Security forces have won a decisive victory in the ongoing battle against Left Wing Extremism across the country

Press, Share | Sep 21, 2022

देशभर में वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध चल रही लड़ाई में सुरक्षा बलों को निर्णायक विजय प्राप्त हुई है

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति के परिणामस्वरूप पहली बार छत्तीसगढ़ व झारखण्ड के बॉर्डर के बूढा पहाड़ और बिहार के चक्रबंधा एवं भीमबांध के अति दुर्गम क्षेत्रों में प्रवेश करके माओवादियों को उनके गढ़ से सफलतापूर्वक निकालकर वहां सुरक्षाबलों के स्थायी कैंप स्थापित किये गए हैं

यह सभी क्षेत्र शीर्ष माओवादियों के गढ़ थे और इन स्थानों पर सुरक्षाबलों द्वारा भारी मात्रा में हथियार, गोला बारूद, विदेशी ग्रेनेड, एरोबम व IED बरामद किया गया

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में इस निर्णायक सफलता के लिए केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने CRPF व राज्य सुरक्षा बलों को बधाई दी और कहा कि गृह मंत्रालय वामपंथी उग्रवाद और आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रखेगा साथ ही यह लड़ाई और तेज़ होगी

वर्ष 2022 में वामपंथी उग्रवादियों के विरुद्ध लड़ाई में सुरक्षा बलों को ऑपरेशन ऑक्टोपस, ऑपरेशन डबल बुल, ऑपरेशन चक्रबंधा में अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई है I छत्तीसगढ़ में 7 माओवादी मारे गए और 436 की गिरफ़्तारी / आत्मसमर्पण हुआ है I झारखण्ड में 4 माओवादी मरे गये और 120 की गिरफ्तारी / आत्मसमर्पण हुआ I बिहार में 36 माओवादिओं की गिरफ़्तारी / आत्मसमर्पण हुआ I इसी प्रकार मध्यप्रदेश में 3 माओवादियों को सुरक्षाबलों द्वारा मार गिराया गया है

यह सफलता और महत्वपूर्ण इसलिए भी हो जाती है क्यूंकि इनमे से मारे गए कई माओवादियों के सिर पर लाखों-करोड़ों के ईनाम थे जैसे मिथिलेश महतो पर 1 करोड़ का इनाम था

इस अभियान का अंतिम चरण में पहुंचना इस बात से साबित होता है कि 2018 के मुकाबले 2022 में वामपंथी उग्रवाद संबंधी हिंसा की घटनाओं में 39% की कमी आई है, सुरक्षा बलों के बलिदानों की संख्या में 26% की कमी आई है, नागरिक हताहतों की संख्या में 44% की कमी आई है, हिंसा की रिपोर्ट करने वाले जिलों की संख्या में 24% की कमी आई है और इन जिलों की संख्या २०२२ में सिमट कर सिर्फ 39 रह गयी है

 
 

 

 

 

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के वामपंथी उग्रवाद मुक्‍त भारत की परिकल्‍पना को साकार करने तथा केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह की उग्रवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत गृह मंत्रालय देशभर में वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई के अंतिम चरण में पहुंच गया है।  वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध चल रही लड़ाई में आज सुरक्षा बलों ने निर्णायक विजय प्राप्त की है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी की वामपंथी उग्रवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति के परिणामस्वरूप पहली बार छत्तीसगढ़ व झारखण्ड के बॉर्डर के बूढा पहाड़ और बिहार के चक्रबंधा एवं भीमबांध के अति दुर्गम क्षेत्रों में प्रवेश करके माओवादियों को उनके गढ़ से सफलतापूर्वक निकालकर वहां सुरक्षाबलों के स्थायी कैंप स्थापित किये गए हैं। यह सभी क्षेत्र शीर्ष माओवादियों के गढ़ थे और इन स्थानों पर सुरक्षाबलों द्वारा भारी मात्रा में हथियार, गोला बारूद, विदेशी ग्रेनेड, एरोबम व IED बरामद किया गया।

वर्ष 2019 से वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध एक विशेष रणनीति अपनाई जा रही है। केंद्रीय तथा राज्यों के सुरक्षा बलों तथा सम्बंधित एजेंसियों के समन्वित प्रयासों और चलाये गये अभियानों से वामपंथी उग्रवाद के विरुद्ध लड़ाई में अप्रत्याशित सफलता मिली है।

इस निर्णायक सफलता पर केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने CRPF व राज्य सुरक्षा बलों को बधाई दी और कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में गृह मंत्रालय वामपंथी उग्रवाद और आतंकवाद के विरुद्ध जीरो टॉलरेंस की नीति जारी रखेगा साथ ही यह लड़ाई और तेज़ होगी

वर्ष 2022 में वामपंथी उग्रवादियों के विरुद्ध लड़ाई में सुरक्षा बलों को ऑपरेशन ऑक्टोपस, ऑपरेशन डबल बुल, ऑपरेशन चक्रबंधा में अप्रत्याशित सफलता प्राप्त हुई है I  छत्तीसगढ़ में 7 माओवादी मारे गए और 436 की गिरफ़्तारी / आत्मसमर्पण हुआ है I झारखण्ड में 4 माओवादी मारे गये और 120 की गिरफ्तारी / आत्मसमर्पण हुआ I  बिहार में 36 माओवादिओं की गिरफ़्तारी / आत्मसमर्पण हुआ, इसी प्रकार मध्यप्रदेश में 3 माओवादियों को सुरक्षाबलों द्वारा मार गिराया गया है। यह सफलता और महत्वपूर्ण इसलिए भी हो जाती है क्यूंकि इनमे से मारे गए कई माओवादियों के सिर पर लाखों-करोड़ों के ईनाम थे जैसे मिथलेश महतो पर 1 करोड़ का इनाम था। 

केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा इन अभियानों में तेजी लाने के प्रयासों के परिणामस्वरूप बिहार से  security vaccum  को समाप्त करने में सफलता मिली है। झारखण्ड तथा ओडिशा में भी security vaccum  को समाप्त करने में बहुत हद तक सफल हुए हैं तथा इन राज्यों में वामपंथी उग्रवादियों के गढ़ों को ध्वस्त करते हुए security vaccum को पूर्ण रूप से भर लिया जाएगा। इसी रणनीति को अपनाते हुए अन्य राज्यों में security vaccum  भरने की कार्य योजना है। हिंसा की घटनाओं और इसके भौगोलिक प्रसार दोनों में लगातार गिरावट आई है। इस अभियान का अंतिम चरण में पहुंचना इस बात से साबित होता है कि 2018 के मुकाबले 2022 में वामपंथी उग्रवाद संबंधी हिंसा की घटनाओं में 39% की कमी आई है, सुरक्षा बलों के बलिदानों की संख्या में 26% की कमी आई है, नागरिक हताहतों की संख्या में 44% की कमी आई है, हिंसा की रिपोर्ट करने वाले जिलों की संख्या में 24% की कमी आई है और इन जिलों की संख्या २०२२ में सिमट कर सिर्फ 39 रह गयी है।

अगर हम वर्ष 2014 से पहले की तुलना करें, तो वामपंथी उग्रवाद की हिंसा की घटनाओं में 77 प्रतिशत की कमी आई है। 2009 में हिंसा की घटनाएं 2258 के उच्चतम स्तर से घटकर वर्ष 2021 में 509 रह गईं हैं। हिंसा में होने वाली मृत्‍यु दर में भी 85 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2010 में ये 1005 के उच्चतम स्तर पर थी, जिससे वर्ष 2021 में मृतकों की संख्‍या घटकर 147 रह गई और इनके प्रभाव क्षेत्र में ख़ासी कमी आई है। । इसके साथ ही माओवादियों के प्रभाव क्षेत्र में भी काफी कमी आई है और वर्ष 2010 में 96 जिलों से सिकुड़ कर 2022 में माओवादियों का प्रभाव केवल 39 जिलों तक सीमित रह गया।

वामपंथी उग्रवाद के ख़िलाफ़ सुरक्षाबलों के अभियानों की विस्तृत जानकारी

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