Union Home Minister Shri Amit Shah replied to the short discussion in the Lok Sabha today under Rule 193 on the problem of drugs in the country and the steps taken by the Government

Press, Share | Dec 21, 2022

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज लोक सभा में नियम 193 के अंतर्गत देश में ड्रग्स की समस्या और इससे निपटने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर लघु चर्चा का जवाब दिया


मोदी सरकार की ड्रग्स के कारोबार और उसके मुनाफे से आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है और सरकार सख्ती से इसे शून्य तक ले जाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने देश के गृह मंत्रालय के सामने नशा मुक्त भारत का एक लक्ष्य रखा है और इस लक्ष्य की पूर्ति में हमारी ओर से कोई कसर नहीं रहेगी

ड्रग्स के खिलाफ इस लड़ाई को केंद्र, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिलकर लड़ना होगा

एनडीपीएस के तहत सीमा सुरक्षा बल, एसएसबी और असम राइफल्स, तीनों को केस दर्ज करने के अधिकार दिए गए हैं, भारतीय तटरक्षक बल, राज्यों के कोस्टल पुलिस स्टेशन्स और रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स को भी अधिकार दिए गए हैं

लेकिन सुरक्षा बलों को दिए इन अधिकारों पर कुछ राज्यों ने कहा कि उनके अधिकार छीन लिए गए हैं... अगर हम अपनी एजेंसियों को शक्तियां नहीं देंगे, तो वे कैसे काम करेंगी ? हमें अपने सुरक्षा बलों पर विश्वास होना चाहिए, इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने वाले ड्रग्स तस्करी का समर्थन कर रहे हैं


अगर किसी राज्य में सबसे ज्यादा ड्रग्स पकड़ा जाता है तो इसका मतलब है कि उस राज्य ने ड्रग्स के विरुद्ध अच्छा काम किया है , मिट्टी में मुंह डालने से आंधी नहीं चली जाती, आंधी का सामना करना पड़ता है...शुतुरमुर्ग नीति से हम देश को नहीं बचा सकते हैं

किसी भी ड्रग्स इन्वेस्टिगेशन और इसकी ज़ब्ती को आइसोलेशन में नहीं देखना चाहिए, ड्रग्स के पूरे नेटवर्क को हमें ध्वस्त करना होगा, तभी इस समस्या का समाधान हो सकता है

ड्रग्स का सेवन करने वाला पीड़ित होता है उसके प्रति सहानुभूति का रवैया होना चाहिए, लेकिन ड्रग्स का व्यापार और तस्करी करने वालों को कानून के शिकंजे में लाना चाहिए

यह एक सीमारहित अपराध है और जब तक कोऑपरेशन, कोऑर्डिनेशन और कोलैबोरेशन नहीं होता है तब तक हम इस लड़ाई को जीत नहीं सकते हैं

ड्रग्स डीलर के लिए वो गोल्डन ट्रायंगल और गोल्डन क्रीसेंट हो सकते हैं लेकिन हम और हमारे युवाओं के लिए वे डेथ ट्रायंगल और डेथ क्रीसेंट हैं, ड्रग्स के खतरे के खिलाफ इस लड़ाई को जीतने के लिए दुनिया को अपना दृष्टिकोण बदलना होगा

एनकॉर्ड की ज़िला-स्तरीय बैठक सबसे महत्वपूर्ण होती है और जब तक जिलास्तर पर डीसीपी, कलेक्टर, समाज कल्याण अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग अधिकारी आदि एकसाथ बैठकर इसपर चर्चा नहीं करेंगे तब तक हमारी ये लड़ाई सफल नहीं होगी

ड्रग्स नेटवर्क के चार्ट की भी मैपिंग की गई है और राज्यों में ड्रग्स आने के रास्ते और उसके नेटवर्क की 472 जिलों में मैपिंग करके राज्यों को भेज दी गई है

नारकोटिक्स के सैंपल की टेस्टिंग में देरी ना हो व अपराधी बच ना सके इसके लिएभारत सरकार 6 रीजनल लैब भी बना रही है

ड्रग्स के खिलाफ यह अभियान कोई एक सरकार का नहीं हो सकता, केंद्र और राज्यों की सभी एजेंसियों को एक ही प्लेटफार्म पर आकर समान तीव्रता और गंभीरता के साथ इस अभियान को चलाना होगा तभी हम हमारी आने वाली पीढ़ियों को बचा पाएंगे

 

केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने आज लोक सभा में नियम 193 के अंतर्गत देश में ड्रग्स की समस्या और इसके खिलाफ सरकार द्वारा उठाए गए कदमों पर लघु चर्चा का जवाब दिया।

श्री अमित शाह ने सदन के सदस्यों का धन्यवाद करते हुए कहा कि इस विषय को राजनीतिक रंग देने की जगह एक समस्या के नाते सदन ने बहुत गंभीरता से लिया है और सभी सदस्यों ने इस बात को स्वीकार किया है कि यह एक बेहद गंभीर समस्या है।उन्होंने कहा कि ड्रग्स की समस्या हमारी नस्लों को बर्बाद करने वाली समस्या है और इस कारोबार से होने वाला मुनाफा आतंकवाद के वित्तपोषण के उपयोग में आता है।

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के वर्ष में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने पूरे देश के सामने नशा-मुक्त भारत का संकल्प रखा है और 2014 से इस दिशा में कई प्रयास किए गए हैं। उन्होंने सदन को आश्वस्त करते हुए कहा कि केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार की ड्रग्स के कारोबार और उसके मुनाफे से आतंकवाद के वित्तपोषण के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है और सरकार सख्ती से इसे शून्य तक ले जाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है। श्री शाह ने कहा कि ड्रग्स का प्रचार-प्रसार ना केवल हमारी भावी नस्लों को खोखला करता है बल्कि लाखों परिवारों को बर्बाद भी करता है, साथ ही इससे कई प्रकार के कानून और व्यवस्था से जुड़े सामाजिक दूषण भी खड़े होते हैं। उन्होंने कहा कि जो देश भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहते हैं वे इसका उपयोग करते हैं और देश में इस डर्टी मनी की उपस्थिति देश के अर्थतंत्र को भी खोखला करती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने देश के गृह मंत्रालय के सामने नशा मुक्त भारत का एक लक्ष्य रखा है और इस लक्ष्य की पूर्ति में हमारी ओर से कोई कसर नहीं रहेगी।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि ड्रग्स के खिलाफ इस लड़ाई को केंद्र, सभी राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को मिलकर लड़ना होगा क्योंकि इसे परिणाम तक पहुंचाने के लिए बहुआयामी लड़ाई लड़नी ज़रूरी है। श्री शाह ने कहा कि एयरपोर्ट और बंदरगाहों के रास्ते ड्रग्स के प्रवेश को रोकना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि ड्रग्स के खिलाफ नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB)और राज्यों की एंटी नारकोटिक्स एजेंसियों को भी समन्वय के साथ काम करना होगा। गृह मंत्री ने कहा कि इसके अलावा पुनर्वास और व्यसन मुक्ति के लिए समाज कल्याण विभाग और स्वास्थ्य विभाग को भी साथ मिलकर काम करना होगा। उन्होंने कहा कि अगर इस लड़ाई के सभी आयामों को हम एड्रेस करते हैं तभी हमारा नशा-मुक्त भारत का स्वप्न साकार हो सकता है। उन्होंने कहा कि जहां तक ड्रग्स के खिलाफ लड़ाई का सवाल है, देश की सभी राज्य सरकारों ने केंद्र सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर अभी तक इस लड़ाई को गंभीरता के साथ लड़ा है और जो भी योजनाएं बनीं और सूचनाओं का आदान-प्रदान हुआ, उन पर पार्टी पॉलिटिक्स और पार्टी इन पावर से ऊपर उठकर, सभी राज्यों ने बहुत अच्छे ढंग से अमल भी किया है। श्री शाह ने कहा कि ड्रग्स हमारे देश में सीमापार से ड्रोन, तस्करी, सुरंगों, बंदरगाहों और एयरपोर्ट के माध्यम से आता है लेकिन व्यापार बंद करना इस समस्या का समाधान नहीं है। उन्होंने कहा कि हमें इस समस्या के नए तरीकों को समाप्त करना होगा।

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि जो ड्रग्स का सेवन करता है,उस व्यक्ति के प्रति सहानुभूति का रवैया होना चाहिए और उसके पुनर्वास की तैयारी और कानूनी प्रावधान होने चाहिए, लेकिन जो ड्रग्स का व्यापार और तस्करी करते हैं उन्हें कानून के शिकंजे में लाना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि जो युवा इसमें फंस गया है, उसे वापस लाने और समाज उसे फिर स्वीकार करे, हम सभी सदस्यों की इस प्रकार का सामाजिक माहौल बनाने की जिम्मेदारी है।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि हम किसी भी ड्रग्स इन्वेस्टिगेशन और इसकी ज़ब्ती को आइसोलेशन में नहीं देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि ड्रग्स कहां से आई और कहां जा रही थी, हमें इसके पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करना होगा। अगर हम पूरे नेटवर्क की जांच करते हैं, तभी इस समस्या का समाधान हो सकता है। उन्होंने कहा कि एनसीबी देशभर में जांच कर सकती है और एनआईए विदेश में भी जांच कर सकती हैं। गृह मंत्री ने सदन को बताया कि उन्होंने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कहा था कि अगर उनके राज्य में कोई ऐसा केस है जिसमें टॉप टू बॉटम और बॉटम टू टॉप इन्वेस्टीगेशन करते हुए राज्य की सीमाएं लाँघनी पड़ती है तो वे निसंकोच एनसीबी की मदद ले सकते हैं, क्योंकि एनसीबी हर राज्य को मदद करने के लिए तैयार और कटिबद्ध है। श्री शाह ने कहा कि किसी भी इन्वेस्टिगेशन के देश की सरहद के बाहर जाने की स्थिति में इन्वेस्टिगेशन के लिए एनआईए की भी मदद ली जा सकती है। उन्होंने सदन को जानकारी देते हुए कहा कि राज्यों ने लगभग 42 मामले एनसीबी या एनआईए को दिए हैं और सफलतापूर्वक पूरे नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए आज राज्य की ऐजेंसियां, एनसीबी और एनआईए आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि इसके बहुत अच्छे परिणाम भी हमें मिल रहे हैं और राज्यों के सहयोग से केंद्र की नारकोटिक्स के खिलाफ लड़ने की गति तेज़ हुई है और उत्साह भी दोगुना हुआ है।

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि गोल्डन ट्रायंगल में दक्षिण-पूर्व एशियाई देश हैं और गोल्डन क्रीसेंट में ईरान, अफगानिस्तान और पाकिस्तान हैं। उन्होंने कहा कि ड्रग्स डीलर के लिए वो गोल्डन ट्रायंगल और गोल्डन क्रीसेंट हो सकते हैं लेकिन हम और हमारे युवाओं के लिए वे डेथ ट्रायंगल और डेथ क्रीसेंट हैं, ड्रग्स के खतरे के खिलाफ इस लड़ाई को जीतने के लिए दुनिया को अपना दृष्टिकोण बदलना होगा। श्री शाह ने कहा कि नारकोटिक्स के खिलाफ भारत सरकार की लड़ाई के तीन हिस्से हैं- संस्थागत संरचना की मजबूती, सभी नार्को ऐजेंसियों का सशक्तिकरण और समन्वय, और विस्तृत अभियान जागरुकता अभियान। उन्होंने कहा कि यह एक सीमा रहित अपराध है और जब तक कोऑपरेशन, कोऑर्डिनेशन और कोलैबोरेशन नहीं होता तब तक हम इस लड़ाई को जीत नहीं सकते हैं।

 

श्री अमित शाह ने सरकार द्वारा लिए गए प्रमुख इनीशिएटिव्स के बारे में सदन को जानकारी देते हुए कहा कि 2019 में 4-स्तरीय NCORD की स्थापना की गई थी और इसके अंतर्गत लिए गए बहुत सारे निर्णयों को राज्यों तक पहुंचाया गया है और उन्हे जिलों तक परकोलेट किया गया है। उन्होंने कहा कि एनकॉर्ड की ज़िला-स्तरीय बैठक सबसे महत्वपूर्ण होती है क्योंकि जब तक जिलास्तर पर डीसीपी, कलेक्टर, समाज कल्याण अधिकारी और स्वास्थ्य विभाग अधिकारी आदि एक साथ बैठकर इस पर चर्चा नहीं करेंगे तब तक हमारी ये लड़ाई सफल नहीं होगी। उन्होंने बताया कि आज तक देश के सिर्फ 32% जिलों में एनकॉर्ड समिति बनी है। गृह मंत्री  ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से सदन के माध्यम से निवेदन किया कि वे स्वयं व्यक्तिगत स्तर पर रूचि लेकर अपने-अपने राज्य में जिलास्तरीय एनकॉर्ड समिति की रचना करें। उन्होने कहा कि जिस दिन देश के सभी जिलों में जिलास्तर पर ये समिति बन जाएगी,हमारी ये लड़ाई बहुत मजबूत हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस समिति में नोडल एजेंसी के तौर पर एनसीबी को रखा गया है और इसके तहत भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक दल, ड्रग कंट्रोलर, रेवेन्यू डिपार्टमेंट, नेशनल मैरीटाइम सिक्योरिटी, एनटीआरओ, पोर्ट ट्रस्ट, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया, कोस्टल पुलिस और राज्य की नार्को एजेंसी आदि मिलकर कोऑर्डिनेशन का काम करते हैं। श्री शाह ने कहा कि इसके लिए एक एनकॉर्ड पोर्टल भी बनाया गया है जिसे एनसीबी संचालित करती है और इसका काम डाटा इंटीग्रेशन का है। इस पोर्टल पर एक प्रकार से संपूर्ण सूचनाएं एक ही जगह उपलब्ध हो जाती हैं।

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हाल ही में भारत में इंटरपोल की जनरल असेंबली का आयोजन हुआ था और उसमें उन्होंने नारकोटिक्स और टेरर लिंक्स का विषय उठाया था और वहां भारत की ओर से आग्रह किया गया था कि नारकोटिक्स,टेररिज्म और नार्को व्यापार से टेररिज्म का वित्तपोषण,इन तीन विषयों पर रियल टाइम इनफॉरमेशन शेयरिंग के लिए इंटरपोल सभी देशों का एक प्लेटफार्म बनाए,जिससे बेस्ट प्रैक्टिसेज का एक्सचेंज भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में नो मनी फॉर टेरर सम्मेलन का भी आयोजन हुआ और वहां भी हमने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए नारकोटिक्स के खिलाफ लड़ाई पर बहुत थ्रस्ट दिया। श्री शाह ने कहा कि सरकार ने एक संयुक्त समन्वय समिति भी बनाई है और केंद्रीय स्तर पर इसकी बहुत सारी बैठकें भी हो चुकी हैं। इसके अलावा एनसीबी के कैडर को भी पुनर्गठित करके 619 पदों का सृजन किया गया है। उन्होंने सदन को बताया कि नार्को अपराधियों पर राष्ट्रीय एकीकृत डेटाबेस,निदान भी तैयार किया गया है और हर केस के चालान और फैसले इस पर अपलोड किए गए हैं। इसके साथ ही इंटर ऑपरेशनल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम (ICJS)के लिए जब्ती सूचना प्रबंधन प्रणाली और जेल का डाटा भी हम साझा कर रहे हैं। श्री शाह ने कहा कि ड्रग नेटवर्क के चार्ट की भी मैपिंग की गई है और राज्यों में ड्रग्स आने के रास्ते और उसके नेटवर्क की 472 जिलों में मैपिंग करके राज्यों को भेज दी गई है। उन्होंने कहा कि ये मैपिंग सर्वे, सूचनाओं,जब्ती के बाद किए गए मामलों और पूछताछ रिपोर्ट्स के संकलन के बाद की गई है।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि एनडीपीएस के तहत सीमा सुरक्षा बल, एसएसबी और असम राइफल्स, तीनों को केस दर्ज करने के अधिकार दे दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि इसी प्रकार भारतीय तटरक्षक बल और राज्यों के कोस्टल पुलिस स्टेशन्स को भी अधिकार दिया है। इसके अलावा रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स को भी अधिकार दिए गए हैं। लेकिन सुरक्षा बलों को दिए इन अधिकारों पर कुछ राज्यों ने कहा कि उनके अधिकार छीन लिए गए हैं... अगर हम अपनी एजेंसियों को शक्तियां नहीं देंगे, तो वे कैसे काम करेंगी ? हमें अपने सुरक्षा बलों पर विश्वास होना चाहिए, इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने वाले ड्रग्स तस्करी का समर्थन कर रहे हैं।


उन्होने कहा कि अगर किसी राज्य में सबसे ज्यादा ड्रग्स पकड़ा जाता है तो इसका मतलब है कि उस राज्य ने ड्रग्स के विरुद्ध अच्छा काम किया है , मिट्टी में मुंह डालने से आंधी नहीं चली जाती, आंधी का सामना करना पड़ता है...शुतुरमुर्ग नीति से हम देश को नहीं बचा सकते हैं। गृह मंत्री ने  कहा कि एनआईए को दुनियाभर में किसी मामले की जांच के अधिकार दिए गए हैं। फाइनेंसियल इन्वेस्टिगेशन के लिए भी बहुत सारे एक्सपर्ट हायर किए गए हैं, वित्तीय दस्तावेजों के विश्लेषण के लिए बहुत सारे एक्सपर्ट्स भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने हायर किए हैं। श्री शाह ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग चैनल्स, हवाला लेनदेन और डार्क नेट,इन तीनों के लिए एक हैकेथॉन कर प्रतिभावान बच्चों को इसमें शामिल करके एक सटीक रणनीति भी बनाई गई है और इसके ज़रिए बहुत सारे लोग भी पकड़े गए हैं। उन्होंने बताया कि हमने स्वदेशी डॉग की नस्ल तैयार कर कई डॉग स्क्वाड बना लिए हैं और राज्यों को भी ऐसे  डॉग स्क्वाड दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक डेडीकेटेड एंटी नारकोटिक टास्क फ़ोर्स भी बनाई गई  है और राज्यों और संघशासित प्रदेशों को समर्पित एक एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स भी राज्यों की सहायता के लिए उपलब्ध है।

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि भारत सरकार के फार्मास्यूटिकल्स विभाग ने दोहरे उपयोग की दवाइयों का कितना कम से कम उपयोग हो सकता है, इस पर अधिकारियों की एक समिति बनाई है जो ये देखती है कि कितनी ऐसी दवाओं को बैन कर सकते हैं जिनके विकल्प उपलब्ध है। उन्होंने उम्मीद जताई कि बहुत सारी दवाइयों को प्रतिबंधित श्रेणी में लाया जाएगा और उनके उपयोग पर रोक लग सकेगी। श्री शाह ने बताया कि समुद्री रास्ते से तस्करी रोकने के लिए हाई लेवल टास्क फोर्स बना ली गई है और भारतीय नौसेना, भारतीय तटरक्षक बल, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया और एनसीबी की संयुक्त साप्ताहिक बैठक होती है जिसमें सूचनाओं का आदान प्रदान किया जाता है। उन्होंने कहा कि मणिपुर में लगभग 1000 हेक्टेयर अवैध नशे की खेती को नष्ट करके वहां पर हॉर्टिकल्चर प्लांटेशन की गई है और रिहैबिलिटेशन का प्रयास भी किया है। इसके साथ साथ मैक, जो सभी एजेंसियों के समन्वय का सेंटर है और सबमैक के रूप में हमने नार्को के लिए एक अलग मैक की व्यवस्था गठित की है और इसके अंदर नार्को ट्रैफिकिंग प्लेटफार्म की निगरानी, ड्रग नेटवर्क के इंटरसेप्शन, ट्रेंड्स के निरंतर एनालिसिस और डेटाबेस के अपडेट का एनालिसिस करके नई रणनीति बनाना शामिल है। उन्होंने बताया कि नारकोटिक्स के प्रशिक्षण मॉड्यूल में पांच अलग-अलग प्रशिक्षण मॉड्यूल बनाए गए हैं और इन पांचों मॉड्यूल में जिले तक का प्रशिक्षण प्रोग्राम डिजाइन किया गया है। उन्होंने जानकारी दी कि राज्यस्तरीय सभी ट्रेनिंग प्रोग्राम 3 दिसंबर को सारे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पूरे कर लिए गए हैं। श्री शाह ने कहा कि 40% जिलों में भी यह काम हो चुका है।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि नारकोटिक्स की फॉरेंसिक जांच के लिए भी एनसीबी और नेशनल फॉरेंसिक साइंस यूनिवर्सिटी के बीच एक समझौता हुआ है और लगभग पूरे देश में भारत सरकार नारकोटिक्स की 6 रीजनल लैब बना रही है, जिससे सैंपल टेस्टिंग में देरी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे प्रयास किए जा रहे हैं कि इसमें तारीख (Date) के हिसाब से नहीं बल्कि मात्रा (Quantity) के हिसाब से प्रायोरिटी होगी ताकि जो बड़ी मात्रा वाले केस हैं उसके अपराधियों को बेल न मिले। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 15 अगस्त 2020 को नशा मुक्त भारत अभियान लांच कर दिया गया था और इसे मैपिंग किए हुए 372 जिलों में नीचे तहसीलों तक पहुंचाने की शुरुआत की गई है। इसके तहत लगभग 2.7 लाख से ज्यादा शैक्षिक संस्थाओं में 14 करोड से ज्यादा बच्चों ने नशामुक्ति की शपथ ली है। इसके अलावा 8000 से ज्यादा मास्टर स्वयंसेवकों की पहचान की गई है, जो न्यूतम मानदेय लेकर यह काम करते हैं और सोशल मीडिया अकाउंट से भी इसका प्रचार करते हैं। उन्होने कहा कि हम नशामुक्ति की राष्ट्रीय ऑनलाइन पद्धति के माध्यम से लगभग एक लाख और शैक्षिक संस्थाओं और युवाओं को इसके माध्यम से जोड़ने का भी प्रयास कर रहे हैं। गृह मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने लगभग 341 इंटीग्रेटेड रिहैबिलिटेशन सेंटर बनाए हैं और 300 अन्य पर काम चल रहा है। इसके अलावा 41 एडिक्शन ट्रीटमेंट फैसिलिटी भी सरकारी अस्पतालों में शुरू की गई है और 75 और बनाने की योजना है। 72 आउटरीच सेंटर भी बनाए है और हमने लगभग दो लाख परामर्शदाता भी तैयार किए हैं जो ऐसे केस में परामर्श देने का काम करते हैं।

 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में हमने 75 साल के मौके पर एक लक्ष्य रखा था कि हम 60 दिन के अंदर 75000 किलो ड्रग्स को नष्ट करेंगे,लेकिन हमने 60 दिन में ही 1,60,000 किलो ड्रग्स को जलाने का काम किया है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में हमने तय किया था कि नशे से इस देश की नस्ल और युवाओं को बर्बाद नहीं होने देंगे और हम इसमें सफल हो रहे हैं।

उन्होंने 2006 से 2013 और 2014 से 2022 तक के कुछ आंकड़े दिए—

विवरण

2006-2013

2014-2022

परिवर्तन (%)

जब्त की गई ड्रग्स,

किलोग्राम में

22 लाख 45 हजार

किलोग्राम

62 लाख 60 हजार

किलोग्राम

180% अधिक

जब्त की गई ड्रग्स,

यूनिट्स में

10 करोड़ यूनिट्स

24 करोड़ यूनिट्स

134% अधिक

कीमत में

33 हजार करोड़

97 हजार करोड़

तीन गुना

कुल मामले

1,45,062

4,14,697

185%

कुल गिरफ्तारी

1,62,908

5,23,234

220%

 

श्री अमित शाह ने कहा कि हमने ड्रग स्मगलिंग के केस को गंभीर प्रकार के मामले में डाला है और ड्रग स्मगलिंग डीलर्स के खिलाफ दर्ज़ किए गए 13000 केस यही बताते हैं कि हमारी दिशा सही है और परिणाम भी मिल रहे हैं। पिछले 5 वर्ष में 61 नए साइटोंट्रॉपिक पदार्थों को सरकार ने अधिसूचित किया है जो पहले इस कैटेगरी में नहीं आते थे। भारतीय एजेंसियों ने लगभग 14000 किलो ट्रामाडोल को भी जब्त किया है।

 

श्री अमित शाह ने कहा कि ड्रग्स के खिलाफ यह अभियान किसी एक सरकार,किसी एक दल और किसी एक एजेंसी का नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि केंद्र और राज्यों की सभी एजेंसियों को एक ही प्लेटफार्म पर आकर समान तीव्रता और गंभीरता के साथ इस अभियान को चलाना होगा तभी हम अपनी आने वाली नस्लों को बचा पाएंगे। उन्होंने कहा कि आज यह लड़ाई ऐसे नाजुक मोड़ पर है कि अगर हम जीतते हैं तो अपनी नस्लों को बचा सकेंगे। श्री शाह ने सदन से अनुरोध किया कि इस एक मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि  सभी राज्य सरकारें एक साथ आएं, जिलास्तरीय एनकॉर्ड की रचना करें और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने जो अभियान चलाया है उसे सभी लोग मजबूत बनाएं।

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