Union Home and Cooperation Minister Shri Amit Shah addressed the National Conference on Cyber ​​Safety and National Security in New Delhi

Press, Share | Jun 20, 2022

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में साइबर सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया

 
 

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के इनीशिएटिव से ही आज भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है, आज के युग में साइबर सुरक्षा के बिना देश के विकास की कल्पना करना संभव नहीं है

साइबर सुरक्षा राष्ट्रीय सुरक्षा का अभिन्न अंग है और मोदी सरकार इसे सशक्त बनाने के लिए हर सम्भव प्रयास कर रही है

भारत को डिजिटल क्रांति के क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए साइबर सुरक्षित भारत का निर्माण किया जा रहा, इसका सबसे महत्वपूर्ण स्तंभ जनजागरूकता है क्योंकि जागरूकता के बिना इसकी पूर्ति नहीं हो सकती

प्रधानमंत्री मोदी जी का विज़न है कि हर भारतीय को तकनीक व इंटरनेट के माध्यम से जुड़कर अपने को सशक्त करना चाहिए और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से लोगों का सशक्तिकरण हो रहा है और उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन भी आ रहेहैं

वित्त वर्ष 2022 में यूपीआई पर लेनदेन एक ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है और आज हम डिजिटल लेन-देन में विश्व में प्रथम स्थान पर है

वर्ष 2012 में 3377 साइबर क्राइम रिपोर्ट किए गए थे और 2020 में रिपोर्टिंग की संख्या 50 हज़ार तक पहुंची गयी

तीन साल पहले लॉंच हुए साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर अब तक अलग-अलग प्रकार की 11 लाख से ज़्यादा शिक़ायतें दर्ज हो चुकी हैं, सोशल मीडिया क्राइम की भी दो लाख से ज़्यादा शिक़ायतें दर्ज की जा चुकी हैं

मोदी जी ने देश के करोड़ों लोगो को देश के अर्थतंत्र के साथ जोड़कर उन्हें डिजिटली सशक्त बनाने का काम किया है, सिर्फ प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 45 करोड नए अकाउंट खोले गए हैं और 32 करोड रुपे डेबिट कार्ड पिछले 8 सालों में देश में वितरित किए गए हैं

वर्ष 2021 में कुल वैश्विक डिजिटल भुगतान का 40 प्रतिशत भारत में हुआ और भीम-यूपीआई अब केवल भारतीय ऐप नहीं रह गई हैबल्कि ग्लोबल बन चुकी है और अनेक देश जैसे फ़्रांस, सिंगापुर, UAE, भूटान और नेपाल इसका उपयोग कर रहे हैं

जनधन, आधार और मोबाइल के माध्यम से हमने डीबीटी को सुनिश्चित किया है, लगभग 52 मंत्रालयों की 300 से ज्यादा योजनाएं डीबीटी को कवर करती हैं और अब तक सात साल में 23 लाख करोड़ रूपए की राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने का काम केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है

मोदी सरकार ने देश में अबतक 5.75 लाख किलोमीटर लंबी फाइबर केबल का जाल बिछाया है और पिछले 8 सालों में 1,80,000 गांवों को इससे जोड़ने का काम किया गया है जो संख्या 8 साल पहले मात्र 10,000 से भी कम थी

साइबर फ़्रॉड व अन्य प्रकार के साइबर अटैक आज दुनिया में सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है और मोदी सरकार देश को इससे सुरक्षित करने के लिए कटिबद्ध है

गृह मंत्रलय के I4C औरCIS डिवीजन के तहत सात स्तंभों में साइबर अपराधओं की रोकथाम के लिए काम चल रहा है - राष्ट्रीय साइबर अपराध थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल, राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र, राष्ट्रीय साइबर अपराध अनुसंधान और नवाचार केंद्र, जॉइंट साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन, राष्ट्रीय साइबर अपराध इकोसिस्टम प्रबंधन यूनिट और राष्ट्रीय साइबर अपराध फॉरेंसिक प्रयोगशाला

डेटा और इंफॉर्मेशन यह दोनों आने वाले दिनों में बहुत बड़ी आर्थिक ताकत बनने वाली है इसीलिए डेटा और इंफॉर्मेशन की सुरक्षा के लिए भी हमें ख़ुद को तैयार करना होगा

 

 

 केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन में साइबर सुरक्षा और राष्ट्रीय सुरक्षा पर राष्ट्रीय सम्मेलन (साइबर अपराध से आज़ादी – आज़ादी का अमृत महोत्सव) को संबोधित किया। कार्यक्रम में केन्द्रीय गृह सचिव सहित गृह मंत्रालय और केन्द्रीय संस्कृति मंत्रालय के कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

 

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इस अवसर पर अपने संबोधन में केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने आज़ादी के अमृत महोत्सव से लेकर देश की आज़ादी की शताब्दी तक के 25 साल के कालखंड को अमृत काल कहा है। इस अमृत काल के दौरान हर क्षेत्र में देश को दुनिया में सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाने के लिए कई मंत्रालयों, विभागों द्वारा कई कार्यक्रम बनाए गए हैं। इसके लिए हमारे सामने क्या चुनौतियां हैं इन पर विचार करने का भी ये समय है और ये करने के बाद 25 साल का एक कार्यक्रम हर विभाग, मंत्रालय बनाए। उन्होंने कहा कि130 करोड़ लोगों का संकल्प बल ही भारत को सर्वोच्च स्थान पर पहुंचाने का ज़रिया बन सकता हैं।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि आज के युग में साइबर सुरक्षा के बिना भारत के विकास की कल्पना करना संभव नहीं है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के इनीशिएटिव से ही आज भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है। अगर हम साइबर सुरक्षा को सुनिश्चित नहीं करते हैं, तो हमारी यही ताक़त हमारे लिए बहुत बड़ी चुनौती बन जाएगी। इसीलिए डिजिटल रिवॉल्यूशन के ज़माने में साइबर सुरक्षा कीचुनौतियां और उनके समाधान को ढूंढने और हर व्यक्ति तक साइबर सुरक्षा की जानकारी पहुंचाने के लिए इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया है।

 

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श्री शाह ने कहा कि अगर विगत 200 साल का दुनिया के रिवॉल्यूशन का एनालिसिस करें तो स्टीम इंजिन से इसकी शुरूआत हुई, फिर इलेक्ट्रिकल एनर्जी से इन्फ़ॉर्मेशन टेक्नोलॉजी तक आए और अब डिजिटल क्रांति की ओर बढ़ रहे हैं। अगर भारत को इस क्षेत्र में आगे बढ़ना है तो साइबर सुरक्षित भारत का निर्माण करना होगा। उन्होंने कहा कि आज प्रधानमंत्री जी का विज़न है कि हर भारतीय को तकनीक और इंटरनेट के माध्यम से अपने आप को सशक्त करना चाहिए। डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के कारण सशक्तिकरण होने के साथ-साथ सकारात्मक परिवर्तन भी लोगों के जीवन में आया है।

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आज साइबर सुरक्षित भारत की कल्पना में सबसे महत्वपूर्णस्तंभ है जनजागरूकता क्योंकि जागरूकता के बिना इसका उपयोग नहीं हो सकता। इसीलिए जनजागरूकता, जनहितकारी, तकनीक की चुनौतियों के समाधान ढूंढने का जनहित में प्रयास और अंततोगत्वा जनकल्याण। आज 130 करोड़ भारतीयों को सरकार से मिलने वाला फ़ायदा डीबीटी के माध्यम से सीधे उनकेबैंक ख़ातों में पहुंचता है। वर्ष 2014 से पहले हम इसकी कल्पना ही नहीं कर सकते थे क्योंकि करोड़ों लोग ऐसे थे जिनके परिवारों में बैंक खाते ही नहीं थे। आज 8 सालों में देश में एक भी परिवार ऐसा नहीं है जिसके पास बैंक खाता नहीं है और उनके पास सरकारी योजनाओं का फ़ायदा ऑनलाइन पहुंचता है।13 करोड़ किसानों के खातों में 6000 रूपए सालाना पहुंच जाते हैं। उन्होंने कहा कि ये एक बहुत बड़ी उपलब्धि तो है लेकिन साथ-साथ एक बहुत बड़ी चुनौती भी है। साइबर फ़्रॉड और कई प्रकार के साइबर अटैक से देश को सुरक्षित करना हमारे सामने एक बहुत बड़ी चुनौती है।

 

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श्री अमित शाह ने कहा कि साइबर सुरक्षा को देश के पिछड़े से पिछड़े इलाक़े से लेकर हर हिस्से तक पहुंचाने का हमें प्रयास करना चाहिए। इस कार्यक्रम के माध्यम से साइबर स्वच्छता, साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए उपाय, अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल को लोकप्रिय बनाना, साइबर वित्तीय अपराध रिपोर्टिंग हेल्पलाइन नंबर को लोकप्रिय बनाना जैसे अनेक क़दमों के माध्यम से लोगों में जागरूकता लाने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि साइबर स्पेस का दुरूपयोग कोई नई बात नहीं है। मालवेयर अटैक हो, फ़िशिंग हो, क्रिटिकल इन्फ़्रास्ट्रक्चर पर हमले हों, डेटा की चोरी हो, ऑनलाइन धोखाधड़ी हो, चाइल्ड पोर्नोग्राफ़ी जैसी कई चुनौतियां आज हमारे सामने हैं। वर्ष 2012 में 3377 साइबर क्राइम रिपोर्ट किए गए थे और 2020 में रिपोर्टिंग की संख्या 50 हज़ार तक पहुंची है,2020 में हर दिन 136 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए, प्रति एक लाख जनसंख्या पर साइबर अपराधों की संख्या में भी चार वर्षों में 270 प्रतिशत की वृद्धि हुई, 2016 में यह 1 थी और 2020 में यह बढ़कर 3.7 हो गई। ये बताता है कि ये वृद्धि आने वाले समय में कितनी बड़ी चुनौती बनने वाली है। साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल तीन साल पहले लॉंच किया गया जिस पर अब तक अलग-अलग प्रकार की 11 लाख से ज़्यादा शिक़ायतें दर्ज की जा चुकी हैं। सोशल मीडिया क्राइम की भी दो लाख से ज़्यादा शिक़ायतें दर्ज की जा चुकी हैं। ये मात्रा दिन-प्रतिदिन बढ़ने वाली है क्योंकि भारत में आज 80 करोड़ भारतीयों की ऑनलाइन मौजूदगी है , 2025 तक और 40 करोड़ भारतीय डिजिटल दुनिया में प्रवेश करेंगे, पिछले 8 वर्षों में इन्टरनेट कनेक्शन में 231% की बढ़ोतरी हुयी है।

 

श्री शाह ने कहा कि सिर्फ प्रधानमंत्री जनधन योजना के तहत 45 करोड नए अकाउंट खोले गए हैं और 32 करोड रुपे डेबिट कार्ड पिछले 8 सालों में देश में वितरित किए गए हैं। यह 32 करोड लोग कभी भी डेबिट या क्रेडिट कार्ड की दुनिया में नहीं थे और चाहे इनके ट्रांजैक्शन छोटे हों लेकिन इनकी ऑनलाइन उपस्थिति यही बताती है कि हमारा कारोबार कितना बढ़ रहा है। वित्त वर्ष 2022 में यूपीआई पर लेनदेन एक ट्रिलियन डॉलर को पार कर गया है और पूरा विश्व अचंभित है कि सिर्फ यूपीआई पर लेनदेन एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक हो गया है। दुनिया में डिजिटल भुगतान में हम प्रथम स्थान पर है। वर्ष 2021 में कुल वैश्विक डिजिटल भुगतान का 40 प्रतिशत भारत में हुआ है जो हमारा आकार बताता है। भीम-यूपीआई अब केवल भारतीय ऐप नहीं रह गई है बल्कि ग्लोबल बन चुकी है। सिंगापुर, यूएई, भूटान, नेपाल और अब फ्रांस में भी यूपीआई और भीम ऐप स्वीकार कर लिया गया है।

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जनधन, आधार और मोबाइल के माध्यम से हमने डीबीटी को सुनिश्चित किया है। लगभग 52 मंत्रालयों की 300 से ज्यादा योजनाएं डीबीटी को कवर करती हैं और अब तक सात साल में 23 लाख करोड़ रूपए की राशि सीधे बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने का काम केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने किया है। इससे लगभग दो लाख करोड़ रूपए की बचत भी हुई है। भारतनेट भी बहुत तेज़ी से विकसित हो रहा है, 5.75 लाख किलोमीटर लंबी फाइबर केबल बिछा दी गई है और पिछले 8 सालों में 1,80,000 गांवों को इससे जोड़ने का काम किया गया है जो 8 साल पहले 10,000 से भी कम थी। हम सबके सामने चुनौती कितनी बड़ी होने वाली है, हमें इसका संज्ञान होना चाहिए।लेकिन भारत सरकार का गृह मंत्रालय भी लगातार बहुत चौकन्ने तरीके से साइबर फ्रॉड की रोकथाम के लिए भी पूरी तरह जागरूक है और तेजी से आगे बढ़ रहा है।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में 2017 में गृह मंत्रालय में साइबर और सूचना सुरक्षा (सीआईएस) प्रभाग बनाया गया और वहां से साइबर सुरक्षा की दिशा में बहुत सारे कदम उठाए गए। I4C औरसीआईएस डिवीजन के तहत सात स्तंभों में साइबर अपराधओं की रोकथाम के लिए काम चल रहा है - राष्ट्रीय साइबर अपराध थ्रेट एनालिटिक्स यूनिट, राष्ट्रीय साइबर अपराध रिर्पोटिंग पोर्टल, राष्ट्रीय साइबर अपराध प्रशिक्षण केंद्र, राष्ट्रीय साइबर अपराध अनुसंधान और नवाचार केंद्र, जॉइंट साइबरक्राइम कोऑर्डिनेशन, राष्ट्रीय साइबर अपराध इकोसिस्टम प्रबंधन यूनिट और राष्ट्रीय साइबर अपराध फॉरेंसिक प्रयोगशाला। कैपेसिटी बिल्डिंग के लिए भी I4Cने काफ़ी काम किया है। CyTrainपोर्टल के ज़रिए देशभर के पुलिसबलों के 16000 से ज्यादा अफ़सरों का इस पोर्टल पर प्रशिक्षण हो चुका है और 6000 लोगों को सर्टिफिकेट भी दिए जा चुके हैं। इसके साथ-साथ साइबर अपराध फॉरेंसिक जांच में भी राष्ट्रीय साइबर अपराध फॉरेंसिक प्रयोगशाला के साथ-साथ नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी में भी अनुसंधान का काम चल रहा है। देशऔर दुनिया में कहीं पर भी साइबर फ्रॉड या साइबर अटैक का नए प्रकार का हमला होता है तो नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी इसका संज्ञान लेकर और इस पर शोध कर इससे बचाव और सुरक्षा की प्रणाली विकसित करने के लिए काम कर रही है। मैं आप सभी को आश्वस्त कर सकता हूं कि दुनियाभर में नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी का हमारा यूनिट शीर्ष पर है। बहुत अलग तरीके से दुनियाभर के साइबर फ्रॉड का एनालिसिस करना और साइबर फ्रॉड के नए तरीकों से देश, देश की जनता और अंतोतगत्वा पूरे विश्व को उससे सुरक्षित करने के लिए हमारे युवा जो शोध और अनुसंधान कर रहे हैं, मुझे भरोसा है कि दुनियाभर के फ्रॉड की रोकथाम के लिए हमारी नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी का यूनिट बहुत काम में आएगा।

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि साइबर सुरक्षा एक प्रकार से राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ भी जुड़ी है।जो हमारे देश को सुरक्षित देखना नहीं चाहते वह अनेक प्रकार के cyber-attack का प्रयोजन भी करते हैं। कुछ देशों ने तो इसके लिए साइबर आर्मी भी बनाई हुई है। मगर भारत सरकार का गृह मंत्रालय भी इससे निपटने के लिए पूरी तरह से चौकन्ना है और हर कदम पर इसकी रोकथाम के लिए हम अपने आप को अपग्रेड भी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि साइबर फ्रॉड के कई नए आयाम आने वाले दिनों में देखने में आएंगे, साइबर स्पेस सुरक्षा के संदर्भ में भी हमें कई तैयारियां करनी होंगी। नागरिकों की प्राइवेसी के प्रश्न हमारे सामने उपस्थित हो चुके हैं, क्रिटिकल इंफॉर्मेशन सिक्योरिटी के संदर्भ में हमें और अधिक सतर्कता बरतनी होगी। डेटा और इंफॉर्मेशन यह दोनों आने वाले दिनों में बहुत बड़ी आर्थिक ताकत बनने वाली है इसीलिए डेटा और इंफॉर्मेशन की सुरक्षा के लिए भी हमें ख़ुद को तैयार करना होगा। यह जो आजादी के अमृत महोत्सव का एक नए प्रकार का इनीशिएटिव संस्कृति मंत्रालय और गृह मंत्रालय ने लिया है, मुझे विश्वास है कि जब देश आजादी की शताब्दी मना रहा होगा तब ना सिर्फ़ साइबर सुरक्षा की दृष्टि से देश सुरक्षित होगा बल्कि दुनिया में सबसे ज्यादा सुरक्षित साइबर एटमॉस्फेयर अगर दुनिया में कहीं पर भी होगा तो हमारे भारत में होगा

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