Union Home and Cooperation Minister Shri Amit Shah replied to the discussion on Criminal Procedure (Identification) Bill 2022 in Rajya Sabha

Press, Share | Apr 06, 2022

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमितशाह ने आज राज्य सभा में दंड प्रक्रिया (शनाख्त)विधेयक 2022 पर चर्चा का जवाब दिया

इस बिल का प्रमुख उद्देश्य है देश में अदालतों में जाने वाले मामलों में दोष सिद्धि का प्रमाण बढ़ाना है

 साथ ही इस बिल का उद्देश्य पुलिस और फॉरेंसिक टीम की कैपेसिटी बिल्डिंग करना, थर्ड डिग्री का कम से कम इस्तेमाल करके दोष सिद्धि के लिए प्रॉसीक्यूशन ऐजेंसी को साइंटिफ़िक एवीडेंस उपलब्ध कराना और डेटा को सुरक्षित प्लेटफार्म पर रखकर उसे निश्चित प्रक्रिया के तहत साझा कर किसी भी नागरिक की प्राइवेसी को रिस्क में न डालते हुए एक व्यवस्था तंत्र बनाना है

विपक्ष के एक भी सदस्य ने ये नहीं कहा कि दोष सिद्धि का प्रमाण कम है और उसे बढ़ाना चाहिए

हम किस प्रकार का क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम चाहते हैं?  दोष सिद्धि का हमारा प्रतिशत क्या है ?

हत्या में सिर्फ़ 44.1 प्रतिशत लोगों को हम सज़ा दिला पाते हैं, बलात्कार में 39.3 प्रतिशत, चोरी में 38.4 प्रतिशत, डकैती में 29.4 प्रतिशत और बाल अपराध में 37.9 प्रतिशत लोगों को सज़ा करा पाते हैं  

 

हमारा क़ानून शक्ति के हिसाब में बच्चा है जबकि दूसरे देशों में इससे कहीं अधिक कठोर क़ानून बने हैं

 

कोई भी सरकार विधि से स्थापित होती है और लोगों के मेन्डेट का प्रतिनिधित्व करती है, सरकार के हर क़ानून को शंका की दृष्टि से देखकर जनभावनाओं को गुमराह करना और जनता के मन में भय उत्पन्न करना कितना उचित है

 

कोई पार्टी सरकार नहीं बनाती बल्कि संविधान सरकार बनाता है, इसलिए सरकार के हर इंटेट पर शंका खड़ी करना और लोगों को गुमराह करने का प्रयास लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है

 

सरकार के हर कदम को राजनीतिक तराजू में तोला जाता है,पक्ष-विपक्ष की भाषा में देखा जाता है क्योंकि जब आप सत्ता में थे तब आपने दुरूपयोग किया है,लेकिन हम उनमें से नहीं हैं

 

मानवाधिकारों के दो पहलू होते हैं, जिसे कानून पकड़ता है उसका भी ह्यूमन राइट है और जिसकी हत्या होती है, जो घर निराधार हो जाता है,उसके बाल बच्चों का भी कोई मानवाधिकार होता है या नहीं ?

 

मानवाधिकार कभी एक तरफ़ा नहीं हो सकता,जब आतंकवाद होता है,बम धमाके होते हैं और हजारों लोग मारे जाते हैं तो मरने वालों का भी ह्यूमन राइट होता है, सिर्फ़ आतंकवादियों का मानवाधघिकार नहीं है, विक्टिम का भी मानवाधिकार है

 

 आपको जिनकी चिंता करनी है करिये,प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार लोग क़ानून के भरोसे अपना जीवन जीने वाले लोगों के अधिकारों की चिंता के लिए कटिबद्ध है

 

 जो लोग कानून के भरोसे अपना जीवन जीना चाहते हैं, जिनकी संख्या 97 प्रतिशत से ज़्यादा है, सरकार उनकी चिंता क्यों ना करे

 

स्वतंत्रता का सबको अधिकार है,लेकिन स्वतंत्रता का मतलब स्वछंदता नहीं होता, इसके अपने दायरे हैं और ये किसी और की स्वतंत्रता का हनन करने के लिए नहीं दी जा सकती

 

सारा एकत्रित डेटा एनसीआरबी के पास सुरक्षित प्लेटफॉर्म और सुरक्षित हार्डवेयर के अंदर ही रहेगा,  डेटा भंडारण में किसी तीसरे पक्ष या निजी ऐजेंसियों को कोई स्थान नहीं मिलेगा, डेटा को साझा करने के लिए भी एक पद्धति बनाई जाएगी

 

 सदन को आश्वस्त करना चाहता हूँ  कि इससे किसी की निजता का हनन नहीं होगा, रुल्स के अंदर इसकी जिम्मेदारी भी तय की जाएगी

 

हमें नेक्स्ट जनरेशन क्राइम के बारे में सोचते हुए अभी से उसे रोकने का प्रयास करना पड़ेगा,क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को नए युग में ले जाने का प्रयास करना होगा क्योंकि हम पुरानी तकनीकों से नेक्स्ट जनरेशन क्राइम को टैकल नहीं कर सकते

 

इस विधेयक को आइसोलेशन में मत देखिए,यह बिल इन सभी इनीशिएटिव में से एक है जिसे एक हॉलिस्टिक व्यू से देखने की जरूरत है

 

 जब हम सीआरपीसी,आईपीसी और एविडेंस एक्ट में सुधार लाएंगे तो उसे स्टैंडिंग कमेटी या गृह मंत्रालय की कंसलटेटिव कमेटी में अवश्य भेजेंगे,हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है

 

सदस्यों को स्पष्ट बताना चाहता हूं कि इसकी व्याख्या में नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ़ टेस्ट नहीं आता

 

ये बिल किसी भी क़ैदी का नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ़ टेस्ट कराने की इजाज़त नहीं देता

 

 इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि राजनीतिक आंदोलन वाले किसी भी व्यक्ति को सिर्फ़ राजनीतिक आंदोलन के लिए माप न देना पड़े, लेकिन पॉलिटिकल नेता अगर क्रिमिनल मामले में अरेस्ट होता है तो उसे फिर नागरिक के समान रहना पड़ेगा

 

किसी भी पुलिस आज्ञा या किसी प्रकार की निषेधाज्ञा के उल्लंघन के लिए किसी भी पॉलिटिकल व्यक्ति का माप नहीं लिया जाएगा

 

हम भय में नहीं जीते हैं और यह उचित नहीं होगा कि किसी भय के कारण देश के करोड़ों लोगों को अपराध की दुनिया से लड़ने और उससे सुरक्षा का उपाय न करें

 

ये बिल और इसके प्रावधान,दोनों मिलकर एक अच्छी मज़बूत प्रणाली बनाएंगे जिससे क़ानून की मदद तो ज़रूर होगी ही लेकिन  इससे किसी की निजता या मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं होगा

 

 

 

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमितशाह ने आज राज्य सभा में दंड प्रक्रिया (शनाख्त)विधेयक 2022 पर चर्चा का जवाब दिया।श्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल का प्रमुख उद्देश्य है देश में अदालतों में जाने वाले मामलों में दोष सिद्धि का प्रमाण बढ़ाना है। साथ ही इस बिल का उद्देश्य पुलिस और फॉरेंसिक टीम की कैपेसिटी बिल्डिंग करना, थर्ड डिग्री का कम से कम इस्तेमाल करके दोष सिद्धि के लिए प्रॉसीक्यूशन ऐजेंसी को साइंटिफ़िक एवीडेंस उपलब्ध कराना और डेटा को सुरक्षित प्लेटफार्म पर रखकर उसे निश्चित प्रक्रिया के तहत साझा कर किसी भी नागरिक की प्राइवेसी को रिस्क में न डालते हुए एक व्यवस्था तंत्र बनाना है।


गृह मंत्री ने कहा कि विपक्ष के एक भी सदस्य ने ये नहीं कहा कि दोष सिद्धि का प्रमाण कम है और उसे बढ़ाना चाहिए।उन्होने पूछा कि हम किस प्रकार का क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम चाहते हैं? दोष सिद्धि का हमारा प्रतिशत क्या है? हत्या में सिर्फ़ 44.1 प्रतिशत लोगों को हम सज़ा दिला पाते हैं, बलात्कार में 39.3 प्रतिशत, चोरी में 38.4 प्रतिशत, डकैती में 29.4 प्रतिशत और बाल अपराध में 37.9 प्रतिशत लोगों को सज़ा करा पाते हैं। उन्होने कहा कि हमारा क़ानून शक्ति के हिसाब में बच्चा है जबकि दूसरे देशों में इससे कहीं अधिक कठोर क़ानून बने हैं। इंग्लैंड में दोष सिद्धि 84.3% है, कनाडा में 64.2%, साउथ अफ्रीका 82.5% ऑस्ट्रेलिया 97% और अमरीका में 93.5% है, क्योंकि वहां प्रॉसीक्यूशन ऐजेंसी को साइंटिफ़िक एवीडेंस का आधार मिला हुआ है। उन्होने कहा कि इस बिल को लाने का उद्देश्य दोष सिद्धि को बढ़ाना और साइंटिफिक एवीडेंस को प्रॉसीक्यूशन ऐजेंसियों को उपलब्ध कराना है।

श्री अमित शाह ने कहा कि कोई भी सरकार विधि से स्थापित होती है और लोगों के मेन्डेट का प्रतिनिधित्व करती है।उन्होने कहा कि सरकार के हर क़ानून को शंका की दृष्टि से देखकर जनभावनाओं को गुमराह करना और जनता के मन में भय उत्पन्न करना कितना उचित है। कोई पार्टी सरकार नहीं बनाती बल्कि संविधान सरकार बनाता है, इसलिए सरकार के हर इंटेट पर शंका खड़ी करना और लोगों को गुमराह करने का प्रयास लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। उन्होने कहा कि सरकार के हर कदम को राजनीतिक तराजू में तोला जाता है, पक्ष-विपक्ष की भाषा में देखा जाता है क्योंकि जब आप सत्ता में थे तब आपने दुरूपयोग किया है, लेकिन हम उनमें से नहीं हैं।

गृह मंत्री ने कहा कि मानवाधिकारों के दो पहलू होते हैं, जिसे कानून पकड़ता है उसका भी ह्यूमन राइट है और जिसकी हत्या होती है, जो घर निराधार हो जाता है, उसके बाल बच्चों का भी कोई मानवाधिकार होता है या नहीं ? मानवाधिकार कभी एक तरफ़ा नहीं हो सकता, जब आतंकवाद होता है, बम धमाके होते हैं और हजारों लोग मारे जाते हैं तो मरने वालों का भी ह्यूमन राइट होता है, सिर्फ़ आतंकवादियों का मानवाधघिकार नहीं है, विक्टिम का भी मानवाधिकार है। आपको जिनकी चिंता करनी है करिये, प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार लोग क़ानून के भरोसे अपना जीवन जीने वाले लोगों के अधिकारों की चिंता के लिए कटिबद्ध है।जो लोग कानून के भरोसे अपना जीवन जीना चाहते हैं, जिनकी संख्या 97 प्रतिशत से ज़्यादा है, सरकार उनकी चिंता क्यों ना करे। स्वतंत्रता का सबको अधिकार है, लेकिन स्वतंत्रता का मतलब स्वछंदता नहीं होता, इसके अपने दायरे हैं और ये किसी और की स्वतंत्रता का हनन करने के लिए नहीं दी जा सकती।


श्री अमित शाह ने कहा कि इस बिल को लाने के पीछे सरकार और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की एकमात्र मंशा गुनाहों के प्रमाण को कम कर, सज़ा के प्रमाण को बढ़ाना और क़ानून -व्यवस्था की स्थिति को सुधार कर देश की आंतरिक सुरक्षा को सुदृढ़ करने की है। उन्होने कहा कि सारा एकत्रित डेटा एनसीआरबी के पास सुरक्षित प्लेटफॉर्म और सुरक्षित हार्डवेयर के अंदर ही रहेगा। डेटा भंडारण में किसी तीसरे पक्ष या निजी ऐजेंसियों को कोई स्थान नहीं मिलेगा और डेटा को साझा करने के लिए भी एक पद्धति बनाई जाएगी। कोड के बिना ये डेटा किसी को नहीं मिलेगा और इसे पूरे विचार के साथ, सिस्टम बने के बाद ही इसे नोटिफाई करेंगे। गृह मंत्री ने कहा कि वे सदन को आश्वस्त करना चाहते हैं कि इससे किसी की निजता का हनन नहीं होगा, रुल्स के अंदर इसकी जिम्मेदारी भी तय की जाएगी।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री मोदी जी ने देश भर की पुलिस फोर्स के सामने स्मार्ट (SMART) पुलिसिंग का कनसेप्ट रखा था। इसमें S से मतलब सख्त परंतु संवदेनशील, M से आधुनिक तथा मोबाइल, A से चोकन्ना तथा जवाबदेह, R से भरोसेमंद तथा प्रतिक्रियात्मक और T से आधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस और प्रशिक्षित, T वाले हिस्से की प्रतिपूर्ति के लिए ही यह बिल लाया गया है।उन्होने कहा कि बीपीआरएंडडी और एनसीआरबी देशभर की सभी प्रिज़न के अफसरों और सभी पुलिस अधिकारियों को इस टेक्नोलॉजी से प्रशिक्षित करने का अभियान शुरू करेंगे तब जाकर इस बिल की मंशा पूरी होगी। उन्होने कहा कि यह बिल सिर्फ एक अकेला प्रयास नहीं है,विगत ढाई साल में प्रधानमंत्री मोदी जी की स्मार्ट पुलिसिंग की व्याख्या को चरितार्थ करने के लिए गृह मंत्रालय ने ढेर सारे प्रयास किए हैं ।

श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी जी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब विश्व की सबसे पहली फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी गुजरात में बनाई गई और श्री नरेंद्र मोदी जी जब प्रधानमंत्री बने तब उन्होंने नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाने का काम किया। 2 साल में इस यूनिवर्सिटी ने 6 राज्यों में राज्य सरकारों के साथ एग्रीमेंट किए और अलग-अलग राज्यों में यूनिवर्सिटी से अटैच कैंपस और कॉलेज खोले हैं।साथ ही रक्षा शक्ति यूनिवर्सिटी भी बनाई गई है, यह यूनिवर्सिटी देश की आंतरिक और बाह्य सुरक्षा के क्षेत्र में काम करने वाले बच्चों को इससे जुड़ी सभी विधाओं का अध्ययन करने की सुविधा प्रदान करती है। ये यूनिवर्सिटी इसलिए बनी गईं हैं ताकि दोषसिद्धि के प्रमाण को बढ़ाया जा सके और पुलिस तथा कानूनी एजेंसियां आरोपी और अपराधी से दो कदम आगे हों।

गृह मंत्री ने कहा कि हमें नेक्स्ट जनरेशन क्राइम के बारे में सोचते हुए अभी से उसे रोकने का प्रयास करना पड़ेगा,क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को नए युग में ले जाने का प्रयास करना होगा क्योंकि हम पुरानी तकनीकों से नेक्स्ट जनरेशन क्राइम को टैकल नहीं कर सकते। उन्होने कहा कि ये कानून प्रवर्तक ऐजेंसियों को सशक्त करने का प्रयास है।इसके लिए बहुत सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं,इसलिए इस विधेयक को आइसोलेशन में मत देखिए,यह बिल इन सभी इनीशिएटिव में से एक है जिसे एक हॉलिस्टिक व्यू से देखने की जरूरत है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में गृह मंत्रालय में 2020 में एक मॉडस ऑपरेंडी ब्यूरो भी बनाया है जिसमें मॉडस ऑपरेंडी की स्टडी होगी और इसके आधार पर अलग-अलग क्राइम को समन करने और दंड देने की प्रक्रिया होगी।

श्री अमित शाह ने कहा कि जब हम सीआरपीसी,आईपीसी और एविडेंस एक्ट में सुधार लाएंगे तो उसे स्टैंडिंग कमेटी या गृह मंत्रालय की कंसलटेटिव कमेटी में अवश्य भेजेंगे,हमें इस पर कोई आपत्ति नहीं है। उन्होने कहा कि सरकार ने डायरेक्टर ऑफ प्रॉसीक्यूशन का एक प्रस्ताव भी राज्य को दिया है,साथ ही ई गवर्नेंस के लिए बहुत सारे इनीशिएटिव लिए गए हैं।सीसीटीएनएस (CCTNS) व्यवस्था लेकर आए हैं और जनवरी 2022 तक 16390 यानी शत् प्रतिशत पुलिस स्टेशन में सीसीटीएनएस लागू कर दिया गया है और 99% पुलिस स्टेशन में FIR का रजिस्ट्रेशन सीसीटीएनएस के आधार पर होता है। देशभर में CCTNS साफ्टवेयर में 7 करोड़ से अधिक FIR उपलब्ध हैं और CCTNS National Database में लगभग 28 करोड़ पुलिस रिकार्ड हैं जो खोज और संदर्भ के लिए राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों और केन्द्रीय जांच एजेंसियों के लिए उपलब्ध हैं।देश में 751 अभियोजन जिलों में ई अभियोजन यानी ई प्रॉसीक्यूशन लागू हो चुका है, ई-प्रिज़न को 1259 अलग-अलग जेलों में लागू कर दिया गया है और ई-फॉरेंसिक एप्लीकेशन को 117 फॉरेंसिक लैब ने लागू कर दिया है। इन सभी ई-प्रयासों को एक-दूसरे के साथ जोड़ने के लिए इंटर-ऑपरेटेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS) लाए हैं।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि Investigation Tracking System for Sexual Offences (ITSSO) का एक online analytical tool शुरू किया गया है और “यौन अपराधियों का राष्ट्रीय डेटाबेस"(NDSO) आरंभ किया है जिसमें देश के लगभग 12 लाख से अधिक यौन अपराधियों का डाटा है,इस सब में कहीं से भी अभी तक कोई लिकेज नहीं हुआ है। गृह मंत्री ने कहा कि Cri-MAC (Crime Multi Agency Center) लागू किया गया है और 60 हजार लोगों ने इसका इस्तेमाल किया है,इससे 24,000 से ज्यादा अलर्ट देश के अलग-अलग हिस्सों में भेजे गए हैं और उसमें से कई अपराधी पकड़ लिए गए हैं। लापता व्यक्ति की खोज के लिए भी सारी एफआईआर का एनालिसिस कर उसका डेटाबेस लॉ एनफोर्समेंट एजेंसी से साझा किया और 14,000 की तलाशी ली गई,उनमें से 12,000 लोग प्राप्त कर लिए गए। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने सिर्फ ई इनिशिएटिव पर ही लगभग 2,050 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि बहुत सारे एनालिसिस में सजा न हो पाने के जो कारण निकाले गए हैं उनके अनुसार सबूतों की कमी के आधार पर हर साल 7.5 लाख केस बंद कर दिए जाते हैं,15 लाख केस न्याय की अपेक्षा में पुख्ता सबूतों के अभाव में पेंडिंग हैं। उन्होने कहा कि सरकार इन्वेस्टिगेशन को थर्ड डिग्री से बदलकर टेकनीक के आधार पर करना चाहते हैं, इसीलिए ये बिल लाया गया है।उन्होने कहा कि वे सदस्यों को स्पष्ट बताना चाहता हूं कि इसकी व्याख्या में नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ़ टेस्ट नहीं आता। ये बिल किसी भी क़ैदी का नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ़ टेस्ट कराने की इजाज़त नहीं देता। इसमें यह भी सुनिश्चित किया गया है कि राजनीतिक आंदोलन वाले किसी भी व्यक्ति को सिर्फ़ राजनीतिक आंदोलन के लिए माप न देना पड़े, लेकिन पॉलिटिकल नेता अगर क्रिमिनल मामले में अरेस्ट होता है तो उसे फिर नागरिक के समान रहना पड़ेगा। उन्होने कहा कि किसी भी पुलिस आज्ञा या किसी प्रकार की निषेधाज्ञा के उल्लंघन के लिए किसी भी पॉलिटिकल व्यक्ति का माप नहीं लिया जाएगा।

श्री अमित शाह ने कहा कि हम भय में नहीं जीते हैं और यह उचित नहीं होगा कि किसी भय के कारण देश के करोड़ों लोगों को अपराध की दुनिया से लड़ने और उससे सुरक्षा का उपाय न करें।उन्होने कहा कि बिल लाने के पीछे सरकार की मंशा किसी की भी निजता भंग करने और मानवाधिकार का उल्लंघन करने की नहीं है। ये बिल और इसके प्रावधान, दोनों मिलकर एक अच्छी मज़बूत प्रणाली बनाएंगे जिससे क़ानून की मदद तो ज़रूर होगी ही लेकिन  इससे किसी की निजता या मानवाधिकार का उल्लंघन नहीं होगा।

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