Union Home Minister and Minister of Cooperation, Shri Amit Shah laid the foundation stone of the Karnataka campus of National Forensic Science University at Dharwad, Karnataka

Press, Share | Jan 28, 2023

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज धारवाड़ में राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के कर्नाटक कैंपस की आधारशिला रखी


मोदी सरकार के प्रयासों से अगले पाँच वर्ष में विश्व में सबसे ज्यादा फॉरेंसिक साइंस के एक्सपर्ट भारत से होंगे

2002 में जब श्री नरेन्द्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री बने, तब उन्होंने निर्णय लिया कि गुजरात में गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाई जाए जो सीधे 12वीं के बाद बच्चों के लिए फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में पढ़ाई की व्यवस्था करे

अपराध की दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है और अपराधी पुलिस से कई कदम आगे निकल रहे हैं और जब तक पुलिस अपराधी से दो कदम आगे नहीं रहती, तब तक प्रिवेंशन ऑफ क्राइम संभव ही नहीं है

दिल्ली के बाद कर्नाटक दूसरा राज्य बना है जिसने 6 साल से ज्यादा सजा वाले सभी क्राइम के अंदर फोरेंसिक जाँच को अनिवार्य किया है

अगर पुलिस को अपराधियों से दो कदम आगे रहना है तो Conviction rate को बढ़ाना होगा, इसमें NFSU वैज्ञानिक तकनीक के प्रयोग से मदद कर सकता है

कानून और व्यवस्था को मजबूत करना है तो इसके तीन हिस्सों को मजबूत करना होगा: लॉ एंड ऑर्डर जो पुलिस का काम है, क्राईम इन्वेस्टिगेशन जिसमें फॉरेंसिक साइंस की बहुत बड़ी भूमिका है, और, जस्टिस सिस्टम को मजबूत करना

आज थर्ड डिग्री का जमाना नहीं है, बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीक के आधार पर ही हम जांच कर सकते हैं

अगर कानून-व्यवस्था की स्थिति ठीक करनी है तो हमें अपना Conviction rate बढ़ाना पड़ेगा और क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को फॉरेंसिक साइंस द्वारा किए गए इन्वेस्टिगेशन के साथ इंटीग्रेट करना होगा

देश के सभी राज्यों में नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के कैंपस खोलने के बाद 10000 एक्सपर्ट हमें मिलेंगे जो कई सालों तक क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को मजबूत करने में देश की सेवा करेंगे

फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी केवल बच्चों को पढ़ाने और ट्रेंड मैन पावर तैयार करने का काम नहीं करती बल्कि फॉरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में भी सहायता करती है

 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज धारवाड़ में राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के कर्नाटक कैंपस की आधारशिला रखी। इस अवसर पर कर्नाटक के मुख्यमंत्री श्री बसवराज बोम्मई और केन्द्रीय मंत्री श्री प्रल्हाद जोशी सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

 

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अपने संबोधन में श्री अमित शाह ने कहा कि कर्नाटक का हर ज़िला सांस्कृतिक रूप से ना सिर्फ़ इस राज्य बल्कि पूरे भारत की धरोहर है। उन्होंने कहा कि आज़ादी के आंदोलन,स्वतंत्रता संग्राम में विदेशी ताकतों को रोकने के लिए 1857 से पहले भी कर्नाटक का बहुत बड़ा योगदान रहा है और यहां की कई विभूतियों ने पूरे भारत के आज़ादी के आंदोलनकर्ताओं को प्रेरणा दी है। श्री शाह ने कहा कि धारवाड़ का शाब्दिक अर्थ है- लंबी यात्रा में विरामस्थल और आज राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के कैंपस के भूमिपूजन के साथ ही ये दो कदम और आगे बढ़कर देश में शिक्षा के क्षेत्र में कर्नाटक के योगदान में चांर चांद लगाने का काम करेगा।

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमारे देश में फॉरेंसिक साइंस विभाग शुरू करने का यश देश के पूर्व गृह मंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी को जाता है। 2002 में आडवाणी जी ने न्यायिक विज्ञान सेवा निदेशालय की स्थापना की और इस विषय पर फ़ोकस किया। श्री शाह ने कहा कि उसी दौरान श्री नरेन्द्र मोदी जी गुजरात के मुख्यमंत्री बने और फॉरेंसिक साइंस की पूरे विश्व में सबसे अच्छी लैब कहां बने, इसका इनीशिएटिव उस वक्त मोदी जी ने लिया। उन्होंने कहा कि जब इस विचार को आगे बढ़ाने की शुरूआत हुई तो इस विषय के एक्सपर्ट्स की बहुत बड़ी कमी सामने आई क्योंकि अगर फॉरेंसिक साइंस के एक्सपर्ट नहीं मिलते हैं तो फॉरेंसिक साइंस के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम में योगदान को ज़मीन पर नहीं उतारा जा सकता है। उस वक्त मोदी जी ने ये निर्णय लिया कि गुजरात में गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनाई जाए जो सीधे 12वीं कक्षा के बाद बच्चों के लिए फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में पढ़ाई की व्यवस्था करे।

 

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श्री अमित शाह ने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद इस यूनिवर्सिटी को राष्ट्रीय स्तर पर बनाने का विचार सामने आया। उन्होंने कहा कि आज राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के नौवें कैंपस का भूमिपूजन हुआ है। उन्होंने कहा कि इस परिसर में फॉरेंसिक साइंस से संबंधित विषयों, जैसे, साइबर सुरक्षा, डिजिटल फॉरेंसिक, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, डीएनए फॉरेंसिक, फूड प्रोसिंग, एनवायरनमेंट फॉरंसिक, एग्रीकल्चर फॉरंसिक आदि को विशेषज्ञ बनाने के लिए पढ़ाए जाएंगे। फॉरेंसिक साइंस का हर कैंपस विद्यार्थियों को फॉरेंसिक साइंस की सभी विधाओं का ज्ञान देगा और पूरे विश्व में पांच साल बाद फॉरेंसिक साइंस के सबसे ज़्यादा एक्सपर्ट भारत में होंगे। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व में फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी अपने आप में एक अनोखी यूनिवर्सिटी है और हमने जो इसकी शुरूआत की है, उसका फायदा इसे ज़रूर मिलेगा।

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि अपराध की दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। जाली नोटों का कारोबार, हवाला ट्रांजैक्शन, बॉर्डर पर घुसपैठ, नारकोटिक्स, साइबरक्राइम, महिलाओं के प्रति अपराध। अपराधी पुलिस से कई कदम आगे निकल रहे हैं और जब तक पुलिस अपराधी से दो कदम आगे नहीं रहती, तब तक प्रिवेंशन ऑफ क्राइम संभव ही नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर पुलिस को अपराधियों से दो कदम आगे रहना है तो Conviction rate को बढ़ाना होगा, इसमें NFSU वैज्ञानिक तकनीक के प्रयोग से मदद कर सकता है। श्री शाह ने कहा कि जब तक इन्वेस्टिगेशन का आधार साइंटिफिक और फॉरेंसिक साइंस के बेस पर ना हो, कोर्ट में अपराधी को सजा नहीं दिलाई जा सकती। इसके लिए यह बहुत जरूरी है कि 6 साल और 6 साल से ज्यादा जिस भी अपराध में सजा है,उन सभी क्राइम सीन पर सबसे पहले फॉरेंसिक साइंस के ऑफिसर पहुंचे।उन्होंने कहा कि दिल्ली के बाद कर्नाटक दूसरा राज्य है जिसने अर्बन एरिया में 6 साल से ज्यादा सजा वाले सभी अपराधों में फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट की विजिट को अनिवार्य कर दिया है।श्री शाह ने कहा कि जब भारत हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है तो हमारी चुनौतियां भी बढ़ी हैं और हमें ये समझना होगा कि इन चुनौतियों के अनुरूप हमें हमारे एक्सपर्ट भी तैयार करने होंगे।

 

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श्री अमित शाह ने कहा कि कानून और व्यवस्था के तीन हिस्से हैं- प्रैक्टिकल लॉ एंड ऑर्डर जो पुलिस का काम है, क्राईम इन्वेस्टिगेशन जिसमें फॉरेंसिक साइंस का बहुत बड़ा रोल है और तीसरा, क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को मजबूत करना। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही एविडेंस एक्ट में संशोधन करने जा रही है, आईपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट को संशोधित करके इन्हें वैज्ञानिक आधार पर सजा दिलाने की यंत्रणा के लिए और पुख्ता करेंगे, जिससे फॉरेंसिक साइंस के जितने भी ऑब्जर्वेशन है वह क्रिमिनल को सजा दिला सकें। श्री शाह ने कहा कि आज थर्ड डिग्री का जमाना नहीं रहा है, बल्कि वैज्ञानिक अनुसंधान और तकनीक के आधार पर ही हम जांच कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि कनाडा का दोष सिद्धि का रेट 62%, इजराइल का 93%, इंग्लैंड का 80% और अमेरिका का 90% है, जबकि हम 50% पर खड़े हैं। उन्होंने कहा कि अगर भारत में कानून -व्यवस्था की स्थिति ठीक करनी है तो हमें अपना दोषसिद्धि का प्रमाण दर बढ़ाना पड़ेगा और हमारे क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को फॉरेंसिक साइंस के द्वारा किए गए इन्वेस्टिगेशन के साथ इंटीग्रेट करना होगा और कुछ जघन्य अपराधों के लिए फॉरेंसिक साइंस की जांच को अनिवार्य करना होगा। श्री शाह ने कहा कि अगर हमें फॉरेंसिक साइंस की जांच को पूरे देश के हर थाने में अनिवार्य करना है तो हमें 8 से 10,000 फॉरेंसिक साइंस एक्सपर्ट 9 साल तक चाहिएं। राष्ट्रीय फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी बनने से पहले गुजरात फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी की कैपेसिटी 500 थी और इससे यह नहीं हो सकता।उन्होंने कहा कि अब देश के सभी राज्यों में धीरे-धीरे नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के कैंपस खोलने के बाद 10000 एक्सपर्ट हमें निश्चित रूप से मिलेंगे जो आने वाले कई सालों तक क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को मजबूत करने में देश की सेवा करेंगे।

 

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केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में बहुत सारे इनीशिएटिव लिए है। चंडीगढ़ में अत्याधुनिक डीएनए विश्लेषण लैब बनाया गया है, इसके साथ ही पुणे सीएफएसएल को 62 करोड़, गुवाहाटी सीएफएसएल को 50 करोड़ रूपए, भोपाल सीएफएसएल को 53 करोड़ की लागत से आधुनिक बनाया गया है और कोलकाता सीएफएसएल का 88 करोड़ की लागत से अभी अपग्रेडेशन चालू हुआ है। उन्होंने कहा कि एनएफएसयू ने देशभर में दिल्ली, भोपाल,गोवा, त्रिपुरा, पुणे, मणिपुर और गुवाहाटी में कैंपस खोले हैं और आज धारवाड़ में भी एक कैंपस की शुरुआत हो गई है जो कर्नाटक के युवाओं को जॉब अपॉर्चुनिटी की दृष्टि से और पूरे कर्नाटक की जनता को क्राइम से बचाने के लिए लॉ एंड ऑर्डर को ठीक रखने में मदद देगा। उन्होंने कहा कि एनएफएसयू ने 70 से ज्यादा देशोंऔर विभिन्न संगठनों के साथ 158 से ज्यादा एमओयू किए हैं जिससे पूरी दुनिया के क्राइम डिटेक्शन में एनएफएसयू सेवा कर सके। फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी केवल बच्चों को पढ़ाने और ट्रेंड मैन पावर तैयार करने का काम नहीं करती बल्कि फॉरेंसिक इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने में भी सहायता करती है। एनएफएसयू ट्रेंड मैनपावर का निर्माण तो करती ही है इसके साथ ही तकनीक के उपयोग को भी इन्वेस्टिगेशन में बढ़ाती है और रिसर्च और डेवलपमेंट के माध्यम से फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में भारत को दुनिया में सर्वप्रथम बनाने की दिशा में भी काम करती है।उन्होंने कहा कि नफ़ीस एप्प को हाल ही में लांच किया गया है जिसमें फिंगरप्रिंट के लगभग डेढ़ करोड़ डेटा हैं। उन्होंने बताया कि लांच के तीन महीने के अंदर ही 10 हज़ार केस, जिनमें एक केस 22 साल पुराना था, तत्काल सुलझा लिए गए। उन्होंने कहा कि इसे और अधिक मज़बूत किया जाएगा, इसके लिए सभी क़ैदियों के फिंगरप्रिंट को स्टोर करने की नेश्नल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो में एक वैज्ञानिक व्यवस्था की गई है। श्री शाह ने विश्वास व्यक्त किया कि कर्नाटक की तर्ज पर ही देशभर में फॉरेंसिक साइंस सेवाओं को महत्व दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि यहां 206 सीन ऑफ़ क्राइम ऑफिसर्स (SOCO)को नियुक्त करने का काम कर्नाटक के मुख्यमंत्री ने किया है और इस प्रकार की पहल आने वाले दिनों में कर्नाटक की कानून-व्यवस्था को दुरुस्त रखने में बहुत मदद करेगी। उन्होंने कहा कि एनएफएसयू एक वन्यजीव फॉरेंसिक उत्कृष्टता केन्द्र भी कर्नाटक के बेंगलुरू में बना रहा है। श्री शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य है कि इस क्षेत्र में भी भारत दुनिया में सर्वप्रथम हो। उन्होंने कहा कि धारवाड़ में शुरू हो रही ये यूनिवर्सिटी ना सिर्फ धारवाड़ बल्कि पूरे उत्तर कर्नाटक के युवाओं को नौकरी के अवसर तो प्रदान करेगी ही, पूरे कर्नाटक के लॉ एंड ऑर्डर को संभालने में भी मदद देगी।

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