख किया है कि विदेश और व्यापार नीति देश के लिए होती है और इसे किसी भी परिस्थिति में देश की सुरक्षा के ऊपर नहीं रखा जा सकता। उन्होंने एक अमात्य राक्षस के साथ आर्य चाणक्य के उद्धरण की चर्चा करते हुए कहा कि आर्य चाणक्य ने कभी भी संस्कृति और परंपरा के बाहर जाकर विस्तारवादी नीति को बढ़ावा नहीं दिया। श्री शाह ने कहा कि आज तक भारत ने किसी देश पर आक्रमण नहीं किया है क्योंकि भारत आज भी भू-संस्कृति की अवधारणा पर विश्वास करता है। उन्होंने कहा कि दुनिया के सभी राष्ट्र जिओ पॉलिटिकल देश हैं जबकि भारत एकमात्र ऐसा राष्ट्र है जो जिओ कल्चरल देश है।

श्री शाह ने कहा की आर्य चाणक्य ने शिक्षा के उद्देश्य, स्वरूप और संचालन पर भी प्रकाश डाला है। उन्होंने एक दृष्टांत का उल्लेख करते हुए कहा कि आर्य चाणक्य का जीवन त्याग, सादगी और सिद्धांत का प्रतीक रहा है। आर्य चाणक्य का जीवन राजनीति में काम करने वाले हम सभी लोगों के लिए अनुकरणीय और प्रेरणादायक है। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि आर्य चाणक्य द्वारा रचित हर ग्रंथ हमारे लिए ज्ञान का कभी न ख़त्म होने वाला अक्षय स्रोत है। उन्होंने आर्य चाणक्य की नीतियों एवं उनके सिद्दांतों को पांडुलिपि में प्रतिबद्ध करने के लिए पंडित श्याम शास्त्री जी को भी याद करते हुए उन्हें अपनी विनम्र श्रद्धांजलि दी। उन्होंने कहा कि आर्य चाणक्य के ग्रंथ अर्थशास्त्र, लगभग 6000 श्लोकों, 15 अधिकरणों, 180 प्रकरणों और 150 अध्यायों में विभक्त है। श्री शाह ने ख़ास तौर पर आर्य चाणक्य की अर्थनीति और नीतिशास्त्र पर विस्तार से प्रकाश डाला और कई महत्वपूर्ण नीतियों पर चर्चा की।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आर्य चाणक्य के कर संग्रह के लिए ‘पुष्प और भँवरे' के सिद्धांत का उल्लेख करते हुए कहा कि कर संग्रह इस तरह से होना चाहिए जैसे भंवरा पुष्प से मधु इकठ्ठा करता है। पुष्प की सुगंध भी कम नहीं होती और मधु भी संगृहीत हो जाता है। आर्य चाणक्य ने नए व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए तीन से नौ साल तक कर में छूट देने की वकालत की थी। उन्होंने कहा कि आर्य चाणक्य ने कर नीति को चार भागों में विभक्त करते हुए अप्राप्त को प्राप्त करना, प्राप्त को रक्षित करना, रक्षित की वृद्धि करना और कोष से जनता तक समान रूप से फायदा पहुंचाना के सिद्धांत की परिकल्पना की थी। उन्होंने कहा कि आर्य चाणक्य समस्त प्रजा के सर्वांगीण कल्याण की नीति पर अमल करते थे, एक ऐसी नीति पर जिससे अंतिम व्यक्ति का विकास हो सके, ‘सबका साथ, सबका विकास' हो सके। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की ‘सबका साथ, सबका विकास' की लोक-कल्याणकारी नीति में आर्य-चाणक्य का अर्थतंत्र स्पष्ट रूप से झलकता है। उन्होंने कहा कि आर्य चाणक्य ने ईसा से 4 शताब्दी पूर्व रेग्युलेटर की अवधारणा विकसित की थी जो स्वतन्त्र और राजाज्ञा से ऊपर होता था। आज हम रेग्युलेटर को आरबीआई और सेबी के रूप में देखते हैं।

श्री शाह ने कहा कि आर्य चाणक्य ने ही ‘साम, दाम, दंड और भेद' की व्याख्या की थी और इसपर विस्तार से सिद्धांतों का प्रतिपादन किया था।

राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि आर्य चाणक्य की रचनाओं को संकलित और प्रकाशित किया जाना चाहिए। उन्होंने रामभाऊ म्हालगी प्रबोधिनी संस्थान का आह्वान करते हुए कहा कि आर्य चाणक्य की नीतियों एवं राजनीति, प्रशासन और अर्थशास्त्र से सम्बंधित ज्ञान को जनसुलभ करने के लिए प्रयास किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत के ज्ञान सूत्रों और आर्य चाणक्य की नीतियों का उनके जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा है और इससे उनके सोचने और समझने की शक्ति भी परिवर्द्धित हुई है।

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