The Union Home and Cooperation Minister, Shri Amit Shah replied to the discussion on the Municipal Corporation of Delhi (Amendment) Bill, 2022 in Rajya Sabha

Press, Share | Apr 05, 2022

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज राज्य सभा में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 पर चर्चा का जवाब दिया

सदन में इस बिल को लाने की भारत सरकार की संवैधानिक क्षमता पर सवाल उठाए गए हैं

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ये विधेयक संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए के प्रदत्त संसद की शक्तियों के अनुरूप लाई है

संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए 3 बी के तहत संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के बारे में उससे संबंधित किसी भी विषय पर क़ानून बनाने का अधिकार प्राप्त है

विपक्षी ये भूल जाते हैं कि दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र है, पूर्ण राज्य नहीं

हम 2014 से लेकर अब तक देश में कई चुनाव लड़े, जिनमें हारे भी और जीते भी

जो हमें ताने देते थे,उन्हें मालूम नहीं कि लोकतंत्र में परिवार सर्वशक्तिमान नहीं होता, बल्कि देश की 130 करोड़ जनता होती है, जो इतिहास को भूल जाते हैं, वो इतिहास बन जाते हैं

यह बिल फ़ेडरल स्ट्रक्चर पर किसी प्रकार का कोई आघात नहीं करता

आपातकाल के दौरान पूरे देश के अधिकार छीन लेने वाली पार्टी, विपक्षी पार्टियों के 2 लाख से ज़्यादा कार्यकर्ताओं को जेल में डालने वाली पार्टी, सारे देश की स्वतंत्रता का गला घोंटने वाली पार्टी और किशोर कुमार की आवाज़ का गला घोंटने वाली पार्टी को लोकतंत्र की बात करना शोभा नहीं देता

हार का भय नहीं है,लेकिन जिन्हें है, उनसे पूछना चाहते हैं कि अभी चुनाव क्यों करवाना है, हम एक व्यवस्था बनाने के लिए 6 महीने मांग रहें हैं, इस दौरान क्या लोकप्रियता कम हो जाएगी, चुनाव हार जाओगे

हम उन पार्टियों की तरह विपक्षी कार्यकर्ताओं को मारकर और हिंसा करके सत्ता हथियाना नहीं चाहती, ऐसे लोग हमें लोकतंत्र की सीख न दें

पांच में से चार राज्यों में श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव जीतकर सरकार बनाई है

दिल्ली सरकार ने तीनों नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार किया है

 तीन निगम में बांटने के बाद दिल्ली के वित्त आयोग ने लगभग 41000 करोड़ रूपए देने की अनुशंसा की थी लेकिन दिल्ली सरकार ने वो नहीं दिए

निगमों ने कई प्रस्ताव दिल्ली सरकार को भेजे, लेकिन वो या तो निरस्त कर दिए गए या कोई जवाब नहीं आया

व्यावसायिक कर के संबंध में मार्च 2020 में एक दरख़्वास्त गई थी,अभी तक कुछ नहीं हुआ, दिल्ली द्वारा अनुमोदित बजट में भी कटौती की गई

दिल्ली की जनता से क्या दुश्मनी है, किसी और से ग़ुस्सा दिल्ली की जनता पर क्यों निकालना है

आज तीनों निगमों की कुल देनदारी 19000 करोड़ रूपए है,अगर पैसे दे दिए होते तो तीनों निगम फ़ायदे में होते

2014 तक केंद्र सरकार दिल्ली को जो भी पैसा देती थी, हमने उसमें एक भी पैसे की कमी नहीं की बल्कि उसको लगभग दोगुना तक करने का काम किया है

दिल्ली सरकार को 2011-12 में 582 करोड़ रुपए, 2012-13 में 800 करोड़, 2013-14 में 582 करोड़ और 2014-15 में 568 करोड़ रुपए दिये गए

हमारे आने के बाद 2016-17 में दिल्ली को 817 करोड़ रूपए दिये गए, 2017-18 में 757 करोड़, 2018-19 में 787 करोड़, 2019-20 में 812 करोड़, 2020-21 में 1116 करोड़, 2021-22 में 1030 करोड़ और 2022-23 में (BE) 1168 करोड़ रूपए दिये गए

दिल्ली पुलिस और अन्य सब व्यय को मिलाकर भारत सरकार दिल्ली का 17000 करोड़ रूपए से ज़्यादा का खर्चा उठाती है

नगर निगम का एकीकरण करने से 3 की जगह एक मेयर होगा, 3 कमिश्नर की जगह एक कमिश्नर होगा, एक ही मुख्यालय होगा और एक ही शहर में अलग-अलग कर स्ट्रक्चर नहीं होंगे

इससे पहले, विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली नगर निगम का बंटवारा आनन फानन में किया गया था और इसके विभाजन का कोई उद्देश्य नज़र नहीं आता

तीनों निगमों के 10 साल चलने के बाद यह सामने आया है कि तीनों निगमों की नीतियों में एकरूपता नहीं है, निगमों के कार्मिकों की सेवा शर्तों और स्थितियों में भी एकरूपता नहीं रही है,जिससे कार्मिकों में काफ़ी असंतोष नज़र आया है

इसी असंतोष के कारण पिछले दस सालों में 250 से ज़्यादा हड़तालें हुईं, जबकि उससे पिछले के पांच साल की अवधि में सिर्फ़ दो हड़तालें हुईं

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज राज्य सभा में दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक, 2022 पर चर्चा का जवाब दिया।श्री अमित शाह ने कहा कि सदन में ये बिल लाने की भारत सरकार की संवैधानिक क्षमता पर सवाल उठाए गए हैं। उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ये विधेयक संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए के प्रदत्त संसद की शक्तियों के अनुरूप लाई है। संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए 3 बी के तहत संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के बारे में उससे संबंधित किसी भी विषय पर क़ानून बनाने का अधिकार प्राप्त है।विपक्षी ये भूल जाते हैं कि दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र है,पूर्ण राज्य नहीं है।


श्री अमित शाह ने कहा कि हम 2014 से लेकर अब तक देश में कई चुनाव लड़े,जिनमें हारे भी और जीते भी।उन्होने कहा कि जो हमें ताने देते थे,उन्हें मालूम नहीं कि लोकतंत्र में परिवार सर्वशक्तिमान नहीं होता,बल्कि देश की 130 करोड़ जनता होती है। जो इतिहास को भूल जाते हैं,वो इतिहास बन जाते हैं। गृह मंत्री ने कहा कि यह बिल फ़ेडरल स्ट्रक्चर पर किसी प्रकार का कोई आघात नहीं करता। श्री शाह ने कहा कि आपातकाल के दौरान पूरे देश के अधिकार छीन लेने वाली पार्टी,विपक्षी पार्टियों के 2 लाख से ज़्यादा कार्यकर्ताओं को जेल में डालने वाली पार्टी,सारे देश की स्वतंत्रता का गला घोंटने वाली पार्टी और किशोर कुमार की आवाज़ का गला घोंटने वाली पार्टी को लोकतंत्र की बात करना शोभा नहीं देता।

गृह मंत्री ने कहा कि हमें हार का भय नहीं है,लेकिन जिन्हें है,उनसे पूछना चाहते हैं कि अभी चुनाव क्यों करवाना है।उन्होने कहा कि हम एक व्यवस्था बनाने के लिए 6 महीने मांग रहें हैं, इस दौरान क्या लोकप्रियता कम हो जाएगी, चुनाव हार जाओगे। श्री शाह ने कहा कि उनकी पार्टी उन पार्टियों की तरह विपक्षी कार्यकर्ताओं को मारकर और हिंसा करके सत्ता हथियाना नहीं चाहती,ऐसे लोग हमें लोकतंत्र की सीख न दें। पांच में से चार राज्यों में हमने श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चुनाव जीतकर सरकार बनाई है।


श्री अमित शाह ने कहा कि दिल्ली सरकार ने तीनों नगर निगमों के साथ सौतेला व्यवहार किया है।तीन निगम में बांटने के बाद दिल्ली के वित्त आयोग ने लगभग 41000 करोड़ रूपए देने की अनुशंसा की थी लेकिन दिल्ली सरकार ने वो नहीं दिए। निगमों ने कई प्रस्ताव दिल्ली सरकार को भेजे,लेकिन वो या तो निरस्त कर दिए गए या कोई जवाब नहीं आया। व्यावसायिक कर के संबंध में मार्च 2020 में एक दरख़्वास्त गई थी,अभी तक कुछ नहीं हुआ। उन्होने कहा कि दिल्ली द्वारा अनुमोदित बजट में भी कटौती की गई। दिल्ली की जनता से क्या दुश्मनी है, किसी और से ग़ुस्सा दिल्ली की जनता पर क्यों निकालना है।


गृह मंत्री ने कहा कि आज तीनों निगमों की कुल देनदारी 19000 करोड़ रूपए है,अगर पैसे दे दिए होते तो तीनों निगम फ़ायदे में होते।2014 तक केंद्र सरकार दिल्ली को जो भी पैसा देती थी, हमने उसमें एक भी पैसे की कमी नहीं की बल्कि उसको लगभग दोगुना तक करने का काम किया है। श्री शाह ने कहा कि दिल्ली सरकार को 2011-12 में 582 करोड़ रुपए, 2012-13 में 800 करोड़, 2013-14 में 582 करोड़ और 2014-15 में 568 करोड़ रुपए दिये गए। हमारे आने के बाद 2016-17 में दिल्ली को 817 करोड़ रूपए दिये गए, 2017-18 में 757 करोड़, 2018-19 में 787 करोड़, 2019-20 में 812 करोड़, 2020-21 में 1116 करोड़, 2021-22 में 1030 करोड़ और 2022-23 में (BE) 1168 करोड़ रूपए दिये गए। उन्होने कहा कि दिल्ली पुलिस और अन्य सब व्यय को मिलाकर भारत सरकार दिल्ली का 17000 करोड़ रूपए से ज़्यादा का खर्चा उठाती है। श्री अमित शाह ने कहा कि नगर निगम का एकीकरण करने से 3 की जगह एक मेयर होगा,3 कमिश्नर की जगह एक कमिश्नर होगा,एक ही मुख्यालय होगा और एक ही शहर में अलग-अलग कर स्ट्रक्चर नहीं होंगे।


इससे पहले,विधेयक पर चर्चा की शुरूआत करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि दिल्ली नगर निगम का बंटवारा आनन फानन में किया गया था और इसके विभाजन का कोई उद्देश्य नज़र नहीं आता।उन्होने कहा कि तीनों निगमों के 10 साल चलने के बाद यह सामने आया है कि तीनों निगमों की नीतियों में एकरूपता नहीं है। निगमों के कार्मिकों की सेवा शर्तों और स्थितियों में भी एकरूपता नहीं रही है,जिससे कार्मिकों में काफ़ी असंतोष नज़र आया है। उन्होने कहा कि इसी असंतोष के कारण पिछले दस सालों में 250 से ज़्यादा हड़तालें हुईं, जबकि उससे पिछले के पांच साल की अवधि में सिर्फ़ दो हड़तालें हुईं।

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